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लद्दाख गतिरोध पर 11 मार्च की वार्ता में दोनों पक्षों को मिल सकता है स्वीकार्य ‘उचित समाधान’ : चीन

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Published : Mar 9, 2022, 10:52 PM IST

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन (Chinese Foreign Ministry spokesman Zhao Lijian) ने 11 मार्च को उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता के 15वें दौर की (15th Round Of High-Level Military Talks) पुष्टि करते हुए बुधवार को यहां प्रेस वार्ता में कहा कि (बातचीत के पिछले दौर में) दोनों पक्षों ने सीमा के पश्चिमी क्षेत्र पर शेष मुद्दे को हल करने पर विचारों का गहराई से आदान-प्रदान किया था और एक संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की थी.

Ladakh standoff  China hopes proper settlement acceptable at next meet
लद्दाख गतिरोध पर 11 मार्च की वार्ता में दोनों पक्षों को मिल सकता है स्वीकार्य ‘उचित समाधान’

बीजिंग : चीन (China) ने बुधवार को उम्मीद जताई कि इस सप्ताह भारत के साथ उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता (High Level Military Talks) के दौरान दोनों पड़ोसी देश अपने मतभेदों को और कम करने की तरफ 'आगे बढ़ सकते हैं', तथा पूर्वी लद्दाख में शेष विवाद वाले क्षेत्रों पर दोनों पक्ष स्वीकार्य ‘उचित समझौता’ () कर सकते हैं. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन (Chinese Foreign Ministry spokesman Zhao Lijian) ने 11 मार्च को उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता के 15वें दौर की (15th Round Of High-Level Military Talks) पुष्टि करते हुए बुधवार को यहां प्रेस वार्ता में कहा कि (बातचीत के पिछले दौर में) दोनों पक्षों ने सीमा के पश्चिमी क्षेत्र पर शेष मुद्दे को हल करने पर विचारों का गहराई से आदान-प्रदान किया था और एक संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की थी.

मंत्रालय की वेबसाइट पर डाले गए अद्यतन बयान में प्रवक्ता ने कहा कि पिछली बैठकों के आधार पर हमें उम्मीद है कि बैठक का यह दौर आगे बढ़ सकता है, आम सहमति को और बढ़ा सकता है, मतभेदों को कम कर सकता है और दोनों पक्षों को स्वीकार्य समाधान के लिए काम कर सकता है. अब तक की बातचीत से पैंगोंग सो (झील) के उत्तर और दक्षिण किनारों, गलवान और गोगरा हॉट स्प्रिंग क्षेत्रों में मुद्दों का समाधान हुआ है. हालांकि, इस साल 12 जनवरी को हुई बातचीत के 14वें दौर में कोई नई सफलता नहीं मिली.

पढ़ें: Army Day 2022 : भारत का कद बढ़ने के बीच राष्ट्रीय हितों की रक्षा में सेना अहम बनी रहेगी: राजनाथ

भारतीय अधिकारियों के अनुसार, शेष क्षेत्रों में 22 महीने से जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए दोनों पक्ष शुक्रवार को लद्दाख में चुशुल मोल्दो में अगले दौर की बैठक करेंगे. उन्होंने उल्लेख किया कि पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान खोजने के लिए दोनों पक्षों द्वारा हाल के बयान उत्साहजनक और सकारात्मक प्रकृति के हैं. भारत चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले शेष बिंदुओं जैसे पैट्रोलिंग पॉइंट 15 (हॉट स्प्रिंग्स), देपसांग बुलगे और डेमचोक में तनाव घटाने के बारे में बात कर रहा है. पैगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद पांच मई 2020 को भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध शुरू हुआ.

दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों के साथ-साथ भारी सैन्य साजो सामान की तैनाती कर दी. चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने सोमवार को कहा कि उनके देश और भारत को पिछले कुछ साल में द्विपक्षीय संबंधों में ‘थोड़ी मुश्किलों का’ सामना करना पड़ा है. उन्होंने यह भी कहा कि जटिल सीमा मुद्दे और क्षेत्र पर मतभेद को 'द्विपक्षीय सहयोग की बड़ी तस्वीर में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.' राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के साथ वांग भारत-चीन सीमा से जुड़े सवालों पर चीन के विशेष प्रतिनिधि भी हैं. उन्होंने आशा व्यक्त की कि चीन और भारत 'परस्पर संघर्ष के विरोधियों के बजाय पारस्परिक सफलता के भागीदार' होंगे.

पढ़ें: सीमा गतिरोध : लद्दाख में तैनात किए गए राफेल लड़ाकू विमान

यह पूछे जाने पर कि चीन आपसी विश्वास बढ़ाने और असफलताओं को दूर करने के लिए क्या कदम उठा रहा है, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अपने मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि चीन और भारत व्यापक साझा हितों और सहयोग के लिए विशाल क्षमताओं का दावा करते हैं, और आजीविका में सुधार और विकास में तेजी लाने का उनका ऐतिहासिक मिशन है. झाओ ने कहा कि आपसी संघर्ष के विरोधियों के बजाय आपसी सफलता के लिए दोनों देशों को भागीदार होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम हमेशा मानते हैं कि चीन-भारत संबंध परिपक्व और बहुआयामी हैं. सीमा मुद्दा पूरे चीन-भारत संबंधों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है. इसे द्विपक्षीय संबंधों और प्रभावी नियंत्रण में उचित स्थिति में रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि भारत चीन के साथ आपसी विश्वास को लगातार बढ़ाने, व्यावहारिक सहयोग को मजबूत करने और यह सुनिश्चित करने के लिए काम करेगा कि द्विपक्षीय संबंध सही रास्ते पर आगे बढ़ें, जो दोनों लोगों को अधिक लाभ पहुंचाएंगे. इस क्षेत्र और उससे आगे के लिए अधिक व्यापक योगदान देगा.

