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श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज की पुण्यतिथि आज, जानिए 'भारत के मिल्कमैन' के बारे में

भारत का नाम दुनिया के बड़े दुग्ध उत्पादक देशों में शुमार कराने का श्रेय डॉ. वर्गीज कुरियन (Dr. Verghese Kurien) को जाता है. ये वह नाम है जिसकी बदौलत दूध की कमी से जूझ रहे देश को ये मुकाम हासिल हुआ. डॉ. कुरियन को भारत में श्वेत क्रांति का जनक कहा जाता है. 'भारत के मिल्कमैन' नाम से प्रसिद्ध डॉ. कुरियन की आज पुण्यतिथि है. आइए जानते हैं मैग्सेसे, पद्म श्री जैसे तमाम प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित इस महान शख्सियत के बारे में.

डॉ. वर्गीज कुरियन
डॉ. वर्गीज कुरियन
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Published : Sep 9, 2021, 5:05 AM IST

हैदराबाद : श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन की आज (9 सितंबर) पुण्यतिथि है. वर्गीज कुरियन का जन्म 26 नवंबर, 1921 को केरल के कालीकट (अब कोझीकोड) में एक संपन्न परिवार में हुआ था. उनके पिता पुथेनपर्क्कल कुरियन ब्रिटिश कोचीन में एक सिविल सर्जन थे और मां एक शिक्षित महिला होने के साथ-साथ एक असाधारण पियानो वादक भी थीं.

डॉ. कुरियन ने मद्रास के लोयोला कॉलेज से भौतिकी में बी.एससी का डिग्री हासिल की. वह सरकारी छात्रवृत्ति पर संयुक्त राज्य अमेरिका गए, जहां उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग (डिस्टिंक्शन) में मास्टर ऑफ साइंस में डिग्री हासिल की. 13 मई, 1949 को अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, वह भारत लौट आए. यहां गुजरात के आनंद शहर पहुंचने पर उन्हें पता चला कि दूध के वितरकों (डिस्ट्रीब्यूटर) द्वारा किसानों का शोषण किया जा रहा था. पूरे क्षेत्र को एक व्यापारी पस्टनजी एडुलजी द्वारा नियंत्रित किया जा रहा था, जो पोलसन मक्खन का बाजार देखते थे.

दुग्ध सहकारी आंदोलन शुरू किया

किसानों के संघर्ष और उनके नेता त्रिभुवनदास पटेल के इस शोषण के खिलाफ लड़ने की कोशिश को देखकर, डॉ. कुरियन बहुत प्रभावित हुए. उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी और त्रिभुवनदास पटेल और किसानों के साथ मिलकर क्षेत्र में मिल्क कोऑपरेटिव मूवमेंट (दुग्ध सहकारी आंदोलन) शुरू किया. इस मूवमेंट को कायरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड (कायरा डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर यूनियन लिमिटेड ) के नाम से रजिस्टर किया गया था, जिसे बाद में बदल कर 'अमूल' कर दिया गया.

ऑपरेशन फ्लड कार्यक्रम

डॉ. कुरियन ने भारत में श्वेत क्रांति लाने के साथ ही 'ऑपरेशन फ्लड' कार्यक्रम की भी शुरुआत की. उनके नेतृत्व में, कई महत्वपूर्ण संस्थानों की स्थापना की गई, जिसमें GCMMF (गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड) और NDDB (नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड) शामिल है. इन संस्थानों ने देशभर में डेयरी कोऑपरेटिव मूवमेंट को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और पूरे देश में आनंद मॉडल की कोऑपरेटिव डेयरी का प्रचार किया.

डॉ. कुरियन हमेशा खुद को किसानों के लिए काम करने वाला एक कर्मचारी मानते थे. पचास से अधिक वर्षों की अपनी सेवा में उन्होंने दुनिया के विभिन्न संस्थानों से 15 उपाधियां प्राप्त कीं.

डॉ. कुरियन का मानना था कि सीखना कभी बंद नहीं होना चाहिए. डॉ. कुरियन को उनके महान कार्यो के लिए कई पुरस्कार मिले.

कई पुरस्कार से नवाजे गए
कई पुरस्कार से नवाजे गए

भारत के मिल्कमैन से जुड़ी रोचक बातें

  • डॉ. वर्गीज कुरियन पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने भैंस के दूध से दूध पाउडर बनाने का विचार पेश किया.
  • डॉ. कुरियन ने 'आई टू हैड ए ड्रीम' नामक एक पुस्तक लिखी, जो किसानों के सशक्तिकरण और भारत में दुग्ध सहकारी समितियों के विकास के बारे में एक प्रेरणादायक कहानी बयान करती है. अतुल भिडे ने इस पुस्तक का ऑडियो वर्जन भी बनाया है.
  • श्याम बेनेगल ने भारत में दुग्ध आंदोलन और इसपर काम करने वाले व्यक्ति, डॉ. वर्गीज कुरियन पर आधारित, मंथन नामक एक फिल्म बनाई है. इस फिल्म को 500,000 किसानों द्वारा वित्तपोषित किया गया था, जिसमें से हर एक किसान ने 2 रुपये दिए थे.
  • कुरियन के नेतृत्व में कई कंपनियों को लॉन्च किया गया था. पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने अमूल के वर्क मॉडल और पैटर्न के आधार पर नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) बनाया.
  • वर्ष 2013 में, अमर चित्र कथा ने एक कॉमिक बुक प्रकाशित की थी जिसका शीर्षक, 'वर्गीस कुरियन : द मैन विथ द बिलियन लिटर आइडिया' था. इस पुस्तक का सारांश यह है कि डॉ. कुरियन की कहानी ही अमूल की कहानी है.
    डॉ. वर्गीज
    डॉ. वर्गीज पर फिल्म भी बनी

डॉ. वर्गीज कुरियन की 9 सितंबर 2012 को आनंद में बीमारी के कारण उनका निधन हो गया.

