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राम मंदिर निर्माण को लेकर जिस जमीन पर विवाद, उसके तीन किरदार, जानिए कैसे हुई डील

अयोध्या में विवादों में आए जमीन को लेकर सियासत गरमा गई है. जमीन खरीद को लेकर सवाल यह उठता है कि दोनों ही रजिस्ट्री के दौरान दो भाजपा नेता कैसे गवाह बन गए. तो आइए आपको बताते हैं कि यह जमीन विवाद क्या है और किस तरह से यह डील की गई है.

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Published : Jun 14, 2021, 9:18 PM IST

लखनऊ : अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिए खरीदी गई जमीन पर सवाल उठाए गए हैं. आरोप है कि ट्रस्ट ने दो करोड़ की जमीन को साढ़े 18 करोड़ रुपए में खरीदी है. ट्रस्ट द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिए खरीदी गई जमीनों में घोटाले के आरोप लगने के बाद यूपी में सियासत भी तेज हो गई है. सभी दलों के नेता बीजेपी और राम मंदिर ट्रस्ट को घेरने में लगे हुए हैं.

रविवार को आम आदमी पार्टी (आप) से राज्यसभा सदस्य एवं पार्टी राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सिंह ने अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करा रहे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर भ्रष्टाचार करने का बम फोड़ा. साथ ही उसकी जांच सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कराने की मांग की. इस पर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने इन आरोपों को राजनीतिक साजिश बताया. चंपत राय ने कहा कि मंदिर के लिए खरीदी जा रही जमीनें बाजार से बहुत कम रेट पर ली जा रही हैं. अब तक मंदिर के लिए खर्च हुए एक-एक पैसे का हिसाब रिकॉर्ड पर है. लेकिन सवाल यह उठता है कि दोनों ही रजिस्ट्री के दौरान दो भाजपा नेता कैसे गवाह बन गए. तो आइए आपको बतातें है कि यह जमीन विवाद क्या है.

जमीन विवाद में तीन अहम किरदार

अयोध्या में विवादों में आए जमीन को लेकर सियासत गरमा गई है. इसके केंद्र में तीन अहम किरदार हैं. जमीन का मालिकाना हक कुसुम पाठक का था, जिन्होंने जमीन का समझौता रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी से पहले ही कर लिया था. वही समझौता कागजी तौर पर इस साल 18 मार्च 2021 को फाइनल हुआ. कुसुम पाठक ने दो करोड़ में रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी को बेच दिया.

18 मार्च 2021 को ही रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी ने दो करोड़ में खरीदी गई जमीन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को साढ़े 18 करोड़ रुपए में बेच दी. अब इसी डील को लेकर विवाद शुरू हो गया है. जिस जमीन का विवाद है उसका एरिया है 12080 वर्ग मीटर, रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में पड़ने वाली इस जमीन पर जन्मभूमि के कुछ मंदिर बनाए जाने की योजना है.

ऐसे हुई जमीन की बिक्री ?

जब मंदिर परिसर के आस-पास के मंदिरों को गिराने और शिफ्ट करने का काम शुरू हुआ, उसी दौरान इसके आस-पास की जमीन खरीदने के साथ पुराने करीब आधा दर्जन मंदिरों को गिराकर उसे भी परिसर में शामिल कर लिया गया. आरोपी जमीन की खरीद-फरोख्त मामले से जुड़े एक शख्स ने बताया कि अयोध्या के बाग विलैसी में स्थित 180 बिस्वा (12,080 वर्ग मीटर) जमीन हरीश पाठक और कुसुम पाठक की थी. इसे उन्होंने सुल्तान अंसारी, रवि मोहन तिवारी, इच्छा राम, मनीष कुमार, रवींद्र कुमार, बलराम यादव और अन्य तीन के नाम 2019 में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कर दिया था.

इस जमीन का सौदा 26.50 करोड़ रुपये में तय हुआ. इसकी सरकारी मालियत करीब 11 करोड़ रुपये आंकी गई थी. 2.80 करोड़ रुपये हरीश पाठक और कुसुम पाठक के खाते में ट्रांसफर कर 80 बिस्वा जमीन की रजिस्ट्री कराई गई. बाकी 100 बिस्वा जमीन एग्रीमेंट धारकों ने अपनी सहमति से दो लोगों के नाम लिख दिया, जिनसे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 18.50 करोड़ में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट करवा लिया है.

