नई दिल्ली : लखीमपुर खीरी हिंसा का मामला शांत पड़ता नहीं दिख रहा. ताजा घटनाक्रम में दो वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखा है. इसमें मांग की गई है कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में समयबद्ध तरीके से होनी चाहिए. बता दें कि गत 3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश में किसानों के विरोध के दौरान लखीमपुर खीरी में हिंसा हुई थी. इसमें आठ लोगों की मौत हुई थी.
लखीमपुर मामले में दो वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट को भेजे गए पत्र में कहा है कि गृह मंत्रालय को निर्देश दिया जाए. इसके अलावा यूपी पुलिस को भी प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश देने की मांग की गई है. पत्र में अपील की गई है कि लखीमपुर खीरी कांड में शामिल मंत्रियों को दंडित करने के निर्देश दिए जाएं.
पत्र में मांग की गई है कि लखीमपुर मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को शामिल करते हुए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में न्यायिक जांच होनी चाहिए. लखीमपुर खीरी मामले में पत्र लिखने वाले वकील शिव कुमार त्रिपाठी और सीएस पांडा ने कहा है कि किसानों की मौत एक गंभीर मामला है, और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना ही चाहिए.
वकीलों ने मांग की है कि उनके पत्र को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में जनहित याचिका (PIL) के रूप में स्वीकार किया जाए.
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पत्र में लिखा गया है कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में मानव अधिकार का उल्लंघन गंभीर मामला है. वकीलों ने लिखा है कि उत्तर प्रदेश सरकार की शह पर पुलिस की ज्यादतियां हो रही हैं. ज्यादतियों का वर्तमान दायरा, याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकार से जुड़ा है, जो सुप्रीम कोर्ट में वकालत कर रहा है.
किस घटना पर बरपा हंगामा
गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया क्षेत्र में रविवार को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पैतृक गांव के दौरे के विरोध को लेकर भड़की हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में मिश्रा के बेटे आशीष समेत कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.
(एजेंसी इनपुट)