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लखीमपुर खीरी हिंसा मामले पर आज सुनवाई करेगा उच्चतम न्यायालय

लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को हुई हिंसा के मामले में उच्चतम न्यायालय आज सुनवाई करेगा. इस घटना में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी. प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की एक पीठ मामले पर सुनवाई करेगी.

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Published : Oct 19, 2021, 6:36 PM IST

Updated : Oct 20, 2021, 2:21 AM IST

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को हुई हिंसा के मामले में आज सुनवाई करेगा. इस घटना में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी. प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की एक पीठ मामले पर सुनवाई करेगी. इसी पीठ ने आठ लोगों की 'बर्बर' हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की कार्रवाई पर आठ अक्टूबर को असंतोष व्यक्त किया था. मामले में अभी तक केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा सहित 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

सीजेआई को एक पत्र लिखकर दो वकीलों ने घटना की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग की थी, जिसमें सीबीआई को भी शामिल किया जाए. इसके बाद ही शीर्ष अदालत ने मामले पर सुनवाई शुरू की. गौरतलब है कि किसानों का एक समूह उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा के खिलाफ तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहा था, तभी लखीमपुर खीरी में एक एसयूवी (कार) ने चार किसानों को कुचल दिया. इससे गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने भाजपा के दो कार्यकर्ताओं और एक चालक की कथित तौर पर पीट कर हत्या कर दी, जबकि हिंसा में एक स्थानीय पत्रकार की भी मौत हो गई.

पढ़ेंः लखीमपुर हिंसा : कांग्रेस का देश भर में 'मौन व्रत' कार्यक्रम, अजय मिश्रा की बर्खास्तगी की मांग

किसानों के अनेक संगठन 'कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून, 2020', 'कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) कानून, 2020' और 'आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून' को वापस लेने की मांग को लेकर पिछले साल नवंबर से आंदोलन कर रहे हैं. पंजाब से शुरू हुआ यह आंदोलन धीरे-धीरे दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भी फैल गया. शीर्ष अदालत ने जनवरी में कानूनों को अमल में लाने पर रोक लगा दी थी.

पढ़ेंः लखीमपुर हिंसा : 22 किसानों को समन, चार और आरोपी गिरफ्तार

शीर्ष अदालत ने आठ अक्टूबर को लखीमपुर खीरी हिंसा के मामले में सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के आरोपियों को गिरफ्तार ना करने के कदम पर सवाल उठाए थे और साक्ष्यों को संरक्षित रखने का निर्देश दिया था. पीठ ने कहा था कि कानून सभी आरोपियों के खिलाफ समान रूप से लागू होना चाहिए और ' आठ लोगों की बर्बर हत्या की जांच में विश्वास जगाने के लिए सरकार को इस संबंध में सभी उपचारात्मक कदम उठाने होंगे.' राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने आठ अक्टूबर को शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया था कि मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी.

(पीटीआई-भाषा)

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को हुई हिंसा के मामले में आज सुनवाई करेगा. इस घटना में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी. प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की एक पीठ मामले पर सुनवाई करेगी. इसी पीठ ने आठ लोगों की 'बर्बर' हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की कार्रवाई पर आठ अक्टूबर को असंतोष व्यक्त किया था. मामले में अभी तक केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा सहित 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

सीजेआई को एक पत्र लिखकर दो वकीलों ने घटना की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग की थी, जिसमें सीबीआई को भी शामिल किया जाए. इसके बाद ही शीर्ष अदालत ने मामले पर सुनवाई शुरू की. गौरतलब है कि किसानों का एक समूह उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा के खिलाफ तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहा था, तभी लखीमपुर खीरी में एक एसयूवी (कार) ने चार किसानों को कुचल दिया. इससे गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने भाजपा के दो कार्यकर्ताओं और एक चालक की कथित तौर पर पीट कर हत्या कर दी, जबकि हिंसा में एक स्थानीय पत्रकार की भी मौत हो गई.

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किसानों के अनेक संगठन 'कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून, 2020', 'कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) कानून, 2020' और 'आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून' को वापस लेने की मांग को लेकर पिछले साल नवंबर से आंदोलन कर रहे हैं. पंजाब से शुरू हुआ यह आंदोलन धीरे-धीरे दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भी फैल गया. शीर्ष अदालत ने जनवरी में कानूनों को अमल में लाने पर रोक लगा दी थी.

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शीर्ष अदालत ने आठ अक्टूबर को लखीमपुर खीरी हिंसा के मामले में सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के आरोपियों को गिरफ्तार ना करने के कदम पर सवाल उठाए थे और साक्ष्यों को संरक्षित रखने का निर्देश दिया था. पीठ ने कहा था कि कानून सभी आरोपियों के खिलाफ समान रूप से लागू होना चाहिए और ' आठ लोगों की बर्बर हत्या की जांच में विश्वास जगाने के लिए सरकार को इस संबंध में सभी उपचारात्मक कदम उठाने होंगे.' राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने आठ अक्टूबर को शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया था कि मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Oct 20, 2021, 2:21 AM IST
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