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संसदीय स्वास्थ्य समिति ने सरकार से की सिफारिश, टीबी की जांच के प्रयास युद्धस्तर पर हों

टीबी उन्मूलन के लक्ष्य के मद्देनजर सरकार से संसदीय स्वास्थ्य समिति ने सिफारिश की है कि टीबी के मामलों की संख्या गरीब और झुग्गी-झोपड़ी वाले क्षेत्रों में अधिक है. ऐसे में टीबी की जांच और इलाज युद्धस्तर पर किये जाने चाहिए. पढ़ें ईटीवी भारत के संवाददाता गौतम देवरॉय की ये रिपोर्ट...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 7, 2023, 8:04 PM IST

नई दिल्ली : भारत के टीबी उन्मूलन मिशन के तहत, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर संसदीय स्थायी समिति ने बताया कि टीबी ट्रांसमिशन, खासतौर पर गरीब और झुग्गी-झोपड़ी वाले क्षेत्रों में संक्रमण दर में वृद्धि देखी गई है. राज्यसभा सांसद भुवनेश्वर कलिता की अध्यक्षता वाली समिति ने आगे कहा कि एक्स-रे और सीबीएनएएटी के जरिये जांच में कमी के कारण टीबी के मामलों का पता लगाने में भी देरी हो रही है. समिति ने हाल ही में संसद में पेश अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा है कि शुरुआती चरणों में टीबी की जांच और पता लगाने के प्रयास युद्ध स्तर पर किए जाने चाहिए.

2025 तक टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए समिति ने सिफारिश दी कि संक्रमण की त्वरित पुष्टि के लिए एक्स-रे के अधिक उपयोग से टीबी के मामलों का पता लगाने और इलाज की व्यवस्था को दुरुस्त करने की जरूरत है. राष्ट्रीय टीबी प्रसार सर्वेक्षण 2021 के मुताबिक, 100 टीबी मामलों में से एक्स-रे से 95 मामलों का पता लगाया गया है. इसके अलावा, सर्वे के दौरान जिन लोगों का निदान किया गया, उनमें से 50 प्रतिशत से अधिक में टीबी के लक्षण नहीं थे, लेकिन सीने के एक्स-रे में असामान्यता थी, जिसके कारण उनमें टीबी का निदान हुआ.

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "इसलिए, केवल लक्षणों के आधार पर नैदानिक मूल्यांकन पर निर्भरता और एक्स-रे डायग्नोस्टिक सुविधाओं की अनुपलब्धता के कारण लगभग 33 प्रतिशत मामले छूट गए." समिति ने सरकार को सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं पर एक्स-रे व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने का सुझाव दिया. इसके अलावा, समिति ने कहा कि टीबी के मामलों का जल्द पता लगाने में तेजी लाने के लिए, जिले तथा ब्लॉक स्तर पर स्क्रीनिंग के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-सक्षम पोर्टेबल और एक्स-रे यूनिट तैनात करने पर विचार किया जाना चाहिए. साथ ही, पंजीकृत निजी केंद्रों पर रियायती दरों पर एक्स-रे मशीनें उपलब्ध कराने पर भी विचार किया जा सकता है. समिति ने सभी स्वास्थ्य केंद्र के ओपीडी में गहन मामलों की खोज के कार्यान्वयन पर भी जोर दिया.

नई दिल्ली : भारत के टीबी उन्मूलन मिशन के तहत, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर संसदीय स्थायी समिति ने बताया कि टीबी ट्रांसमिशन, खासतौर पर गरीब और झुग्गी-झोपड़ी वाले क्षेत्रों में संक्रमण दर में वृद्धि देखी गई है. राज्यसभा सांसद भुवनेश्वर कलिता की अध्यक्षता वाली समिति ने आगे कहा कि एक्स-रे और सीबीएनएएटी के जरिये जांच में कमी के कारण टीबी के मामलों का पता लगाने में भी देरी हो रही है. समिति ने हाल ही में संसद में पेश अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा है कि शुरुआती चरणों में टीबी की जांच और पता लगाने के प्रयास युद्ध स्तर पर किए जाने चाहिए.

2025 तक टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए समिति ने सिफारिश दी कि संक्रमण की त्वरित पुष्टि के लिए एक्स-रे के अधिक उपयोग से टीबी के मामलों का पता लगाने और इलाज की व्यवस्था को दुरुस्त करने की जरूरत है. राष्ट्रीय टीबी प्रसार सर्वेक्षण 2021 के मुताबिक, 100 टीबी मामलों में से एक्स-रे से 95 मामलों का पता लगाया गया है. इसके अलावा, सर्वे के दौरान जिन लोगों का निदान किया गया, उनमें से 50 प्रतिशत से अधिक में टीबी के लक्षण नहीं थे, लेकिन सीने के एक्स-रे में असामान्यता थी, जिसके कारण उनमें टीबी का निदान हुआ.

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "इसलिए, केवल लक्षणों के आधार पर नैदानिक मूल्यांकन पर निर्भरता और एक्स-रे डायग्नोस्टिक सुविधाओं की अनुपलब्धता के कारण लगभग 33 प्रतिशत मामले छूट गए." समिति ने सरकार को सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं पर एक्स-रे व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने का सुझाव दिया. इसके अलावा, समिति ने कहा कि टीबी के मामलों का जल्द पता लगाने में तेजी लाने के लिए, जिले तथा ब्लॉक स्तर पर स्क्रीनिंग के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-सक्षम पोर्टेबल और एक्स-रे यूनिट तैनात करने पर विचार किया जाना चाहिए. साथ ही, पंजीकृत निजी केंद्रों पर रियायती दरों पर एक्स-रे मशीनें उपलब्ध कराने पर भी विचार किया जा सकता है. समिति ने सभी स्वास्थ्य केंद्र के ओपीडी में गहन मामलों की खोज के कार्यान्वयन पर भी जोर दिया.

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