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कोरोना की दूसरी लहर अधिक संक्रामक, राष्ट्रीय लॉकडाउन जरूरी : लैंसेट रिपोर्ट - लैंसेट कोविड-19 कमीशन

भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर कहर बरपा रही है और संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रही है. कोरोना की दूसरी लहर से निपटने के लिए लैंसेट कोविड-19 कमीशन इंडिया टास्क फोर्स ने अपने अध्ययन में कई सिफारिश की है, जिसमें राष्ट्रीय या राज्य स्तर पर व्यापक लॉकडाउन भी शामिल है. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

लैंसेट रिपोर्ट
लैंसेट रिपोर्ट
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Published : Apr 20, 2021, 12:20 PM IST

Updated : Apr 20, 2021, 12:31 PM IST

हैदराबाद : लैंसेट कोविड-19 कमीशन इंडिया टास्क फोर्स ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर ज्यादा संक्रामक है, इसलिए भारत को इससे निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है. इस अध्ययन में भारत में कोरोना टीके की 50 लाख दैनिक खुराक देने का समर्थन किया गया है. साथ ही महामारी से निपटने के लिए कई सुझाव दिए गए हैं.

लैंसेट कमीशन की प्रमुख सिफारिशें

  • वर्तमान प्राथमिकता की आबादी (45 वर्ष और अधिक) को टीका लगाने के लिए व्यापक टीकाकरण अभियान चलाया जाए. 11 अप्रैल, 2021 तक, 45 वर्ष और अधिक आयु वर्ग के 29.6 प्रतिशत लोगों को टीके की पहली या दूसरी खुराक दी जा चुकी थी. इस आयु वर्ग के शहरी गरीबों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि इनमें संक्रमण दर सबसे तेज है.
  • सरकार को उन सभी लोगों की पहचान करनी चाहिए, जो तपेदिक जैसी दीर्घकालिक बीमारियों से जूझ रहे हैं और ऐसे सभी लोगों को कोरोना टीका लगवाने की अनुमति देनी चाहिए, चाहे वे किसी भी आयु वर्ग के हों.
  • भारत में घरेलू उपयोग के लिए उपलब्ध सभी टीकों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं.
  • विनिर्माण क्षमता में वृद्धि : तीन तत्वों को तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है : 1- आयातित कच्चे माल के लिए वैकल्पिक स्रोत, जो पहले से ही कम आपूर्ति में हैं. 2- अन्य घरेलू निर्माताओं के जरिए सुविधाओं का विस्तार; 3- उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए निर्माताओं को वित्तीय सहायता का प्रावधान.
  • कोरोना टीकों को लेकर किसी भी आशंका या संदेह को दूर करने के लिए हेल्पलाइन और काउंसलर की व्यवस्था की जानी चाहिए.
  • टीकाकरण की अति-आवश्यकता के बारे में सुसंगत संदेश देने के लिए धार्मिक नेताओं, बुजुर्गों और सार्वजनिक हस्तियों के जरिए एक प्रचार अभियान शुरू किया जाना चाहिए, जिससे कि लक्षित आयु वर्ग के व्यवहार में बदलाव हो सके.
  • सरकार को एईएफआई दिशानिर्देशों को अपडेट करना चाहिए, जैसे-प्रत्येक वैक्सीन से संबंधित एईएफआई की आवृत्ति और एईएफआई की गंभीरता और प्रकृति.
  • भारत सरकार ने अपने राजनीतिक नेतृत्व के जरिए नागरिकों को मास्क पहनने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए तथा उल्लंघन के लिए अनिवार्य जुर्माना लगाना चाहिए.
  • कोरोना संक्रमण में वृद्धि की निगरानी के लिए अधिक सतर्कता, विशेष रूप से उन जिलों में जहां लोग इस तरह के आयोजनों से लौटेंगे. साथ ही जिलों में बढ़ते संक्रमण और स्वास्थ्य सुविधाओं पर दबाव को देखते हुए सभी सिनेमा हॉल, स्पोर्ट्स ग्राउंड व स्टेडियम, और इनडोर हॉल अप्रैल और मई महीने के लिए बंद किए जाने चाहिए.
  • कोरोना मरीजों का पता लगाने, परीक्षण करने और आइसोलेट करने के लिए सामुदायिक स्तर पर विकेंद्रीकृत दृष्टिकोण के साथ नए सिरे से ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए.
  • कोरोना परीक्षण पंजीकरण फॉर्म को संशोधित कर इस बात को शामिल किया जाना चाहिए कि क्या परीक्षण किए जा रहे व्यक्ति को वैक्सीन की एक या दोनों खुराकें मिली हैं. साथ ही वैक्सीन के प्रकार का विवरण होना चाहिए.
  • रिपोर्ट में दूसरे देशों से आने वाले सभी आगंतुकों के लिए अनिवार्य सात दिवसीय क्वारंटाइन और आठवें दिन आरटी-पीसीआर परीक्षण की सिफारिश की गई है. यदि टेस्ट पॉजिटिव आता है तो एक और सप्ताह के लिए होम क्वारंटाइन किया जाना चाहिए.
  • रिपोर्ट में देश के भीतर यात्रा पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाने की सिफारिश की गई है. साथ ही कहा गया है कि स्रोत और गंतव्य स्थानों पर परीक्षण के लिए सलाह जारी की जानी चाहिए.
  • राज्यों को कोरोना के मामलों और स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर खुद के प्रोटोकॉल बनाने चाहिए. साथ ही राज्य सरकारों को प्रवासी मजदूरों को घर लौटने में विशेष सहयोग करना चाहिए. उन्हें मास्क, परीक्षण और टीकाकरण के विकल्प के साथ उनके गृह जिलों में क्वारंटाइन सेंटर स्थापित किए जाने चाहिए, जिससे कि ग्रामीणों क्षेत्रों में संक्रमण न फैले.
  • कोरोना संक्रमण के मामलों में वृद्धि के मूल कारणों की पहचान के लिए केंद्रित प्रयास की जरूरत है. जिसमें कोरोना वायरस का जीनोम अनुक्रमण शामिल है, ताकि इसके वर्तमान म्यूटेंट या वेरिएंट के साथ इसकी प्रकृति और प्रकार का पता लगाया जा सके.
  • सरकार को हर महीने सभी मामलों के 5 प्रतिशत परीक्षण के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए INSACOG का समर्थन करना चाहिए.

