चेन्नई : फूड डिलिवरी कंपनी (Zomato) अक्सर डिलीवरी से जुड़ी घटनाओं के कारण सुर्खियों में रहती है. कई बार जोमैटो की तरफ से दी गई आपत्तिजनक प्रतिक्रिया को लेकर विवाद भी हुए हैं. ताजा घटनाक्रम में भाषा को लेकर विवाद हुआ है. जानकारी के मुताबिक जोमैटो ने एक ग्राहक को हिंदी भाषा न जानने के कारण पैसे रिफंड करने से मना कर दिया. इस पर सोशल मीडिया पर जमकर बवाल हुआ.
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An ignorant mistake by someone in a support centre of a food delivery company became a national issue. The level of tolerance and chill in our country needs to be way higher than it is nowadays. Who's to be blamed here?
— Deepinder Goyal (@deepigoyal) October 19, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— Deepinder Goyal (@deepigoyal) October 19, 2021
यह है पूरा मामला
दरअसल, तमिलनाडु के विकास ने एक रेस्टोरेंट में दो चिकन राइस बाउल कॉम्बो (चिकन राइस + पेपर चिकन) ऑर्डर किए. लेकिन उन्हें सिर्फ चिकन राइस ही डिलीवर किया गया. उन्होंने तुरंत Zomato ग्राहक सेवा केंद्र से संपर्क किया. Zomato सबसे पहले विकास को रेस्टोरेंट का कॉन्टैक्ट नंबर दिया और उनसे पूछताछ करने के लिए कहा. जब विकास ने उस रेस्तरां से संपर्क किया तो रेस्तरां ने उनसे जोमैटो पर शिकायत दर्ज करने और रिफंड मांगने के लिए कहा.
उस रेस्टोरेंट के निर्देश के मुताबिक विकास ने जोमैटो केयर से रिफंड की मांग की लेकिन जोमैटो ने कहा कि उन्हें रेस्टोरेंट से ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली है. विकास से उसके ऑर्डर के बारे में बार-बार पूछताछ की गई. इनके द्वारा जोमैटो ने रेस्तरां से पांच बार संपर्क किया और कहा कि वे विकास की समस्या का समाधान नहीं कर सकते क्योंकि उसे भाषा नहीं आती है.
इस पर विकास ने कहा कि अगर तमिलनाडु में Zomato उपलब्ध है तो उन्हें भाषा समझने वाले लोगों को काम पर रखना चाहिए. विकास ने कहा कि कॉल किसी और को ट्रांसफर की जाए और मुझे रिफंड दिलवाएं. इसके बाद जोमैटो सर्विस सेंटर भाषा प्रभाव में आ गया और कहा कि आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है. इसलिए यह बहुत आम है कि हर कोई हिंदी को थोड़ा-बहुत जानता है.
विकास को भाषा के दबाव पर गुस्सा आ गया और उन्होंने अपने और जोमैटो केयर के बीच की बातचीत को अपने ट्विटर पेज पर अपलोड किया और एक ट्वीट पोस्ट किया. उस पोस्ट में लिखा कि मैंने जोमैटो में खाना ऑर्डर किया और एक आइटम छूट गया.
कस्टमर केयर का कहना है कि राशि वापस नहीं की जा सकती क्योंकि मुझे हिंदी नहीं आती. यह भी सबक दिया गया कि भारतीय होने के नाते मुझे हिंदी जाननी चाहिए. मुझे झूठा टैग किया और वह तमिल नहीं जानता था. उनके ट्वीट के बाद Zomato Care ने विकास से संपर्क किया और उनके मुद्दे पर कार्रवाई की. सोशल मीडिया पर मामला वायरल होने के बाद महज भाषा को लेकर विवाद बढ़ता देख Zomato ने अपने ग्राहकों से माफी मांगी है.
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Vanakkam Vikash, we apologise for our customer care agent's behaviour. Here's our official statement on this incident. We hope you give us a chance to serve you better next time.
— zomato (@zomato) October 19, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
Pls don't #Reject_Zomato ♥️ https://t.co/P350GN7zUl pic.twitter.com/4Pv3Uvv32u
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कंपनी के संस्थापक दीपेंदर गोयल ने एजेंट का बचाव करते हुए कहा कि कॉल सेंटर में ज्यादातर लोग युवा हैं जो 'अपने सीखने की अवस्था के शुरुआती चरण में हैं.' सिलसिलेवार ट्वीट में उन्होंने कहा, 'भोजन की डिलीवरी करने वाली कंपनी के सहयोग केंद्र में किसी से अनजाने में हुई गलती राष्ट्रीय मुद्दा बन गयी. हमारे देश में सहिष्णुता और शांत रहने का स्तर आज के मुकाबले कहीं अधिक होने की आवश्यकता है. यहां किसे जिम्मेदार ठहराया जाए? हम सभी को एक-दूसरे की गलतियां बर्दाश्त करना चाहिए और एक-दूसरे की भाषा और क्षेत्रीय भावनाओं की सराहना करनी चाहिए.'