जमीन के दोनों सौदों में एक ही गवाह

पहले जब जमीन हरीश पाठक-कुसुम पाठक से सुल्तान अंसारी-रविमोहन तिवारी ने खरीदी तो रजिस्ट्री के दौरान गवाह नंबर-1 डॉ. अनिल मिश्रा बने. डॉ. मिश्रा श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं. किसी भी भुगतान के चेक पर डॉ. मिश्रा के ही हस्ताक्षर होते हैं. उसके बाद जब अंसारी-तिवारी ने जमीन श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट को बेची तो डॉ. मिश्रा गवाह नंबर-2 बन गए. इसी तरह अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय भी दोनों रजिस्ट्री के दौरान गवाह बने.

दो करोड़ की जमीन को ट्रस्ट ने साढ़े 18 करोड़ में खरीदा है. पहले जमीन की कीमत दो करोड़ थी, लेकिन महज 10 मिनट में ही डील पक्की हुई और वो कीमत साढ़े 18 करोड़ रुपए हो गई. 10 मिनट के अंतराल में जमीन की कीमत साढ़ 16 करोड़ बढ़ गई. यानी प्रति सेकेंड साढ़े पांच लाख रुपये महंगी होती गई जमीन और 10 मिनटों में कीमत में 9 गुना इजाफा हो गया.

राम मंदिर परिसर के आस-पास की जमीनें खरीद रहा ट्रस्ट

राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट को केंद्र सरकार की तरफ से 70 एकड़ जमीन मिली थी. इस जमीन को केंद्र सरकार ने अधिग्रहित किया था. ट्रस्ट ने राम मंदिर के विस्तार का प्लान बनाया, जिसके लिए 38 एकड़ अतिरिक्त जमीन चाहिए. इसके लिए राम जन्मभूमि परिसर के आसपास की जमीनें खरीदी जा रही हैं.

राम मंदिर परिसर पहले तीन एकड़ में बनना था, जिसे अब पांच एकड़ में बनाया जाएगा. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मंदिर परिसर के पास स्थित दो मंदिरों को जमीन सहित 4-4 करोड़ रुपए में खरीदा है. जिन लोगों से जमीनें खरीदी जा रही हैं, उन्हें दूसरी जगह स्थापित भी कराया जा रहा है. कोर्ट फीस और स्टाम्प पेपर की खरीदारी ऑनलाइन की जा रही है.

अयोध्या में बेतहाशा बढ़े जमीन के दाम

अयोध्या में राम जन्म भूमि का फैसला आया तो जमीन की कीमतें बढ़ गई. ऐसे में करार के मुताबिक हरी पाठक को पुराने रेट पर ही प्रॉपर्टी डीलरों को जमीन बेचनी पड़ी. जिसके बाद प्रॉपर्टी डीलर सुल्तान अंसारी और रवी मोहन तिवारी ने इस जमीन को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को साढ़े 18 करोड़ रुपए में सौदा तक कर लिया. हालांकि इन सारी बातों की पुष्टि अभी तक प्रॉपर्टी डीलर और ट्रस्ट ने नहीं की है, लेकिन ट्रस्ट द्वारा जारी किए गए पत्र में इन्हीं बातों का जिक्र किया गया है. जिससे साफ है कि पूरा मामला सिर्फ पुराने रेट में जमीन खरीदने और आज की रेट में जमीन बेचने का है और यही वजह है कि ट्रस्ट बड़ी बेबाकी से पत्र जारी कर किसी भी अनियमितता के होने से इनकार कर रहा है.

वहीं उत्तर प्रदेश सरकार भी अयोध्या को एक मॉडल रिलिजियस टूरिस्ट हब के रूप में विकसित करने का काम कर रही है. इसलिए बड़े बिजनेसमैन अयोध्या में इंवेस्टमेंट में रुचि दिखा रहे हैं. इसलिए जमीन के दाम आसमान छू रहे हैं.