सरकार को ये कदम तत्काल उठाने की जरूरत

  • जरूरी दवाओं (स्टेरॉयड) और उपकरणों की कमी को दूर करने के लिए दवा आपूर्ति श्रृंखला में बाधा को खत्म करना.
  • चिकित्सा सुविधाओं के बुनियादी ढांचे में निवेश, जिसमें रोगियों की परिवहन क्षमता में वृद्धि, और विशेष रूप से टियर-2 और टियर-3 शहरों में उच्च स्तर पर अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती शामिल है.
  • कोरोना मरीजों के इलाज के लिए स्वास्थ्य कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करना.
  • स्वास्थ्य कर्मियों की मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक आवश्यकताओं का समर्थन करने के लिए चल रहे कार्यक्रमों को मजबूत करना.
  • रिपोर्ट में स्थानीय, चरणबद्ध प्रतिबंध के उलट राष्ट्रीय या राज्य स्तर पर व्यापक लॉकडाउन की सिफारिश की गई है.
  • बड़ी सभाओं या भीड़ वाले स्थानों को बंद किया जाना चाहिए.

हैदराबाद : लैंसेट कोविड-19 कमीशन इंडिया टास्क फोर्स ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर ज्यादा संक्रामक है, इसलिए भारत को इससे निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है. इस अध्ययन में भारत में कोरोना टीके की 50 लाख दैनिक खुराक देने का समर्थन किया गया है. साथ ही महामारी से निपटने के लिए कई सुझाव दिए गए हैं.