डॉ. वर्गीज कुरियन को हमेशा उस व्यक्ति के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने आर्थिक विकास के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में दूध के अर्थ को फिर से परिभाषित किया.

पढ़ें- 69 वर्षों से श्वेत क्रांति में अग्रणी भूमिका निभा रही अमूल डेयरी

हैदराबाद : श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन की आज (9 सितंबर) पुण्यतिथि है. वर्गीज कुरियन का जन्म 26 नवंबर, 1921 को केरल के कालीकट (अब कोझीकोड) में एक संपन्न परिवार में हुआ था. उनके पिता पुथेनपर्क्कल कुरियन ब्रिटिश कोचीन में एक सिविल सर्जन थे और मां एक शिक्षित महिला होने के साथ-साथ एक असाधारण पियानो वादक भी थीं.

डॉ. कुरियन ने मद्रास के लोयोला कॉलेज से भौतिकी में बी.एससी का डिग्री हासिल की. वह सरकारी छात्रवृत्ति पर संयुक्त राज्य अमेरिका गए, जहां उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग (डिस्टिंक्शन) में मास्टर ऑफ साइंस में डिग्री हासिल की. 13 मई, 1949 को अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, वह भारत लौट आए. यहां गुजरात के आनंद शहर पहुंचने पर उन्हें पता चला कि दूध के वितरकों (डिस्ट्रीब्यूटर) द्वारा किसानों का शोषण किया जा रहा था. पूरे क्षेत्र को एक व्यापारी पस्टनजी एडुलजी द्वारा नियंत्रित किया जा रहा था, जो पोलसन मक्खन का बाजार देखते थे.

दुग्ध सहकारी आंदोलन शुरू किया

किसानों के संघर्ष और उनके नेता त्रिभुवनदास पटेल के इस शोषण के खिलाफ लड़ने की कोशिश को देखकर, डॉ. कुरियन बहुत प्रभावित हुए. उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी और त्रिभुवनदास पटेल और किसानों के साथ मिलकर क्षेत्र में मिल्क कोऑपरेटिव मूवमेंट (दुग्ध सहकारी आंदोलन) शुरू किया. इस मूवमेंट को कायरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड (कायरा डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर यूनियन लिमिटेड ) के नाम से रजिस्टर किया गया था, जिसे बाद में बदल कर 'अमूल' कर दिया गया.

ऑपरेशन फ्लड कार्यक्रम

डॉ. कुरियन ने भारत में श्वेत क्रांति लाने के साथ ही 'ऑपरेशन फ्लड' कार्यक्रम की भी शुरुआत की. उनके नेतृत्व में, कई महत्वपूर्ण संस्थानों की स्थापना की गई, जिसमें GCMMF (गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड) और NDDB (नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड) शामिल है. इन संस्थानों ने देशभर में डेयरी कोऑपरेटिव मूवमेंट को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और पूरे देश में आनंद मॉडल की कोऑपरेटिव डेयरी का प्रचार किया.

डॉ. कुरियन हमेशा खुद को किसानों के लिए काम करने वाला एक कर्मचारी मानते थे. पचास से अधिक वर्षों की अपनी सेवा में उन्होंने दुनिया के विभिन्न संस्थानों से 15 उपाधियां प्राप्त कीं.

डॉ. कुरियन का मानना था कि सीखना कभी बंद नहीं होना चाहिए. डॉ. कुरियन को उनके महान कार्यो के लिए कई पुरस्कार मिले.

कई पुरस्कार से नवाजे गए
कई पुरस्कार से नवाजे गए

भारत के मिल्कमैन से जुड़ी रोचक बातें

  • डॉ. वर्गीज कुरियन पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने भैंस के दूध से दूध पाउडर बनाने का विचार पेश किया.
  • डॉ. कुरियन ने 'आई टू हैड ए ड्रीम' नामक एक पुस्तक लिखी, जो किसानों के सशक्तिकरण और भारत में दुग्ध सहकारी समितियों के विकास के बारे में एक प्रेरणादायक कहानी बयान करती है. अतुल भिडे ने इस पुस्तक का ऑडियो वर्जन भी बनाया है.
  • श्याम बेनेगल ने भारत में दुग्ध आंदोलन और इसपर काम करने वाले व्यक्ति, डॉ. वर्गीज कुरियन पर आधारित, मंथन नामक एक फिल्म बनाई है. इस फिल्म को 500,000 किसानों द्वारा वित्तपोषित किया गया था, जिसमें से हर एक किसान ने 2 रुपये दिए थे.
  • कुरियन के नेतृत्व में कई कंपनियों को लॉन्च किया गया था. पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने अमूल के वर्क मॉडल और पैटर्न के आधार पर नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) बनाया.
  • वर्ष 2013 में, अमर चित्र कथा ने एक कॉमिक बुक प्रकाशित की थी जिसका शीर्षक, 'वर्गीस कुरियन : द मैन विथ द बिलियन लिटर आइडिया' था. इस पुस्तक का सारांश यह है कि डॉ. कुरियन की कहानी ही अमूल की कहानी है.
    डॉ. वर्गीज
    डॉ. वर्गीज पर फिल्म भी बनी

डॉ. वर्गीज कुरियन की 9 सितंबर 2012 को आनंद में बीमारी के कारण उनका निधन हो गया.

डॉ. वर्गीज कुरियन को हमेशा उस व्यक्ति के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने आर्थिक विकास के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में दूध के अर्थ को फिर से परिभाषित किया.

पढ़ें- 69 वर्षों से श्वेत क्रांति में अग्रणी भूमिका निभा रही अमूल डेयरी

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