लाहौर/इस्लामाबाद : इमरान खान को सत्ता से बेदखल करने के बाद प्रधानमंत्री पद पर काबिज हुए पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष शहबाज़ शरीफ एक कट्टर यथार्थवादी हैं और इतने सालों में उन्होंने एक स्पष्टवादी और कुशल प्रशासक होने की प्रतिष्ठा हासिल की है. तीन बार के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ के 70 वर्षीय छोटे भाई शहबाज़ मुल्क के सबसे ज्यादा आबादी वाले और राजनीतिक रूप से अहम पंजाब प्रांत के तीन बार मुख्यमंत्री रहे हैं.
उनकी पार्टी पीएमएल-एन - खासकर इसके सुप्रीमो नवाज़ शरीफ - ने प्रधानमंत्री पद के लिए उनके नाम पर सहमति व्यक्त की है. पूर्व राष्ट्रपति और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरादरी ने संयुक्त विपक्ष की बैठक में प्रधानमंत्री पद के लिए शहबाज़ के नाम का प्रस्ताव रखा था. उल्लेखनीय है कि शनिवार देर रात संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली में एक अविश्वास प्रस्ताव के जरिये इमरान खान को प्रधानमंत्री पद से हटा दिया गया था.
पाकिस्तान की संसद ने सोमवार को शहबाज शरीफ को निर्विरोध देश का 23वां प्रधानमंत्री चुन लिया और इमरान खान के खिलाफ आठ मार्च को लाये गये अविश्वास प्रस्ताव के बाद से देश में बनी अनिश्चितता की स्थिति समाप्त हो गयी. पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अपनी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए इंसाफ के संसद में मतदान में भाग नहीं लेने और वॉकआउट करने की घोषणा की थी, जिसके बाद शहबाज प्रधानमंत्री पद की दौड़ में अकेले उम्मीदवार रह गये थे.
स्पीकर अयाज सादिक ने इस सत्र की अध्यक्षता की और नतीजों की घोषणा की जिसके अनुसार शरीफ को 174 वोट मिले हैं और उन्हें पाकिस्तान इस्लामी गणराज्य का प्रधानमंत्री घोषित किया जाता है. तीन सौ 42 सदस्यीय सदन में जीत के लिए कम से कम 172 सदस्यों के समर्थन की जरूरत थी.
सितंबर 1951 में लाहौर में पंजाबी भाषी कश्मीरी परिवार में जन्में शहबाज़ ने 1980 के दशक के मध्य में अपने बड़े भाई नवाज़ के साथ राजनीति में प्रवेश किया. वह पहली बार 1988 में पंजाब विधानसभा के सदस्य चुने गए जब नवाज़ पंजाब के मुख्यमंत्री बने. शहबाज़ पहली बार 1997 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने जब उनके भाई केंद्र में प्रधानमंत्री थे. साल 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ ने तख्तापलट कर नवाज़ शरीफ को बर्खास्त कर दिया था. इसके बाद शहबाज़ अपने परिवार के साथ आठ साल तक सऊदी अरब में निर्वासन में रहे और 2007 में वतन लौटे. वह 2008 में दूसरी और 2013 में तीसरी बार पंजाब के मुख्यमंत्री बने.
शहबाज़ ने दावा किया है कि जनरल मुशर्रफ ने उन्हें प्रधानमंत्री पद की पेशकश की थी और शर्त रखी थी कि वह अपने बड़े भाई नवाज़ को छोड़ दें, लेकिन उन्होंने इसके लिए साफ इनकार कर दिया था. पनामा पेपर्स मामले में 2017 में प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को पद से अयोग्य घोषित किए जाने के बाद, पीएमएल-एन ने शहबाज़ को पार्टी अध्यक्ष नियुक्त किया. इसके बाद, 2018 के चुनावों के बाद वह नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता बने.
सितंबर 2020 में, शहबाज़ को भ्रष्टाचार विरोधी निकाय - राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो ने धन शोधन और स्रोत से अधिक आय के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था जो आरोप इमरान खान की सरकार ने उनपर लगाए थे. शहबाज़ ने आरोपों से इनकार किया और वह कई महीनों तक जेल में रहे. बाद में उन्हें जमानत मिली.
फिलहाल वह ब्रिटेन में पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) द्वारा उनके खिलाफ लाए गए 14 अरब पाकिस्तानी रुपये के धन शोधन के मामले का सामना कर रहे हैं. वह इस मामले में भी जमानत पर हैं. नवाज़ की बेटी और पीएमएल-एन की उपाध्यक्ष मरियम नवाज़, जो शहबाज़ की भतीजी हैं, ने कहा है कि उनके चाचा एक ऐसे शख्स हैं जिन्होंने निस्वार्थ और अथक रूप से मुल्क की खिदमत की है.
हालांकि कहा जाता है कि नवाज़ शरीफ चाहते हैं कि उनकी बेटी मरियम प्रधानमंत्री बने, लेकिन उन्हें एवेनफील्ड भ्रष्टाचार मामले में दोषी ठहराया गया है. इसलिए नवाज़ के पास शहबाज़ को अपनी पार्टी से शीर्ष कार्यकारी पद के लिए नामित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. जब तीन बार के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को 2017 में शीर्ष अदालत ने बर्खास्त कर दिया था तो उन्होंने प्रधानमंत्री पद के शेष 10 महीने के कार्यकाल के लिए अपने छोटे भाई शहबाज़ के बजाय पार्टी के नेता शाहिद खाकान अब्बासी को तरजीह दी थी.
विशेषज्ञों के मुताबिक, शहबाज़ के ताकतवर फौज के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध हैं. पाकिस्तान के 75 साल के इतिहास में आधे से अधिक वक्त तक मुल्क पर फौज ने हुकूमत की है और सेना अब भी सुरक्षा और विदेश नीति के मामलों में अपना काफी प्रभाव रखती है.
शहबाज़ के पिता मुहम्मद शरीफ एक उद्योगपति थे, जो कारोबार के लिए कश्मीर के अनंतनाग से आए थे और 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में पंजाब के अमृतसर जिले के जट्टी उमरा गांव में बस गए थे. उनकी मां का परिवार पुलवामा से आया था. विभाजन के बाद, शहबाज़ का परिवार अमृतसर से लाहौर चला गया जहां उन्होंने (लाहौर के बाहरी इलाके में रायविंड में स्थित)अपने घर का नाम 'जट्टी उमरा' रखा. उन्होंने लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज यूनिवर्सिटी से स्नातक की.
शहबाज़ ने पांच शादियां कीं. फिलहाल उनकी दो पत्नियां हैं - नुसरत और तहमीना दुर्रानी - जबकि उन्होंने तीन अन्य - आलिया हानी, नीलोफर खोजा और कुलसुम को तलाक दे दिया. नुसरत से उनके दो बेटे और तीन बेटियां और आलिया से एक बेटी है. उनके बड़े बेटे हमज़ा शहबाज़ पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं. हमज़ा पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ गठबंधन के उम्मीदवार परवेज इलाही के खिलाफ मुख्यमंत्री पद का चुनाव भी लड़ रहे हैं.
उनका छोटा बेटा सुलेमान शहबाज़ परिवार का कारोबार देखता है. वह धन शोधन और स्रोत से अधिक आय के मामले में फरार है और पिछले कुछ साल ब्रिटेन में है.