लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने लखीमपुर कांड के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा के बेल आर्डर को सही करने के दिए आदेश हैं. न्यायमूर्ति राजीव सिंह ने आशीष मिश्रा की ओर से दाखिल सुधार प्रार्थना-पत्र के बाद यह आदेश दिया है. न्यायालय ने कहा कि सुनवाई के बाद बेल ऑर्डर में छूट गई आईपीसी की धारा 302 व 120 बी की धाराओं को जोड़ा जाए. 10 फरवरी को न्यायालय ने आशीष मिश्रा की जमानत याचिका की मंजूर की थी.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने लखीमपुर खीरी के तिकुनिया कांड में अभियुक्त बनाए गए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को जमानत दे दी. राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के अध्यक्ष जयंत चौधरी और भारतीय किसान यूनियन ने आशीष मिश्रा को जमानत मिलने पर नाखुशी जतायी। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने एक बार फिर मंत्री के इस्तीफे की मांग की। इस कांड में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी.
न्यायमूर्ति राजीव सिंह की एकल खंडपीठ ने इस मामले में बृहस्पतिवार को आशीष मिश्रा को जमानत दी। मिश्रा की ओर से पेश वकील ने अदालत से कहा था कि उनका मुवक्किल निर्दोष है और उसके खिलाफ इस बात का कोई सबूत नहीं है कि उसने किसानों को कुचलने के लिए एक वाहन के चालक को उकसाया था। याचिका का विरोध करते हुए, अपर महाधिवक्ता वी के शाही ने कहा था कि घटना के समय मिश्रा उस कार में सवार थे जिसने किसानों को कथित तौर पर अपने पहियों के नीचे कुचल दिया था.
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उल्लेखनीय है कि इस घटना की जांच उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन की निगरानी में हुई है.
अदालत की लखनऊ पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए सुनवाई पूरी करने के बाद मिश्रा की याचिका पर 18 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था. लखीमपुर खीरी मामले में केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को उच्च न्यायालय द्वारा जमानत प्रदान किये जाने के बीच बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के अध्यक्ष जयंत चौधरी और भारतीय किसान यूनियन ने देश की न्यायिक व्यवस्था पर सवाल उठाया.