ETV Bharat / bharat

केवीआईसी ने रेशम उद्योग को बढ़ावा देने के लिए ओडिशा का पहला रेशम यार्न उत्पादन केंद्र स्थापित किया - रेशम यार्न उत्पादन केंद्र

खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने कटक जिले के चौद्वार में ओडिशा का पहला टसर सिल्क यार्न उत्पादन केंद्र स्थापित करने के लिए एक ऐतिहासिक पहल की है. यह रेशम धागा उत्पादन केंद्र टसर रेशम के धागे की स्थानीय उपलब्धता सुनिश्चित करेगा, स्थानीय रोजगार पैदा करेगा और रेशम उत्पादन लागत को कम करेगा.

केवीआईसी ने रेशम उद्योग
रेशम उद्योग
author img

By

Published : Sep 24, 2021, 10:54 PM IST

नई दिल्ली : सैकड़ों वर्षों से ओडिशा अपने उत्तम रेशम, विशेष रूप से रेशम की तुसर किस्म के लिए जाना जाता है. यह रेशम हजारों आदिवासी लोगों और विशेषकर महिलाओं को आजीविका प्रदान करता है, लेकिन राज्य में रेशम के बुनकर रेशम के धागे के लिए पूरी तरह से पश्चिम बंगाल, झारखंड और कर्नाटक जैसे राज्यों पर निर्भर थे, जिससे रेशम के कपड़े की लागत बढ़ गई थी.

खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने कटक जिले के चौद्वार में ओडिशा का पहला टसर सिल्क यार्न उत्पादन केंद्र स्थापित करने के लिए एक ऐतिहासिक पहल की है. यह रेशम धागा उत्पादन केंद्र टसर रेशम के धागे की स्थानीय उपलब्धता सुनिश्चित करेगा, स्थानीय रोजगार पैदा करेगा और रेशम उत्पादन लागत को कम करेगा. टसर रेशम की बेहतरीन किस्मों में से एक है और इसका खुरदरापन और बुनाई इसे बाकी किस्मों से अलग करती है. रेशम धागा उत्पादन केंद्र का उद्घाटन शुक्रवार को केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने किया.

यह केंद्र बहुत महत्व रखता है, क्योंकि रेशम ओडिशा में कुल खादी कपड़े के उत्पादन का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा है. यह रेशम धागा उत्पादन केंद्र 34 महिलाओं सहित 50 कारीगरों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार पैदा करेगा, साथ ही कोकून की खेती में लगे 300 से अधिक आदिवासी किसानों को आजीविका सहायता प्रदान करेगा. इससे राज्य में बुनकरों और रीलरों के लिए अप्रत्यक्ष रोजगार भी पैदा होगा. प्रत्येक किलो कच्चे रेशम का उत्पादन 11 कारीगरों के लिए रोजगार पैदा करता है, जिनमें से 6 महिलाएं हैं.

पढ़ें - जातीय जनगणना पर तेजस्वी ने नीतीश के पाले में डाली गेंद, कहा- 'हमें CM की प्रतिक्रिया का इंतजार'

इस मौके परसक्सेना ने कहा, 'रेशम भारत की कालातीत विरासत है, जो हमारी संस्कृति और परंपरा का अभिन्न अंग है. यह भारतीय कपड़ा उद्योग, विशेष रूप से खादी का एक प्रमुख घटक भी है. इस रेशम धागा उत्पादन केंद्र के चालू होने से रेशम के धागे का उत्पादन स्थानीय स्तर पर होगा और इस प्रकार रेशम उत्पादन की लागत में कमी आएगी। इससे ओडिशा के प्रसिद्ध टसर सिल्क की बिक्री को बढ़ावा मिलेगा और सिल्क के पारंपरिक शिल्प को मजबूती मिलेगी.'