बीजिंग : चीन (China) ने बुधवार को उम्मीद जताई कि इस सप्ताह भारत के साथ उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता (High Level Military Talks) के दौरान दोनों पड़ोसी देश अपने मतभेदों को और कम करने की तरफ 'आगे बढ़ सकते हैं', तथा पूर्वी लद्दाख में शेष विवाद वाले क्षेत्रों पर दोनों पक्ष स्वीकार्य ‘उचित समझौता’ () कर सकते हैं. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन (Chinese Foreign Ministry spokesman Zhao Lijian) ने 11 मार्च को उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता के 15वें दौर की (15th Round Of High-Level Military Talks) पुष्टि करते हुए बुधवार को यहां प्रेस वार्ता में कहा कि (बातचीत के पिछले दौर में) दोनों पक्षों ने सीमा के पश्चिमी क्षेत्र पर शेष मुद्दे को हल करने पर विचारों का गहराई से आदान-प्रदान किया था और एक संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की थी.

मंत्रालय की वेबसाइट पर डाले गए अद्यतन बयान में प्रवक्ता ने कहा कि पिछली बैठकों के आधार पर हमें उम्मीद है कि बैठक का यह दौर आगे बढ़ सकता है, आम सहमति को और बढ़ा सकता है, मतभेदों को कम कर सकता है और दोनों पक्षों को स्वीकार्य समाधान के लिए काम कर सकता है. अब तक की बातचीत से पैंगोंग सो (झील) के उत्तर और दक्षिण किनारों, गलवान और गोगरा हॉट स्प्रिंग क्षेत्रों में मुद्दों का समाधान हुआ है. हालांकि, इस साल 12 जनवरी को हुई बातचीत के 14वें दौर में कोई नई सफलता नहीं मिली.

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भारतीय अधिकारियों के अनुसार, शेष क्षेत्रों में 22 महीने से जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए दोनों पक्ष शुक्रवार को लद्दाख में चुशुल मोल्दो में अगले दौर की बैठक करेंगे. उन्होंने उल्लेख किया कि पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान खोजने के लिए दोनों पक्षों द्वारा हाल के बयान उत्साहजनक और सकारात्मक प्रकृति के हैं. भारत चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले शेष बिंदुओं जैसे पैट्रोलिंग पॉइंट 15 (हॉट स्प्रिंग्स), देपसांग बुलगे और डेमचोक में तनाव घटाने के बारे में बात कर रहा है. पैगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद पांच मई 2020 को भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध शुरू हुआ.

दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों के साथ-साथ भारी सैन्य साजो सामान की तैनाती कर दी. चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने सोमवार को कहा कि उनके देश और भारत को पिछले कुछ साल में द्विपक्षीय संबंधों में ‘थोड़ी मुश्किलों का’ सामना करना पड़ा है. उन्होंने यह भी कहा कि जटिल सीमा मुद्दे और क्षेत्र पर मतभेद को 'द्विपक्षीय सहयोग की बड़ी तस्वीर में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.' राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के साथ वांग भारत-चीन सीमा से जुड़े सवालों पर चीन के विशेष प्रतिनिधि भी हैं. उन्होंने आशा व्यक्त की कि चीन और भारत 'परस्पर संघर्ष के विरोधियों के बजाय पारस्परिक सफलता के भागीदार' होंगे.

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यह पूछे जाने पर कि चीन आपसी विश्वास बढ़ाने और असफलताओं को दूर करने के लिए क्या कदम उठा रहा है, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अपने मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि चीन और भारत व्यापक साझा हितों और सहयोग के लिए विशाल क्षमताओं का दावा करते हैं, और आजीविका में सुधार और विकास में तेजी लाने का उनका ऐतिहासिक मिशन है. झाओ ने कहा कि आपसी संघर्ष के विरोधियों के बजाय आपसी सफलता के लिए दोनों देशों को भागीदार होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम हमेशा मानते हैं कि चीन-भारत संबंध परिपक्व और बहुआयामी हैं. सीमा मुद्दा पूरे चीन-भारत संबंधों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है. इसे द्विपक्षीय संबंधों और प्रभावी नियंत्रण में उचित स्थिति में रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि भारत चीन के साथ आपसी विश्वास को लगातार बढ़ाने, व्यावहारिक सहयोग को मजबूत करने और यह सुनिश्चित करने के लिए काम करेगा कि द्विपक्षीय संबंध सही रास्ते पर आगे बढ़ें, जो दोनों लोगों को अधिक लाभ पहुंचाएंगे. इस क्षेत्र और उससे आगे के लिए अधिक व्यापक योगदान देगा.

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