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कोकिला पूर्णिमा व्रत आज : जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व - Kokila Purnima Vrat 2021

आज 23 जुलाई,शुक्रवार को कोकिला व्रत पूर्णिमा है. सुबह 10:43 बजे से आषाढ़ पूर्णिमा तिथि लगने के साथ ही यह व्रत प्रारंभ हो जाएगा और अगले दिन यानी कि 24 जुलाई को सुबह 08:06 बजे तक रहेगा. हिंदी पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन यह व्रत रखा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को रखने से मनोकामना पूरी होती है.

कोकिला पूर्णिमा व्रत आज
कोकिला पूर्णिमा व्रत आज
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Published : Jul 23, 2021, 7:52 AM IST

हैदराबाद : इस वर्ष कोकिला पूर्णिमा व्रत आज 23 जुलाई दिन शुक्रवार को है. आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को कोकिला पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है. बता दें इस दिन मां दुर्गा की आराधना की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कोकिला पूर्णिमा व्रत के अलावा पूरे सावन माह में कोकिला व्रत रखा जाता है. कहा जाता है कि कोकिला पूर्णिमा का व्रत करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है.

कोकिला पूर्णिमा 2021 तिथि

हिन्दी पंचांग के अनुसार, 23 जुलाई दिन शुक्रवार सुबह 10:43 बजे से आषाढ़ पूर्णिमा तिथि लग रही है. यह अगले दिन सुबह 08:06 बजे तक रहेगी.

कोकिला पूर्णिमा व्रत का महत्व

कोकिला पूर्णिमा का व्रत सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला है. मां दुर्गा की कृपा से व्यक्ति को संतान, सुख, संपदा, धन आदि सभी चीजों की प्राप्ति होती है. इस व्रत को करने से सावन सोमवार व्रत का लाभ मिलता है. इस व्रत को करने से युवतियों को सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है. यदि दांपत्य जीवन में कोई समस्या आ रही हो, तो उसके निवारण में भी कोकिला पूर्णिमा व्रत रखने की सलाह दी जाती है.

पढ़ें : गुरु पूर्णिमा : जानें कब और कैसे करें पूजा

कोकिला पूर्णिमा व्रत कथा

माता सती जब बिना निमंत्रण के अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में उपस्थित होती हैं और वहां उनका और उनके पति भगवान शिव का अपमान होता है, तो वे यज्ञ की अग्निकुंड में आत्मदाह कर शरीर का त्याग कर देती हैं. भगवान शिव उनके वियोग को सहन नहीं कर पाते हैं. उनकी बिना आज्ञा के दक्ष के यज्ञ में जाने और वहां शरीर त्याग करने पर भगवान शिव माता सती को हजार वर्षों तक कोकिला होने का श्राप देते हैं. माता सती कोयल रुप में रहते हुए हजार वर्षों तक भगवान शिव को पाने के लिए तप करती हैं. इसके परिणाम स्वरुप वह पार्वती रुप में लौटती हैं और भगवान शिव को पति स्वरुप में पाती हैं. इसके बाद से ही युवतियां मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए कोकिला पूर्णिमा व्रत रखती हैं.

हैदराबाद : इस वर्ष कोकिला पूर्णिमा व्रत आज 23 जुलाई दिन शुक्रवार को है. आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को कोकिला पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है. बता दें इस दिन मां दुर्गा की आराधना की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कोकिला पूर्णिमा व्रत के अलावा पूरे सावन माह में कोकिला व्रत रखा जाता है. कहा जाता है कि कोकिला पूर्णिमा का व्रत करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है.

कोकिला पूर्णिमा 2021 तिथि

हिन्दी पंचांग के अनुसार, 23 जुलाई दिन शुक्रवार सुबह 10:43 बजे से आषाढ़ पूर्णिमा तिथि लग रही है. यह अगले दिन सुबह 08:06 बजे तक रहेगी.

कोकिला पूर्णिमा व्रत का महत्व

कोकिला पूर्णिमा का व्रत सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला है. मां दुर्गा की कृपा से व्यक्ति को संतान, सुख, संपदा, धन आदि सभी चीजों की प्राप्ति होती है. इस व्रत को करने से सावन सोमवार व्रत का लाभ मिलता है. इस व्रत को करने से युवतियों को सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है. यदि दांपत्य जीवन में कोई समस्या आ रही हो, तो उसके निवारण में भी कोकिला पूर्णिमा व्रत रखने की सलाह दी जाती है.

पढ़ें : गुरु पूर्णिमा : जानें कब और कैसे करें पूजा

कोकिला पूर्णिमा व्रत कथा

माता सती जब बिना निमंत्रण के अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में उपस्थित होती हैं और वहां उनका और उनके पति भगवान शिव का अपमान होता है, तो वे यज्ञ की अग्निकुंड में आत्मदाह कर शरीर का त्याग कर देती हैं. भगवान शिव उनके वियोग को सहन नहीं कर पाते हैं. उनकी बिना आज्ञा के दक्ष के यज्ञ में जाने और वहां शरीर त्याग करने पर भगवान शिव माता सती को हजार वर्षों तक कोकिला होने का श्राप देते हैं. माता सती कोयल रुप में रहते हुए हजार वर्षों तक भगवान शिव को पाने के लिए तप करती हैं. इसके परिणाम स्वरुप वह पार्वती रुप में लौटती हैं और भगवान शिव को पति स्वरुप में पाती हैं. इसके बाद से ही युवतियां मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए कोकिला पूर्णिमा व्रत रखती हैं.

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