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लखीमपुर खीरी हिंसा : AIKS ने बताया भाजपा-आरएसएस की सुनियोजित साजिश - अखिल भारतीय किसान सभा

लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर अखिल भारतीय किसान सभा और अखिल भारतीय कृषि श्रमिक संघ के नेताओं और सदस्यों ने दिल्ली में उत्तर प्रदेश भवन के बाहर विरोध प्रदर्शन करने की कोशिश की, लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. किसान सभा के नेताओं ने इस घटना की कड़ी निंदा की और इसे आंदोलनकारी किसानों पर हमले की सुनियोजित साजिश बताया है.

लखीमपुर खीरी हिंसा
लखीमपुर खीरी हिंसा
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Published : Oct 4, 2021, 8:06 PM IST

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में रविवार को हुई हिंसा में चार किसानों सहित नौ लोगों की मौत के बाद अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) ने सोमवार को आरोप लगाया कि भाजपा शासित राज्यों में किसानों पर हमलों के पीछे आरएसएस और भाजपा की साजिश है.

अखिल भारतीय किसान सभा और अखिल भारतीय कृषि श्रमिक संघ के नेताओं और सदस्यों ने भी नई दिल्ली में उत्तर प्रदेश भवन के बाहर विरोध प्रदर्शन करने की कोशिश की, लेकिन जल्द ही दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. इसके बाद उन्हें मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन ले जाया गया और बाद में रिहा कर दिया गया.

लखीमपुर खीरी मुद्दे पर मीडिया को संबोधित करते हुए किसान सभा और AIAWU के नेताओं ने इस घटना की कड़ी निंदा की और इसे आंदोलनकारी किसानों पर हमले की सुनियोजित साजिश बताया.

अखिल भारतीय किसान सभा के वित्त सचिव पी कृष्ण प्रसाद ने कहा, हालात अब सरकार के नियंत्रण से बाहर होते जा रहे हैं. किसान मारे जा रहे हैं. हाल के दिनों में कई राज्यों में जहां भाजपा सत्ता में है, किसानों के खिलाफ इस तरह के हमले बढ़े हैं. हरियाणा में एक किसान सुशील काजोल की हत्या कर दी गई, फिर 28 अगस्त को असम में किसानों की हत्या कर दी गई. हरियाणा के मुख्यमंत्री ने तीन अक्टूबर को एक भड़काऊ बयान दिया था. घटनाओं की यह श्रृंखला भाजपा और आरएसएस के सर्वोच्च नेतृत्व की प्रत्यक्ष भागीदारी के साथ किसान संघर्ष को दबाने की साजिश को उजागर करती है.

किसान सभा ने मृतक परिवारों के लिए मुआवजे के रूप में एक करोड़ रुपये, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और गंभीर रूप से घायलों के लिए मुआवजे की मांग की है.

वामपंथी किसान संघ ने विपक्ष और किसान नेताओं को मृतकों के परिवारों से मिलने नहीं दिए जाने पर भी सवाल उठाए.

अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव एनके शुक्ला ने सवाल किया, क्या हमें इस देश में शांतिपूर्वक विरोध करने का अधिकार है या नहीं? मोदी सरकार बल प्रयोग कर किसान आंदोलन को दबाने की कोशिश कर रही है. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा को कुछ दिन पहले ही एक वीडियो में यह कहते हुए देखा गया था कि अगर मौका दिया गया तो वह दो मिनट के भीतर प्रदर्शनकारियों को सबक सिखाएंगे.

उन्होंने कहा कि सरकार अपना नाकामियों का पर्दाफाश होने की डर से नहीं चाहता है कि लोग वहां न जाएं और लोगों से बातचीत करें कि क्या गलत हुआ था. उन्होंने कहा कि नेताओं को रोका जाना लोकतांत्रिक नियमों के खिलाफ है. यदि कोई घटना हुई है तो सभी विपक्ष और किसान नेताओं को प्रभावित परिवारों से मिलने और मिलने का अधिकार है.

