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Nusrat Jahan Flat Case: नुसरत की कंपनी के खिलाफ शिकायत, मिली अहम जानकारी

नुसरत जहां पर वित्तीय धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है. उनकी कंपनी ने पैसे लेने के बाद भी खरीदारों को फ्लैट नहीं दिया तृणमूल सांसद ने दावा किया कि यह झूठा है, लेकिन पुलिस को आरोपों के समर्थन में प्राथमिक जानकारी मिली है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Aug 4, 2023, 1:55 PM IST

कोलकाता : कोलकाता पुलिस को नुसरत जहां की संस्था पर लगे आरोपों के समर्थन में प्रथम दृष्टया सबूत मिले हैं. इससे पहले बुधवार को कोलकाता प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस में सांसद ने दावा किया कि उन पर लगाए गए आरोप झूठे हैं. इससे पहले सोमवार को बीजेपी नेता शंकुदेव पांडा ने ईडी दफ्तर का दौरा किया था उन्होंने सांसद नुसरत जहां के खिलाफ वित्तीय धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई है.

इसी बीच 2022 में नुसरत के खिलाफ गरियाहाट थाने में फ्लैट करप्शन के आरोप में केस दर्ज किया गया. बाद में उनके खिलाफ अलीपुर कोर्ट में केस दायर किया गया. मामले में कोर्ट ने पूरी घटना की सच्चाई जांचने का जिम्मा कोलकाता पुलिस के चीफ डिटेक्टिव को दिया. कोर्ट ने अपनी निगरानी में जांच कराते हुए रिपोर्ट सौंपने का भी आदेश दिया.

कोलकाता पुलिस के चीफ डिटेक्टिव ने इस घटना के संदिग्ध से लेकर आरोपियों की एक सूची बनाई. उन लोगों से पूछताछ की गई. उनके बयान भी दर्ज किए गए. पुलिस मुख्यालय, लालबाजार सूत्रों के मुताबिक, बयान में लगभग सभी आरोपियों ने पैसे लेने की बात स्वीकार की है. संदिग्धों ने यह भी स्वीकार किया है कि पैसे लेने के बावजूद वरिष्ठ नागरिकों को फ्लैट उपलब्ध नहीं कराये गये.

पुलिस सूत्रों के मुताबिक इस मामले में ना केवल कर्मचारियों और आरोपियों से, बल्कि संबंधित कंपनी के निदेशकों से भी पूछताछ की गई. आरोप है कि नुसरत जहां की कंपनी ने 2018 में नागरिकों को तीन-बेड वाले फ्लैट का वादा किया था, लेकिन पैसे लेने के बाद भी फ्लैट नहीं दिये गये. तय समय सीमा के बाद 2023 में भी शिकायतकर्ताओं को फ्लैट नहीं मिला.

फ्लैट के खरीदारों द्वारा राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी से संपर्क करने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व ने आरोपों को हवा दी. भाजपा नेता संखू देब पांडा ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से संपर्क किया और केंद्रीय एजेंसी से जांच की मांग की. बुधवार को पांडा ने कहा कि टीएमसी सांसद ने कंपनी में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली है.

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उन्होंने कहा कि उनका अपराध बिना किसी संदेह के साबित हो गया है. भाजपा नेता ने पूछा कि जहां ने कंपनी से ऋण कैसे लिया और उनके ऋण को किसने अधिकृत किया था. निवेशकों ने अपने निवेश की वापसी की मांग करते हुए अदालतों का दरवाजा भी खटखटाया है.

कोलकाता : कोलकाता पुलिस को नुसरत जहां की संस्था पर लगे आरोपों के समर्थन में प्रथम दृष्टया सबूत मिले हैं. इससे पहले बुधवार को कोलकाता प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस में सांसद ने दावा किया कि उन पर लगाए गए आरोप झूठे हैं. इससे पहले सोमवार को बीजेपी नेता शंकुदेव पांडा ने ईडी दफ्तर का दौरा किया था उन्होंने सांसद नुसरत जहां के खिलाफ वित्तीय धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई है.

इसी बीच 2022 में नुसरत के खिलाफ गरियाहाट थाने में फ्लैट करप्शन के आरोप में केस दर्ज किया गया. बाद में उनके खिलाफ अलीपुर कोर्ट में केस दायर किया गया. मामले में कोर्ट ने पूरी घटना की सच्चाई जांचने का जिम्मा कोलकाता पुलिस के चीफ डिटेक्टिव को दिया. कोर्ट ने अपनी निगरानी में जांच कराते हुए रिपोर्ट सौंपने का भी आदेश दिया.

कोलकाता पुलिस के चीफ डिटेक्टिव ने इस घटना के संदिग्ध से लेकर आरोपियों की एक सूची बनाई. उन लोगों से पूछताछ की गई. उनके बयान भी दर्ज किए गए. पुलिस मुख्यालय, लालबाजार सूत्रों के मुताबिक, बयान में लगभग सभी आरोपियों ने पैसे लेने की बात स्वीकार की है. संदिग्धों ने यह भी स्वीकार किया है कि पैसे लेने के बावजूद वरिष्ठ नागरिकों को फ्लैट उपलब्ध नहीं कराये गये.

पुलिस सूत्रों के मुताबिक इस मामले में ना केवल कर्मचारियों और आरोपियों से, बल्कि संबंधित कंपनी के निदेशकों से भी पूछताछ की गई. आरोप है कि नुसरत जहां की कंपनी ने 2018 में नागरिकों को तीन-बेड वाले फ्लैट का वादा किया था, लेकिन पैसे लेने के बाद भी फ्लैट नहीं दिये गये. तय समय सीमा के बाद 2023 में भी शिकायतकर्ताओं को फ्लैट नहीं मिला.

फ्लैट के खरीदारों द्वारा राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी से संपर्क करने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व ने आरोपों को हवा दी. भाजपा नेता संखू देब पांडा ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से संपर्क किया और केंद्रीय एजेंसी से जांच की मांग की. बुधवार को पांडा ने कहा कि टीएमसी सांसद ने कंपनी में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली है.

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उन्होंने कहा कि उनका अपराध बिना किसी संदेह के साबित हो गया है. भाजपा नेता ने पूछा कि जहां ने कंपनी से ऋण कैसे लिया और उनके ऋण को किसने अधिकृत किया था. निवेशकों ने अपने निवेश की वापसी की मांग करते हुए अदालतों का दरवाजा भी खटखटाया है.

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