लैंसेट कमीशन की प्रमुख सिफारिशें

  • वर्तमान प्राथमिकता की आबादी (45 वर्ष और अधिक) को टीका लगाने के लिए व्यापक टीकाकरण अभियान चलाया जाए. 11 अप्रैल, 2021 तक, 45 वर्ष और अधिक आयु वर्ग के 29.6 प्रतिशत लोगों को टीके की पहली या दूसरी खुराक दी जा चुकी थी. इस आयु वर्ग के शहरी गरीबों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि इनमें संक्रमण दर सबसे तेज है.
  • सरकार को उन सभी लोगों की पहचान करनी चाहिए, जो तपेदिक जैसी दीर्घकालिक बीमारियों से जूझ रहे हैं और ऐसे सभी लोगों को कोरोना टीका लगवाने की अनुमति देनी चाहिए, चाहे वे किसी भी आयु वर्ग के हों.
  • भारत में घरेलू उपयोग के लिए उपलब्ध सभी टीकों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं.
  • विनिर्माण क्षमता में वृद्धि : तीन तत्वों को तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है : 1- आयातित कच्चे माल के लिए वैकल्पिक स्रोत, जो पहले से ही कम आपूर्ति में हैं. 2- अन्य घरेलू निर्माताओं के जरिए सुविधाओं का विस्तार; 3- उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए निर्माताओं को वित्तीय सहायता का प्रावधान.
  • कोरोना टीकों को लेकर किसी भी आशंका या संदेह को दूर करने के लिए हेल्पलाइन और काउंसलर की व्यवस्था की जानी चाहिए.
  • टीकाकरण की अति-आवश्यकता के बारे में सुसंगत संदेश देने के लिए धार्मिक नेताओं, बुजुर्गों और सार्वजनिक हस्तियों के जरिए एक प्रचार अभियान शुरू किया जाना चाहिए, जिससे कि लक्षित आयु वर्ग के व्यवहार में बदलाव हो सके.
  • सरकार को एईएफआई दिशानिर्देशों को अपडेट करना चाहिए, जैसे-प्रत्येक वैक्सीन से संबंधित एईएफआई की आवृत्ति और एईएफआई की गंभीरता और प्रकृति.
  • भारत सरकार ने अपने राजनीतिक नेतृत्व के जरिए नागरिकों को मास्क पहनने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए तथा उल्लंघन के लिए अनिवार्य जुर्माना लगाना चाहिए.
  • कोरोना संक्रमण में वृद्धि की निगरानी के लिए अधिक सतर्कता, विशेष रूप से उन जिलों में जहां लोग इस तरह के आयोजनों से लौटेंगे. साथ ही जिलों में बढ़ते संक्रमण और स्वास्थ्य सुविधाओं पर दबाव को देखते हुए सभी सिनेमा हॉल, स्पोर्ट्स ग्राउंड व स्टेडियम, और इनडोर हॉल अप्रैल और मई महीने के लिए बंद किए जाने चाहिए.
  • कोरोना मरीजों का पता लगाने, परीक्षण करने और आइसोलेट करने के लिए सामुदायिक स्तर पर विकेंद्रीकृत दृष्टिकोण के साथ नए सिरे से ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए.
  • कोरोना परीक्षण पंजीकरण फॉर्म को संशोधित कर इस बात को शामिल किया जाना चाहिए कि क्या परीक्षण किए जा रहे व्यक्ति को वैक्सीन की एक या दोनों खुराकें मिली हैं. साथ ही वैक्सीन के प्रकार का विवरण होना चाहिए.
  • रिपोर्ट में दूसरे देशों से आने वाले सभी आगंतुकों के लिए अनिवार्य सात दिवसीय क्वारंटाइन और आठवें दिन आरटी-पीसीआर परीक्षण की सिफारिश की गई है. यदि टेस्ट पॉजिटिव आता है तो एक और सप्ताह के लिए होम क्वारंटाइन किया जाना चाहिए.
  • रिपोर्ट में देश के भीतर यात्रा पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाने की सिफारिश की गई है. साथ ही कहा गया है कि स्रोत और गंतव्य स्थानों पर परीक्षण के लिए सलाह जारी की जानी चाहिए.
  • राज्यों को कोरोना के मामलों और स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर खुद के प्रोटोकॉल बनाने चाहिए. साथ ही राज्य सरकारों को प्रवासी मजदूरों को घर लौटने में विशेष सहयोग करना चाहिए. उन्हें मास्क, परीक्षण और टीकाकरण के विकल्प के साथ उनके गृह जिलों में क्वारंटाइन सेंटर स्थापित किए जाने चाहिए, जिससे कि ग्रामीणों क्षेत्रों में संक्रमण न फैले.
  • कोरोना संक्रमण के मामलों में वृद्धि के मूल कारणों की पहचान के लिए केंद्रित प्रयास की जरूरत है. जिसमें कोरोना वायरस का जीनोम अनुक्रमण शामिल है, ताकि इसके वर्तमान म्यूटेंट या वेरिएंट के साथ इसकी प्रकृति और प्रकार का पता लगाया जा सके.
  • सरकार को हर महीने सभी मामलों के 5 प्रतिशत परीक्षण के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए INSACOG का समर्थन करना चाहिए.

सरकार को ये कदम तत्काल उठाने की जरूरत

  • जरूरी दवाओं (स्टेरॉयड) और उपकरणों की कमी को दूर करने के लिए दवा आपूर्ति श्रृंखला में बाधा को खत्म करना.
  • चिकित्सा सुविधाओं के बुनियादी ढांचे में निवेश, जिसमें रोगियों की परिवहन क्षमता में वृद्धि, और विशेष रूप से टियर-2 और टियर-3 शहरों में उच्च स्तर पर अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती शामिल है.
  • कोरोना मरीजों के इलाज के लिए स्वास्थ्य कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करना.
  • स्वास्थ्य कर्मियों की मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक आवश्यकताओं का समर्थन करने के लिए चल रहे कार्यक्रमों को मजबूत करना.
  • रिपोर्ट में स्थानीय, चरणबद्ध प्रतिबंध के उलट राष्ट्रीय या राज्य स्तर पर व्यापक लॉकडाउन की सिफारिश की गई है.
  • बड़ी सभाओं या भीड़ वाले स्थानों को बंद किया जाना चाहिए.
Last Updated : Apr 20, 2021, 12:31 PM IST
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