यह भी पढ़ें- लखीमपुर खीरी हिंसा पर बवाल, जानें पूरा घटनाक्रम

किसान नेताओं ने गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा को बर्खास्त करने और उनके बेटे आशीष मिश्रा के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 302 के तहत मामला दर्ज करने की भी मांग की, जो कथित रूप से तीन वाहनों के काफिले का हिस्सा थे, जिसने प्रदर्शनकारी किसानों को टक्कर मार दी थी.

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में रविवार को हुई हिंसा में चार किसानों सहित नौ लोगों की मौत के बाद अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) ने सोमवार को आरोप लगाया कि भाजपा शासित राज्यों में किसानों पर हमलों के पीछे आरएसएस और भाजपा की साजिश है.

अखिल भारतीय किसान सभा और अखिल भारतीय कृषि श्रमिक संघ के नेताओं और सदस्यों ने भी नई दिल्ली में उत्तर प्रदेश भवन के बाहर विरोध प्रदर्शन करने की कोशिश की, लेकिन जल्द ही दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. इसके बाद उन्हें मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन ले जाया गया और बाद में रिहा कर दिया गया.

लखीमपुर खीरी मुद्दे पर मीडिया को संबोधित करते हुए किसान सभा और AIAWU के नेताओं ने इस घटना की कड़ी निंदा की और इसे आंदोलनकारी किसानों पर हमले की सुनियोजित साजिश बताया.

अखिल भारतीय किसान सभा के वित्त सचिव पी कृष्ण प्रसाद ने कहा, हालात अब सरकार के नियंत्रण से बाहर होते जा रहे हैं. किसान मारे जा रहे हैं. हाल के दिनों में कई राज्यों में जहां भाजपा सत्ता में है, किसानों के खिलाफ इस तरह के हमले बढ़े हैं. हरियाणा में एक किसान सुशील काजोल की हत्या कर दी गई, फिर 28 अगस्त को असम में किसानों की हत्या कर दी गई. हरियाणा के मुख्यमंत्री ने तीन अक्टूबर को एक भड़काऊ बयान दिया था. घटनाओं की यह श्रृंखला भाजपा और आरएसएस के सर्वोच्च नेतृत्व की प्रत्यक्ष भागीदारी के साथ किसान संघर्ष को दबाने की साजिश को उजागर करती है.

किसान सभा ने मृतक परिवारों के लिए मुआवजे के रूप में एक करोड़ रुपये, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और गंभीर रूप से घायलों के लिए मुआवजे की मांग की है.

वामपंथी किसान संघ ने विपक्ष और किसान नेताओं को मृतकों के परिवारों से मिलने नहीं दिए जाने पर भी सवाल उठाए.

अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव एनके शुक्ला ने सवाल किया, क्या हमें इस देश में शांतिपूर्वक विरोध करने का अधिकार है या नहीं? मोदी सरकार बल प्रयोग कर किसान आंदोलन को दबाने की कोशिश कर रही है. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा को कुछ दिन पहले ही एक वीडियो में यह कहते हुए देखा गया था कि अगर मौका दिया गया तो वह दो मिनट के भीतर प्रदर्शनकारियों को सबक सिखाएंगे.

उन्होंने कहा कि सरकार अपना नाकामियों का पर्दाफाश होने की डर से नहीं चाहता है कि लोग वहां न जाएं और लोगों से बातचीत करें कि क्या गलत हुआ था. उन्होंने कहा कि नेताओं को रोका जाना लोकतांत्रिक नियमों के खिलाफ है. यदि कोई घटना हुई है तो सभी विपक्ष और किसान नेताओं को प्रभावित परिवारों से मिलने और मिलने का अधिकार है.

यह भी पढ़ें- लखीमपुर खीरी हिंसा पर बवाल, जानें पूरा घटनाक्रम

किसान नेताओं ने गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा को बर्खास्त करने और उनके बेटे आशीष मिश्रा के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 302 के तहत मामला दर्ज करने की भी मांग की, जो कथित रूप से तीन वाहनों के काफिले का हिस्सा थे, जिसने प्रदर्शनकारी किसानों को टक्कर मार दी थी.

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