भुवनेश्वर : ओडिशी के पुरी स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर की अंतिम देवदासी पारसमणि देवी का शनिवार को वृद्धावस्था संबंधी बीमारियों के कारण निधन हो गया. वह 87 वर्ष की थीं. माना जाता है कि 'देवदासी' परंपरा का पतन 1955 में शुरू हुआ था, लेकिन परसामनी के निधन के साथ यह समाप्त हो गया.
ओडिशा सरकार ने 1955 में एक अधिनियम के माध्यम से पुरी शाही परिवार से मंदिर का प्रशासन अपने हाथों में ले लिया था. इसके बाद मंदिर में देवदासी प्रणाली धीरे-धीरे समाप्त हो गई. मंदिर में दो प्रकार की देवदासियां थीं-नर्तकी और गायिका. पारसमणि एक गायिका थीं, जो देवताओं के विश्राम के समय गीत गोविंद जैसे भक्ति गीत गाया करती थी.
पारसमणि देवी पुरी के बासीली शाही में किराए के मकान में रह रही थीं. उनसे पहले देवदासी शशिमणि देवी का 20 मार्च 2015 को 92 वर्ष की आयु में निधन हुआ था.शशिमणि अन्य देवदासियों की तरह आजीवन अविवाहित रहीं.
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बता दें कि देवदासी परंपरा के अनुसार किसी भी देवदासी को इस परंपरा को जीवित रखने के लिए एक नाबालिग लड़की को गोद लेकर उसे खुद ही नृत्य तथा भक्ति संगीत की शिक्षा दीक्षा उस समय देनी होती है जब तक वह लड़की देवदासी न बन जाए.