75 लाख रुपये की लागत से स्थापित रेशम धागा उत्पादन केंद्र सालाना 94 लाख रुपये मूल्य के 200 किलोग्राम रेशम के धागे का उत्पादन करने में सक्षम है. बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए इस इकाई की उत्पादन क्षमता को धीरे-धीरे बढ़ाया जाएगा. यह रेशम यार्न उत्पादन केंद्र रेशम रीलिंग मशीन, री-रीलिंग मशीन, कताई मशीन और अन्य जैसी उन्नत मशीनरी से लैस है।

नई दिल्ली : सैकड़ों वर्षों से ओडिशा अपने उत्तम रेशम, विशेष रूप से रेशम की तुसर किस्म के लिए जाना जाता है. यह रेशम हजारों आदिवासी लोगों और विशेषकर महिलाओं को आजीविका प्रदान करता है, लेकिन राज्य में रेशम के बुनकर रेशम के धागे के लिए पूरी तरह से पश्चिम बंगाल, झारखंड और कर्नाटक जैसे राज्यों पर निर्भर थे, जिससे रेशम के कपड़े की लागत बढ़ गई थी.

खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने कटक जिले के चौद्वार में ओडिशा का पहला टसर सिल्क यार्न उत्पादन केंद्र स्थापित करने के लिए एक ऐतिहासिक पहल की है. यह रेशम धागा उत्पादन केंद्र टसर रेशम के धागे की स्थानीय उपलब्धता सुनिश्चित करेगा, स्थानीय रोजगार पैदा करेगा और रेशम उत्पादन लागत को कम करेगा. टसर रेशम की बेहतरीन किस्मों में से एक है और इसका खुरदरापन और बुनाई इसे बाकी किस्मों से अलग करती है. रेशम धागा उत्पादन केंद्र का उद्घाटन शुक्रवार को केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने किया.

यह केंद्र बहुत महत्व रखता है, क्योंकि रेशम ओडिशा में कुल खादी कपड़े के उत्पादन का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा है. यह रेशम धागा उत्पादन केंद्र 34 महिलाओं सहित 50 कारीगरों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार पैदा करेगा, साथ ही कोकून की खेती में लगे 300 से अधिक आदिवासी किसानों को आजीविका सहायता प्रदान करेगा. इससे राज्य में बुनकरों और रीलरों के लिए अप्रत्यक्ष रोजगार भी पैदा होगा. प्रत्येक किलो कच्चे रेशम का उत्पादन 11 कारीगरों के लिए रोजगार पैदा करता है, जिनमें से 6 महिलाएं हैं.

पढ़ें - जातीय जनगणना पर तेजस्वी ने नीतीश के पाले में डाली गेंद, कहा- 'हमें CM की प्रतिक्रिया का इंतजार'

इस मौके परसक्सेना ने कहा, 'रेशम भारत की कालातीत विरासत है, जो हमारी संस्कृति और परंपरा का अभिन्न अंग है. यह भारतीय कपड़ा उद्योग, विशेष रूप से खादी का एक प्रमुख घटक भी है. इस रेशम धागा उत्पादन केंद्र के चालू होने से रेशम के धागे का उत्पादन स्थानीय स्तर पर होगा और इस प्रकार रेशम उत्पादन की लागत में कमी आएगी। इससे ओडिशा के प्रसिद्ध टसर सिल्क की बिक्री को बढ़ावा मिलेगा और सिल्क के पारंपरिक शिल्प को मजबूती मिलेगी.'

75 लाख रुपये की लागत से स्थापित रेशम धागा उत्पादन केंद्र सालाना 94 लाख रुपये मूल्य के 200 किलोग्राम रेशम के धागे का उत्पादन करने में सक्षम है. बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए इस इकाई की उत्पादन क्षमता को धीरे-धीरे बढ़ाया जाएगा. यह रेशम यार्न उत्पादन केंद्र रेशम रीलिंग मशीन, री-रीलिंग मशीन, कताई मशीन और अन्य जैसी उन्नत मशीनरी से लैस है।

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.