पढ़ेंः पांच लोगों ने पांच मिनट में 115 करोड़ हिंदुओं की आस्था पर किया विश्वासघात : सिसोदिया

पढ़ेंः आप सांसद का दावा, 'राम मंदिर के लिए खरीदी जमीन में घोटाला, दो करोड़ की जमीन 18 करोड़ में बेची'

लखनऊ : अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिए खरीदी गई जमीन पर सवाल उठाए गए हैं. आरोप है कि ट्रस्ट ने दो करोड़ की जमीन को साढ़े 18 करोड़ रुपए में खरीदी है. ट्रस्ट द्वारा राम मंदिर निर्माण के लिए खरीदी गई जमीनों में घोटाले के आरोप लगने के बाद यूपी में सियासत भी तेज हो गई है. सभी दलों के नेता बीजेपी और राम मंदिर ट्रस्ट को घेरने में लगे हुए हैं.

रविवार को आम आदमी पार्टी (आप) से राज्यसभा सदस्य एवं पार्टी राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सिंह ने अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करा रहे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर भ्रष्टाचार करने का बम फोड़ा. साथ ही उसकी जांच सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कराने की मांग की. इस पर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने इन आरोपों को राजनीतिक साजिश बताया. चंपत राय ने कहा कि मंदिर के लिए खरीदी जा रही जमीनें बाजार से बहुत कम रेट पर ली जा रही हैं. अब तक मंदिर के लिए खर्च हुए एक-एक पैसे का हिसाब रिकॉर्ड पर है. लेकिन सवाल यह उठता है कि दोनों ही रजिस्ट्री के दौरान दो भाजपा नेता कैसे गवाह बन गए. तो आइए आपको बतातें है कि यह जमीन विवाद क्या है.

जमीन विवाद में तीन अहम किरदार

अयोध्या में विवादों में आए जमीन को लेकर सियासत गरमा गई है. इसके केंद्र में तीन अहम किरदार हैं. जमीन का मालिकाना हक कुसुम पाठक का था, जिन्होंने जमीन का समझौता रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी से पहले ही कर लिया था. वही समझौता कागजी तौर पर इस साल 18 मार्च 2021 को फाइनल हुआ. कुसुम पाठक ने दो करोड़ में रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी को बेच दिया.

18 मार्च 2021 को ही रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी ने दो करोड़ में खरीदी गई जमीन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को साढ़े 18 करोड़ रुपए में बेच दी. अब इसी डील को लेकर विवाद शुरू हो गया है. जिस जमीन का विवाद है उसका एरिया है 12080 वर्ग मीटर, रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र में पड़ने वाली इस जमीन पर जन्मभूमि के कुछ मंदिर बनाए जाने की योजना है.

ऐसे हुई जमीन की बिक्री ?

जब मंदिर परिसर के आस-पास के मंदिरों को गिराने और शिफ्ट करने का काम शुरू हुआ, उसी दौरान इसके आस-पास की जमीन खरीदने के साथ पुराने करीब आधा दर्जन मंदिरों को गिराकर उसे भी परिसर में शामिल कर लिया गया. आरोपी जमीन की खरीद-फरोख्त मामले से जुड़े एक शख्स ने बताया कि अयोध्या के बाग विलैसी में स्थित 180 बिस्वा (12,080 वर्ग मीटर) जमीन हरीश पाठक और कुसुम पाठक की थी. इसे उन्होंने सुल्तान अंसारी, रवि मोहन तिवारी, इच्छा राम, मनीष कुमार, रवींद्र कुमार, बलराम यादव और अन्य तीन के नाम 2019 में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कर दिया था.

इस जमीन का सौदा 26.50 करोड़ रुपये में तय हुआ. इसकी सरकारी मालियत करीब 11 करोड़ रुपये आंकी गई थी. 2.80 करोड़ रुपये हरीश पाठक और कुसुम पाठक के खाते में ट्रांसफर कर 80 बिस्वा जमीन की रजिस्ट्री कराई गई. बाकी 100 बिस्वा जमीन एग्रीमेंट धारकों ने अपनी सहमति से दो लोगों के नाम लिख दिया, जिनसे श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 18.50 करोड़ में रजिस्टर्ड एग्रीमेंट करवा लिया है.

