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दिल्ली के जेलों में कैदियों के पास कैसा पहुंचता है फोन, यहां जानें

दिल्ली के जेलों में बैठकर बड़े-बड़े गैंगस्टर आपराधिक वारदातों को अंजाम देते आए हैं. इसके लिए वह जेल के अंदर फोन का इस्तेमाल (inmates using phone inside delhi jails) करते हैं. आज हम आपको बता रहे हैं कि दिल्ली के जेलों में मोबाइल फोन कैसे पहुंचते हैं.

inmates using phone inside delhi jails
जेल के अंदर फोन का इस्तेमाल
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Published : Dec 23, 2021, 8:39 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के तिहाड़ जेल समेत रोहिणी और मंडोली जेल में कैदियों द्वारा धड़ल्ले से मोबाइल का इस्तेमाल (inmates using phone inside delhi jails) होता है. कुछ कैदी जहां अपने परिवार से बातचीत के लिए छिपाकर मोबाइल रखते हैं तो कुछ कैदी आपराधिक वारदातों को अंजाम देने के लिए जेल में मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं. इससे रंगदारी मांगने, गवाह को धमकाने, विरोधी गैंग पर हमले की साजिश रचने आदि को अंजाम दिया जाता है.

पूर्व लॉ ऑफिसर सुनील गुप्ता से बातचीत

तिहाड़ जेल में 35 साल तक कार्यरत रहे पूर्व लॉ ऑफिसर सुनील गुप्ता ने बताया कि जेल में कैदी काफी समय से अवैध तरीके से मोबाइल फोन इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन पहले ऐसे मामले बहुत ही कम होते थे. जेल के भीतर मोबाइल लेकर जाना मुश्किल था. वहीं कैदियों पर सर्विलांस ज्यादा रहता था. इसकी वजह से जेल के भीतर कैदियों के मोबाइल फोन इस्तेमाल के मामले बहुत सीमित थे. लेकिन बीते कुछ वर्षों में जेल के भीतर कैदियों द्वारा मोबाइल फोन इस्तेमाल के मामले तेजी से बढ़े हैं. वहां न केवल बड़े गैंगस्टर बल्कि सामान्य कैदी भी मोबाइल फोन इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसा भी देखने में आता है कि कैदी जेल के भीतर वीडियो बनाकर उसे वायरल कर देते हैं. इसे रोकना जेल प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है.

सुनील गुप्ता ने बताया कि जेल के भीतर मुख्य रूप से चार तरीकों से मोबाइल फोन जाते हैं. पहले तरीके में जेल के कर्मचारियों की मिलीभगत होती है. वह पैसे लेकर कैदियों को मोबाइल फोन मुहैया करा देते हैं. सुकेश के मामले में तो जेल के वरिष्ठ अधिकारियों ने ही उसे जेल में मोबाइल फोन रखने दिया. दूसरे तरीके में जेल के भीतर आने वाले कैदी के कपड़ों में मोबाइल को छिपाकर भेज दिया जाता है. इसे बेहद खास तरह से छिपाया जाता है, जिसके चलते वह जांच के दौरान पकड़ में नहीं आते.

उन्होंने कहा कि तीसरे तरीके में रोहिणी एवं मंडोली जेल की दीवार के बाहर से मोबाइल को अंदर फेंक दिया जाता है, जहां से कैदी उसे उठा लेते हैं. चौथे तरीके में कैदी पेशी के दौरान अपने शरीर के अंदर मोबाइल छिपाकर जेल में ले आते हैं.

