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जानिए, कोरोना वायरस के नए वेरिएंट कितने खतरनाक - कोरोना वायरस वेरिएंट की संक्रामकता

दुनिया भर में कोरोना वायरस महामारी के कारण लाखों लागों की जानें जा चुके हैं. इसके वायरस के प्रसार के एक साल बाद भी किसी देश के पास इसका उचित उपचार उपलब्ध नहीं है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, कोरोना वायरस लगातार अपनी प्रकृति और संरचना बदल रहा है. यही वजह है कि यह अलग-अलग वेरिएंट में दुनियाभर में आज भी तेजी से फैल रहा है. आज हम आपको कोरोना वायरस के कुछ वेरिएंट के बारे में बता रहे हैं....

कोरोना वायरस
कोरोना वायरस
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Published : Apr 12, 2021, 7:05 PM IST

हैदराबाद : कोविड-19 महामारी के प्रसार के बाद दुनियाभर में कोरोन वायरस के कुछ नए वेरिएंट का भी पता चला है. इनमें से कुछ के नाम इस प्रकार हैं :

  • D614G (चीन से निकला पहला वेरिएंट)
  • 501Y.V2 (यह वेरिएंट सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में पाया गया)
  • P.1 (यह ब्राजील में सबसे पहले सामने आया)
  • B.1.1.7 (यूनाइटेड किंगडम में पहली बार इसका पता चला)
  • B.1.617 (इंडिया डबल म्यूटेंट वेरिएंट)

इनके अलावा, कोरोना वायरस के अन्य वेरिएंट भी वर्तमान में मौजूद हैं. चूंकि ये हाल ही में विकसित हुए हैं, इसलिए वैज्ञानिक अब तक इन वेरिएंट के बारे में अधिक जानकारी नहीं जुटा पाए हैं.

जैसे- दुनिया भर में इनका कितना व्यापक प्रसार है. यह पुराने वेरिएंट की तुलना में कितना घातक हैं. क्या इनके बीमारी का कारण अलग है.

साथ ही उनके म्यूटेशन का मौजूदा परीक्षणों, उपचारों और टीकों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है.

कोरोना वायरस वेरिएंट की जानकारी

चीनी वेरिएंट (D614G)
चीन के वुहान शहर से विकसित होने के बाद, जनवरी 2020 में इसके पहले वायरस की पहचान हुई और जून तक यह प्रमुख वैश्विक स्ट्रेन बन गया.

यह ACE2 रिसेप्टर में अधिक कुशलता से संलग्न होकर मानव जीवन को छति पहुंचाता है. मार्च से पहले यह 997 वैश्विक जीनोम अनुक्रमों के 10 प्रतिशत में पाया गया था.

दक्षिण अफ्रीकी वेरिएंट
दक्षिण अफ्रीका में 50 प्रतिशत अधिक संक्रामक होने के साथ यह देश में प्रमुख स्ट्रेन बन गया. यह वेरिएंट अब लगभग 40 देशों में फैल चुका है.

यूके वेरिएंट की तरह यह अधिक संक्रामक है. इसकी प्रकृति में एक और बदलाव, E484K, इस वायरस को पिछले संक्रमणों से विकसित एंटीबॉडी और कुछ टीकों को चकमा देने में मदद करता है.

यूके वेरिएंट के विपरीत, दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन उन लोगों को भी संक्रमित करता है, जो एक बार कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं.

भारत में अब तक इस वेरिएंट के 34 मामलों की पहचान की गई है.

ब्राजीलियन वेरिएंट
इस वरिएंट के कारण ब्राजील के मनौस में कोरोना वायरस के मामलों में भारी वृद्धि दर्ज की गई. तब से यह 21 अन्य देशों में फैल चुका है.

कुछ म्यूटेशन न केवल वेरिएंट को अधिक संक्रामक बताने हैं, बल्कि दक्षिण अफ्रीकी वेरिएंट की तरह, यह पिछले संक्रमण या टीकाकरण से उत्पन्न एंटीबॉडी से बचने में भी मदद करते हैं.

एक शोध में पाया गया कि अक्टूबर 2020 तक इस वायरस से मनौस की 76 प्रतिशत आबादी संक्रमित थी.

भारत में इस वेरिएंट का अब तक केवल एक मामला सामने आया है.

यूके वेरिएंट
पिछले साल सितंबर में ब्रिटेन में इसकी पहचान की गई थी. ऐसा कहा जाता है कि इस वेरिएंट के कारण यूके में कोरोना की दूसरी लहर आई, जो काफी घातक थी. डब्ल्यूएचओ ने इसे चिंता पैदा करने वाला वेरिएंट बताया है.

  • कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के एक शोध के अनुसार, यह वेरिएंट अब तक करीब 17 बार अपनी प्रकृति बदल चुका है. इसके एक म्यूटेशन को, N501Y नाम दिया गया है. जबकि एक अन्य म्यूटेशन को, H69V70 डिलीशन कहा जाता है, जो इस वायरस को एंटीबॉडी को चकमा देने में मदद करता है.
  • इंपीरियल कॉलेज के अध्ययन में पाया गया कि यह पिछले वेरिएंट की तुलना में 70 प्रतिशत अधिक संक्रामक है.
  • पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के अध्ययन में पाया गया कि यह शुरुआती चीन वेरिएंट की तरह संक्रामक है.
  • यह स्ट्रेन 50 देशों में फैल चुका है. इसके कारण यूके में 64 प्रतिशत अधिक मृत्यु दर दर्ज की गई.
  • भारत में, पंजाब में इस स्ट्रेन के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं और यहां उच्च मृत्यु दर (3 प्रतिशत) है, जो राष्ट्रीय आंकड़े से लगभग दोगुना है.
  • भारत में अब तक इस वेरिएंट के 737 मामलों की पहचान हुई है और पंजाब में सबसे अधिक है.

इंडिया डबल म्यूटेंट वेरिएंट

  • भारत में पहली बार दिसंबर 2020 में इस वेरिएंट का पता चला, इसके बाद यह अधिक तेजी से फैला. महाराष्ट्र के 20 प्रतिशत नमूनों (230 मामले) में यह वेरिएंट पाया गया था.
  • जीनोमिक्स (INSACOG) पर भारतीय SARS-CoV-2 कंसोर्टियम द्वारा वायरस के पहले नमूनों में दो म्यूटेशन- E484Q और L452R की उपस्थिति का पता चला था.
  • हालांकि ये म्यूटेशन अलग-अलग देशों में अलग-अलग पाए गए हैं, लेकिन इन दोनों म्यूटेशन की उपस्थिति पहली बार भारत में कोरोनो वायरस जीनोम में पाई गई.
  • स्ट्रेन में, E4840 म्यूटेशन दक्षिण अफ्रीकी और ब्राजील के स्ट्रेन के समान है. जिसे 'एस्केप म्यूटेशन' के रूप में भी जाना जाता है, यह वायरस को विकसित एंटीबॉडी को चकमा देने में मदद करता है.
  • जबकि L452R कैलिफोर्निया वेरिएंट में पाया गया है और यह वायरस की संक्रामकता को बढ़ाने में मदद करता है.

कोरोना टीके नए स्ट्रेन के खिलाफ प्रभावी हैं या नहीं
अब तक की शोध से पता चलता है कि वर्तमान टीके B.1.351 वेरिएंट के लिए कम प्रभावी हो सकते हैं, जो सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था. हालांकि अभी इस पर गहन शोध की आवश्यकता है.

हैदराबाद : कोविड-19 महामारी के प्रसार के बाद दुनियाभर में कोरोन वायरस के कुछ नए वेरिएंट का भी पता चला है. इनमें से कुछ के नाम इस प्रकार हैं :

  • D614G (चीन से निकला पहला वेरिएंट)
  • 501Y.V2 (यह वेरिएंट सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में पाया गया)
  • P.1 (यह ब्राजील में सबसे पहले सामने आया)
  • B.1.1.7 (यूनाइटेड किंगडम में पहली बार इसका पता चला)
  • B.1.617 (इंडिया डबल म्यूटेंट वेरिएंट)

इनके अलावा, कोरोना वायरस के अन्य वेरिएंट भी वर्तमान में मौजूद हैं. चूंकि ये हाल ही में विकसित हुए हैं, इसलिए वैज्ञानिक अब तक इन वेरिएंट के बारे में अधिक जानकारी नहीं जुटा पाए हैं.

जैसे- दुनिया भर में इनका कितना व्यापक प्रसार है. यह पुराने वेरिएंट की तुलना में कितना घातक हैं. क्या इनके बीमारी का कारण अलग है.

साथ ही उनके म्यूटेशन का मौजूदा परीक्षणों, उपचारों और टीकों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है.

कोरोना वायरस वेरिएंट की जानकारी

चीनी वेरिएंट (D614G)
चीन के वुहान शहर से विकसित होने के बाद, जनवरी 2020 में इसके पहले वायरस की पहचान हुई और जून तक यह प्रमुख वैश्विक स्ट्रेन बन गया.

यह ACE2 रिसेप्टर में अधिक कुशलता से संलग्न होकर मानव जीवन को छति पहुंचाता है. मार्च से पहले यह 997 वैश्विक जीनोम अनुक्रमों के 10 प्रतिशत में पाया गया था.