जमीन के दोनों सौदों में एक ही गवाह

पहले जब जमीन हरीश पाठक-कुसुम पाठक से सुल्तान अंसारी-रविमोहन तिवारी ने खरीदी तो रजिस्ट्री के दौरान गवाह नंबर-1 डॉ. अनिल मिश्रा बने. डॉ. मिश्रा श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं. किसी भी भुगतान के चेक पर डॉ. मिश्रा के ही हस्ताक्षर होते हैं. उसके बाद जब अंसारी-तिवारी ने जमीन श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट को बेची तो डॉ. मिश्रा गवाह नंबर-2 बन गए. इसी तरह अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय भी दोनों रजिस्ट्री के दौरान गवाह बने.

दो करोड़ की जमीन को ट्रस्ट ने साढ़े 18 करोड़ में खरीदा है. पहले जमीन की कीमत दो करोड़ थी, लेकिन महज 10 मिनट में ही डील पक्की हुई और वो कीमत साढ़े 18 करोड़ रुपए हो गई. 10 मिनट के अंतराल में जमीन की कीमत साढ़ 16 करोड़ बढ़ गई. यानी प्रति सेकेंड साढ़े पांच लाख रुपये महंगी होती गई जमीन और 10 मिनटों में कीमत में 9 गुना इजाफा हो गया.

राम मंदिर परिसर के आस-पास की जमीनें खरीद रहा ट्रस्ट

राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट को केंद्र सरकार की तरफ से 70 एकड़ जमीन मिली थी. इस जमीन को केंद्र सरकार ने अधिग्रहित किया था. ट्रस्ट ने राम मंदिर के विस्तार का प्लान बनाया, जिसके लिए 38 एकड़ अतिरिक्त जमीन चाहिए. इसके लिए राम जन्मभूमि परिसर के आसपास की जमीनें खरीदी जा रही हैं.

राम मंदिर परिसर पहले तीन एकड़ में बनना था, जिसे अब पांच एकड़ में बनाया जाएगा. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने मंदिर परिसर के पास स्थित दो मंदिरों को जमीन सहित 4-4 करोड़ रुपए में खरीदा है. जिन लोगों से जमीनें खरीदी जा रही हैं, उन्हें दूसरी जगह स्थापित भी कराया जा रहा है. कोर्ट फीस और स्टाम्प पेपर की खरीदारी ऑनलाइन की जा रही है.

अयोध्या में बेतहाशा बढ़े जमीन के दाम

अयोध्या में राम जन्म भूमि का फैसला आया तो जमीन की कीमतें बढ़ गई. ऐसे में करार के मुताबिक हरी पाठक को पुराने रेट पर ही प्रॉपर्टी डीलरों को जमीन बेचनी पड़ी. जिसके बाद प्रॉपर्टी डीलर सुल्तान अंसारी और रवी मोहन तिवारी ने इस जमीन को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को साढ़े 18 करोड़ रुपए में सौदा तक कर लिया. हालांकि इन सारी बातों की पुष्टि अभी तक प्रॉपर्टी डीलर और ट्रस्ट ने नहीं की है, लेकिन ट्रस्ट द्वारा जारी किए गए पत्र में इन्हीं बातों का जिक्र किया गया है. जिससे साफ है कि पूरा मामला सिर्फ पुराने रेट में जमीन खरीदने और आज की रेट में जमीन बेचने का है और यही वजह है कि ट्रस्ट बड़ी बेबाकी से पत्र जारी कर किसी भी अनियमितता के होने से इनकार कर रहा है.

वहीं उत्तर प्रदेश सरकार भी अयोध्या को एक मॉडल रिलिजियस टूरिस्ट हब के रूप में विकसित करने का काम कर रही है. इसलिए बड़े बिजनेसमैन अयोध्या में इंवेस्टमेंट में रुचि दिखा रहे हैं. इसलिए जमीन के दाम आसमान छू रहे हैं.

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