ये भी पढ़ें- गोगी हत्याकांड में पकड़े गए टिल्लू के दो करीबी, मंडोली जेल से रची गई साजिश

उन्होंने बताया कि जेल के भीतर कैदियों के द्वारा मोबाइल फोन इस्तेमाल करने के मामलों को जेल प्रशासन रोक सकता है. इसके लिए उन्हें नई तकनीकों का सहारा लेना पड़ेगा. तिहाड़ जेल में कई वर्षों से कैदियों की फोन कॉल को रोकने के लिए जैमर लगा हुआ है. लेकिन इसे समय के साथ अपग्रेड करने की आवश्यकता है. अब 2जी से नेटवर्क 5जी आ गया है, लेकिन जैमर को अपग्रेड नहीं किया गया है. उन्होंने बताया कि पुराने जैमर के इलेक्ट्रिक फ्यूज से छेड़छाड़ कर कैदी उसे कई बार खराब भी कर देते हैं, इसलिए जेल प्रशासन को पूरी गंभीरता से काम करना होगा जिससे उन्हें अवश्य सफलता मिलेगी.

ये भी पढ़ें- सुकेश चंद्रशेखर की वो गलती, जिससे हुआ 200 करोड़ की ठगी का खुलासा

सुनील गुप्ता ने बताया कि जेल के भीतर कैदियों के मोबाइल इस्तेमाल करने की कई वजह होती हैं. जेल के भीतर मोबाइल का इस्तेमाल कर वह अपने खिलाफ गवाह को धमकाते हैं. कई बार जबरन उगाही की कॉल करते हैं. इससे लोगों के बीच उस कैदी को लेकर डर फैलता है. उसे जेल में डाला गया था ताकि वह गवाह से दूर रहे. लेकिन वह जेल से भी धमकी देने में कामयाब रहता है. कुछ कैदी जेल से इसलिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं ताकि युवा अपराधियों का उनकी तरफ खिंचाव हो. वह उसे बड़ा बदमाश मानते हुए उसके गैंग में शामिल हो जाते हैं. इस तरह से उनकी गैंग में भर्ती की प्रक्रिया भी चलती रहती है.

मोबाइल इस्तेमाल के बड़े कांड

  • जितेंद्र गोगी की हत्या के लिए सुनील उर्फ टिल्लू ने मंडोली जेल से वॉट्सऐप कॉल कर पूरी साजिश रची और इस हत्याकांड को अंजाम दिलवाया.
  • सुकेश चंद्रशेखर ने रोहिणी जेल में रहते हुए मोबाइल का इस्तेमाल कर 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी को अंजाम दिया. इससे पहले भी कई बार उसके पास से मोबाइल फोन बरामद हो चुके थे.
  • मंडोली जेल से कुलदीप उर्फ फज्जा को पुलिस हिरासत से फरार करवाने के लिए वहां से कॉल कर साजिश रची गई और जीटीबी अस्पताल से उसे फरार करवाया गया.

ये भी पढ़ें- तिहाड़ जेल में सुकेश ने कैसे बुना ठगी का जाल, सुनिए पूर्व अधिकारी की जुबानी

नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के तिहाड़ जेल समेत रोहिणी और मंडोली जेल में कैदियों द्वारा धड़ल्ले से मोबाइल का इस्तेमाल (inmates using phone inside delhi jails) होता है. कुछ कैदी जहां अपने परिवार से बातचीत के लिए छिपाकर मोबाइल रखते हैं तो कुछ कैदी आपराधिक वारदातों को अंजाम देने के लिए जेल में मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं. इससे रंगदारी मांगने, गवाह को धमकाने, विरोधी गैंग पर हमले की साजिश रचने आदि को अंजाम दिया जाता है.

पूर्व लॉ ऑफिसर सुनील गुप्ता से बातचीत

तिहाड़ जेल में 35 साल तक कार्यरत रहे पूर्व लॉ ऑफिसर सुनील गुप्ता ने बताया कि जेल में कैदी काफी समय से अवैध तरीके से मोबाइल फोन इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन पहले ऐसे मामले बहुत ही कम होते थे. जेल के भीतर मोबाइल लेकर जाना मुश्किल था. वहीं कैदियों पर सर्विलांस ज्यादा रहता था. इसकी वजह से जेल के भीतर कैदियों के मोबाइल फोन इस्तेमाल के मामले बहुत सीमित थे. लेकिन बीते कुछ वर्षों में जेल के भीतर कैदियों द्वारा मोबाइल फोन इस्तेमाल के मामले तेजी से बढ़े हैं. वहां न केवल बड़े गैंगस्टर बल्कि सामान्य कैदी भी मोबाइल फोन इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसा भी देखने में आता है कि कैदी जेल के भीतर वीडियो बनाकर उसे वायरल कर देते हैं. इसे रोकना जेल प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है.