दक्षिण अफ्रीकी वेरिएंट
दक्षिण अफ्रीका में 50 प्रतिशत अधिक संक्रामक होने के साथ यह देश में प्रमुख स्ट्रेन बन गया. यह वेरिएंट अब लगभग 40 देशों में फैल चुका है.

यूके वेरिएंट की तरह यह अधिक संक्रामक है. इसकी प्रकृति में एक और बदलाव, E484K, इस वायरस को पिछले संक्रमणों से विकसित एंटीबॉडी और कुछ टीकों को चकमा देने में मदद करता है.

यूके वेरिएंट के विपरीत, दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन उन लोगों को भी संक्रमित करता है, जो एक बार कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं.

भारत में अब तक इस वेरिएंट के 34 मामलों की पहचान की गई है.

ब्राजीलियन वेरिएंट
इस वरिएंट के कारण ब्राजील के मनौस में कोरोना वायरस के मामलों में भारी वृद्धि दर्ज की गई. तब से यह 21 अन्य देशों में फैल चुका है.

कुछ म्यूटेशन न केवल वेरिएंट को अधिक संक्रामक बताने हैं, बल्कि दक्षिण अफ्रीकी वेरिएंट की तरह, यह पिछले संक्रमण या टीकाकरण से उत्पन्न एंटीबॉडी से बचने में भी मदद करते हैं.

एक शोध में पाया गया कि अक्टूबर 2020 तक इस वायरस से मनौस की 76 प्रतिशत आबादी संक्रमित थी.

भारत में इस वेरिएंट का अब तक केवल एक मामला सामने आया है.

यूके वेरिएंट
पिछले साल सितंबर में ब्रिटेन में इसकी पहचान की गई थी. ऐसा कहा जाता है कि इस वेरिएंट के कारण यूके में कोरोना की दूसरी लहर आई, जो काफी घातक थी. डब्ल्यूएचओ ने इसे चिंता पैदा करने वाला वेरिएंट बताया है.

  • कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के एक शोध के अनुसार, यह वेरिएंट अब तक करीब 17 बार अपनी प्रकृति बदल चुका है. इसके एक म्यूटेशन को, N501Y नाम दिया गया है. जबकि एक अन्य म्यूटेशन को, H69V70 डिलीशन कहा जाता है, जो इस वायरस को एंटीबॉडी को चकमा देने में मदद करता है.
  • इंपीरियल कॉलेज के अध्ययन में पाया गया कि यह पिछले वेरिएंट की तुलना में 70 प्रतिशत अधिक संक्रामक है.
  • पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के अध्ययन में पाया गया कि यह शुरुआती चीन वेरिएंट की तरह संक्रामक है.
  • यह स्ट्रेन 50 देशों में फैल चुका है. इसके कारण यूके में 64 प्रतिशत अधिक मृत्यु दर दर्ज की गई.
  • भारत में, पंजाब में इस स्ट्रेन के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं और यहां उच्च मृत्यु दर (3 प्रतिशत) है, जो राष्ट्रीय आंकड़े से लगभग दोगुना है.
  • भारत में अब तक इस वेरिएंट के 737 मामलों की पहचान हुई है और पंजाब में सबसे अधिक है.

इंडिया डबल म्यूटेंट वेरिएंट

  • भारत में पहली बार दिसंबर 2020 में इस वेरिएंट का पता चला, इसके बाद यह अधिक तेजी से फैला. महाराष्ट्र के 20 प्रतिशत नमूनों (230 मामले) में यह वेरिएंट पाया गया था.
  • जीनोमिक्स (INSACOG) पर भारतीय SARS-CoV-2 कंसोर्टियम द्वारा वायरस के पहले नमूनों में दो म्यूटेशन- E484Q और L452R की उपस्थिति का पता चला था.
  • हालांकि ये म्यूटेशन अलग-अलग देशों में अलग-अलग पाए गए हैं, लेकिन इन दोनों म्यूटेशन की उपस्थिति पहली बार भारत में कोरोनो वायरस जीनोम में पाई गई.
  • स्ट्रेन में, E4840 म्यूटेशन दक्षिण अफ्रीकी और ब्राजील के स्ट्रेन के समान है. जिसे 'एस्केप म्यूटेशन' के रूप में भी जाना जाता है, यह वायरस को विकसित एंटीबॉडी को चकमा देने में मदद करता है.
  • जबकि L452R कैलिफोर्निया वेरिएंट में पाया गया है और यह वायरस की संक्रामकता को बढ़ाने में मदद करता है.

कोरोना टीके नए स्ट्रेन के खिलाफ प्रभावी हैं या नहीं
अब तक की शोध से पता चलता है कि वर्तमान टीके B.1.351 वेरिएंट के लिए कम प्रभावी हो सकते हैं, जो सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था. हालांकि अभी इस पर गहन शोध की आवश्यकता है.

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