नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वकील की अनुपलब्धता के कारण भीमा कोरेगांव के आरोपी वर्नन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई अगले सप्ताह 6 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी है. यह मामला न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की खंडपीठ के समक्ष आया था.
याचिकाकर्ताओं ने बॉम्बे हाई कोर्ट के 2019 के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था, लेकिन एक अन्य सह आरोपी सुधा भारद्वाज को जमानत दे दी थी. उन्होंने एचसी के साथ भी एक समीक्षा याचिका दायर की थी, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया था.
वे जनवरी 2018 में हुई भीमा कोरेगांव हिंसा के सिलसिले में कथित माओवादियों से संपर्क को लेकर 28 अगस्त, 2018 से हिरासत में हैं. उन दोनों पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत आरोप लगाए गए हैं.
वर्नोन गोंजाल्विस एक शिक्षाविद और लेखक हैं, जो आदिवासी अधिकारों और कैदियों के अधिकारों को उजागर करने के लिए जाने जाते हैं. अरुण फरेरा एक वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं, जो डेमोक्रेटिक राइट्स प्रोटेक्शन कमेटी और इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीपल्स लॉयर्स के सदस्य थे.