सुनील गुप्ता ने बताया कि जेल के भीतर मुख्य रूप से चार तरीकों से मोबाइल फोन जाते हैं. पहले तरीके में जेल के कर्मचारियों की मिलीभगत होती है. वह पैसे लेकर कैदियों को मोबाइल फोन मुहैया करा देते हैं. सुकेश के मामले में तो जेल के वरिष्ठ अधिकारियों ने ही उसे जेल में मोबाइल फोन रखने दिया. दूसरे तरीके में जेल के भीतर आने वाले कैदी के कपड़ों में मोबाइल को छिपाकर भेज दिया जाता है. इसे बेहद खास तरह से छिपाया जाता है, जिसके चलते वह जांच के दौरान पकड़ में नहीं आते.

उन्होंने कहा कि तीसरे तरीके में रोहिणी एवं मंडोली जेल की दीवार के बाहर से मोबाइल को अंदर फेंक दिया जाता है, जहां से कैदी उसे उठा लेते हैं. चौथे तरीके में कैदी पेशी के दौरान अपने शरीर के अंदर मोबाइल छिपाकर जेल में ले आते हैं.

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उन्होंने बताया कि जेल के भीतर कैदियों के द्वारा मोबाइल फोन इस्तेमाल करने के मामलों को जेल प्रशासन रोक सकता है. इसके लिए उन्हें नई तकनीकों का सहारा लेना पड़ेगा. तिहाड़ जेल में कई वर्षों से कैदियों की फोन कॉल को रोकने के लिए जैमर लगा हुआ है. लेकिन इसे समय के साथ अपग्रेड करने की आवश्यकता है. अब 2जी से नेटवर्क 5जी आ गया है, लेकिन जैमर को अपग्रेड नहीं किया गया है. उन्होंने बताया कि पुराने जैमर के इलेक्ट्रिक फ्यूज से छेड़छाड़ कर कैदी उसे कई बार खराब भी कर देते हैं, इसलिए जेल प्रशासन को पूरी गंभीरता से काम करना होगा जिससे उन्हें अवश्य सफलता मिलेगी.

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सुनील गुप्ता ने बताया कि जेल के भीतर कैदियों के मोबाइल इस्तेमाल करने की कई वजह होती हैं. जेल के भीतर मोबाइल का इस्तेमाल कर वह अपने खिलाफ गवाह को धमकाते हैं. कई बार जबरन उगाही की कॉल करते हैं. इससे लोगों के बीच उस कैदी को लेकर डर फैलता है. उसे जेल में डाला गया था ताकि वह गवाह से दूर रहे. लेकिन वह जेल से भी धमकी देने में कामयाब रहता है. कुछ कैदी जेल से इसलिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं ताकि युवा अपराधियों का उनकी तरफ खिंचाव हो. वह उसे बड़ा बदमाश मानते हुए उसके गैंग में शामिल हो जाते हैं. इस तरह से उनकी गैंग में भर्ती की प्रक्रिया भी चलती रहती है.

मोबाइल इस्तेमाल के बड़े कांड

  • जितेंद्र गोगी की हत्या के लिए सुनील उर्फ टिल्लू ने मंडोली जेल से वॉट्सऐप कॉल कर पूरी साजिश रची और इस हत्याकांड को अंजाम दिलवाया.
  • सुकेश चंद्रशेखर ने रोहिणी जेल में रहते हुए मोबाइल का इस्तेमाल कर 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी को अंजाम दिया. इससे पहले भी कई बार उसके पास से मोबाइल फोन बरामद हो चुके थे.
  • मंडोली जेल से कुलदीप उर्फ फज्जा को पुलिस हिरासत से फरार करवाने के लिए वहां से कॉल कर साजिश रची गई और जीटीबी अस्पताल से उसे फरार करवाया गया.

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