नई दिल्ली : विदेश मंत्री डॉ जयशंकर बुधवार को कतर होते हुए कुवैत के लिए रवाना हुए. वह खाड़ी देश के तीन दिवसीय आधिकारिक दौरे पर हैं. इस दौरान वे द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के तौर तरीकों पर बातचीत करेंगे. विदेश मंत्री के रूप में कुवैत की यह उनकी पहली यात्रा होगी.
यात्रा के दौरान उनका उच्च स्तरीय बैठकें करने और कुवैत में भारतीय समुदाय को संबोधित करने का भी कार्यक्रम है.
वह महामारी की दूसरी लहर के दौरान भारत को दिए गए समर्थन के लिए दोनों देशों को धन्यवाद देंगे. बता दें कि कतर और कुवैत दोनों तरल चिकित्सा ऑक्सीजन की आपूर्ति में भारत के लिए मुख्य रसद केंद्र थे.
कुवैत में जयशंकर का अपने समकक्ष शेख मोहम्मद नसीर अल-मोहम्मद अल-सबा से मिलने और निवेश, व्यापार, ऊर्जा और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे कई मुद्दों पर चर्चा करने का कार्यक्रम है. वह कुवैत के अमीर शेख नवाफ अल-अहमद अल-सबा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लिखा गया एक पत्र भी सौंपेंगे.
बता दें कि वर्ष 2021-22 में भारत और कुवैत के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ है.
कोविड-19 की दूसरी लहर से लड़ने में भारत की मदद करने के लिए कुवैत सरकार भारत को तरल चिकित्सा ऑक्सीजन की निरंतर और विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभा रहा है.
कुवैत ने दवाओं, ऑक्सीमीटर, मास्क और दस्ताने के अलावा भारत को 5,267 ऑक्सीजन सिलेंडर, 55 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, 450 मीट्रिक टन तरल ऑक्सीजन और 11 वेंटिलेटर की आपूर्ति की थी.
दूसरी ओर कतर एक प्रमुख लॉजिस्टिक हब था और अगस्त 2020 से लागू एयर बबल व्यवस्था के तहत यात्री उड़ानों की आवाजाही को सुनिश्चित कर रहा है.
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विदेश मंत्रालय ने कहा, भारत और कुवैत के बीच पारंपरिक रूप से घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंध वहां रह रहे लोगों से मजबूत बने हुए हैं. कुवैत में करीब दस लाख भारतीय रह रहे हैं. भारत कुवैत के सबसे बड़े व्यापारिक भागीदारों में से एक है और कुवैत भारत के लिए तेल का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है.
इससे पहले, कुवैत राज्य के विदेश मंत्री और कैबिनेट मामलों के राज्य मंत्री, शेख डॉ अहमद नासिर अल-मोहम्मद अल-सबाह ने इस वर्ष 17-18 मार्च को भारत का दौरा किया था. यात्रा के दौरान दोनों देश, विदेश मंत्रियों के स्तर पर एक संयुक्त आयोग स्थापित करने पर सहमत हुए थे.
साथ ही, अप्रैल में कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी ने पीएम मोदी को फोन किया था और भारत के लिए समर्थन का आश्वासन देने के अलावा भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की थी.