गोयल ने कहा, 'और याद रखिए, हमारे कॉल सेंटर एजेंट युवा लोग हैं जो अपने सीखने की अवस्था तथा करियर के शुरुआती चरण में हैं. वे भाषाओं और क्षेत्रीय भावनाओं के विशेषज्ञ नहीं हैं और न ही मैं. हम एजेंट को फिर से नौकरी पर रख रहे हैं -उन्हें केवल इस बात के लिए नौकरी से नहीं निकाला जाना चाहिए. वे आसानी से इसे सीख सकती हैं और आगे बेहतर कर सकती हैं.'
सांसद की प्रतिक्रिया
विवाद का प्रत्यक्ष तौर पर जिक्र करते हुए द्रमुक की एक नेता और पार्टी की लोकसभा सांसद कनिमोई ने कहा कि कुछ कंपनियों के कस्टमर केयर केवल चुनिंदा भाषाओं में ही काम करते हैं. उन्होंने ट्वीट किया, 'कंपनियों के लिए अपने ग्राहकों की उनकी स्थानीय भाषाओं में सेवा करना अनिवार्य होना चाहिए. एक ग्राहक को हिंदी या अंग्रेजी जानने की आवश्यकता नहीं है. मैं हिंदी नहीं जानती.'
हिंदी भाषा को लेकर जौमैटो के विवाद पर अन्य ग्राहकों ने भी ट्विटर पर गुस्सा जाहिर किया. कुछ लोगों ने कहा कि जोमैटो में समस्या चल रही है और इसके स्थायी समाधान की जरूरत है. बता दें कि जोमैटो को अक्सर ग्राहकों के आक्रोश का सामना करना पड़ता है. इस मामले में जोमैटो के एक ग्राहक और जोमैटो ग्राहक सेवा केंद्र के कर्मचारी के बीच की बातचीत विवाद का जड़ बनी.
इससे पहले मार्च, 2021 में भी कर्नाटक में जोमैटो के डिलिवरी बॉय का हिंसक व्यवहार सामने आया था. इस मामले में खाने का ऑर्डर निरस्त करने पर एक महिला के मुंह पर मुक्का मार दिया. जानकारी के मुताबिक जोमैटो के डिलिवरी बॉय ने हितेश इंद्राणी नाम की महिला के साथ मारपीट की थी. इस मामले में बाद में डिलिवरी बॉय ने कहा था कि महिला खुद की अंगूठी से ही घायल हुई थी. उसने इस मामले में प्राथमिकी भी दर्ज कराई थी.
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गौरतलब है कि भारतीय कंपनी जोमैटो का मुख्यालय हरियाणा के गुरूग्राम में है. बता दें कि Zomato देश भर के 525 शहरों में लगभग एक लाख 50 हजार रेस्तरां के साथ भोजन डिलीवरी सेवा प्रदान करती है. हाल ही में जौमैटो ने किराना डिलीवरी और न्यूट्रास्युटिकल कारोबार को बंद करने का फैसला लिया था. इसके कुछ ही दिनों बाद ही जोमैटो के सह-संस्थापक गौरव गुप्ता ने कंपनी से इस्तीफा दे दिया था. गुप्ता हेड ऑफ सप्लाई थे और उन्होंने छह साल तक जोमैटो के साथ काम किया.
इससे पहले अगस्त, 2019 में भी जोमैटो विवादों में घिरी थी. जोमैटो में काम करने वाले डिलीवरी स्टाफ ने आरोप लगाया है कि उनसे ऐसा खाना डिलिवर कराया जा रहा है, जिसे वे डिलिवर नहीं करना चाहते हैं. इन लोगों ने इसका कारण भी बताया कि क्यों ये लोग कुछ खानों की डिलीवरी नहीं करना चाहते हैं. ये मामला पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के जोमैटो स्टाफ ने उठाया था.
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इन लोगों का कहना है कि कंपनी ऐसे खाने की डिलीवरी कराती है, जिससे इन लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं. इसी मुद्दे को उठाते हुए डिलीवरी स्टॉफ हड़ताल पर है. इन लोगों का कहना है कि वे ऐसे किसी खाने की बकरीद पर डिलीवरी नहीं करेंगे, जिसमें बीफ हो. साथ ही पोर्क से बनी डिश भी डिलीवरी करने से इनकार कर दिया था.
इससे पहले कोरोना महामारी के दौरान जोमैटो कर्मचारियों की छंटनी को लेकर सुर्खियों में आई थी. मई, 2020 में जोमैटो के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) दीपिंदर गोयल ने कहा था कि कंपनी के कारोबार के कई पहलुओं में पिछले कुछ महीनों में नाटकीय रूप से बदलाव आया है और इनमें से कई बदलाव स्थायी होने वाले हैं.