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Explainer मुफ्त की स्कीम क्या फ्री रेवड़ी कल्चर है या वेलफेयर, जानिए सब

मुफ्त वाली स्कीमों का मामला एक तरफ Supreme Court में है तो दूसरी तरफ इस पर सियासी संग्राम छिड़ा है. मुफ्त वाली स्कीमों को कोई मुफ्त की रेवड़ी कहने पर आपत्ति जता रहा है तो कोई सवाल कर रहा है. आइए जानते हैं फ्री रेवड़ी के नफा और नुकसान के बारे में. साथ ही दिल्ली सरकार के खजाने पर इसका कितना असर पड़ेगा. जानने के लिए पढ़िए ईटीवी भारत के संवाददाता आशुतोष झा की रिपोर्ट.

delhi update news in hindi
दिल्ली सरकार के खजाने पर फ्री रेवड़ी का असर
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Published : Aug 17, 2022, 1:09 PM IST

Updated : Aug 17, 2022, 2:02 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली समेत देशभर में इन दिनों फ्री रेवड़ी को लेकर काफी चर्चाएं हो रही है. चर्चा शुरू इस तरह हुई कि पिछले दिनों देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम में बिना किसी राज्य और सरकार का नाम लिए कहा कि सत्ता हासिल करने के लिए कुछ लोग और पार्टियां इतनी महत्वकांक्षी हो गई हैं कि वह मुफ्त में पेट्रोल और डीजल देने का भी ऐलान कर सकती हैं. यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है. इशारों-इशारों में ही उन्होंने यहां तक कह दिया कि फ्री रेवड़ी कल्चर और वेलफेयर में काफी फर्क होता है. हमें ऐसी घोषणा करने वाले राजनीतिक दल के नेताओं से सावधान रहने की जरूरत है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बात पर अन्य राजनीतिक दल व नेताओं ने तो काफी देर से अपनी प्रतिक्रियाएं दीं. लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री व आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के संयोजक अरविंद केजरीवाल (Delhi CM Arvind Kejriwal) ने तुरंत वीडियो संदेश जारी कर फ्री रेवड़ी (फ्री-बी) तथा दिल्ली सरकार द्वारा प्रदत्त मुफ्त सेवाओं को लेकर अपनी मंशा बता दी. उसके बाद से लेकर आज तक मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री व पार्टी के तमाम नेता किसी न किसी प्लेटफार्म पर रोजाना आम आदमी पार्टी सरकार से मिली मुफ्त योजनाओं को लेकर सफाई देते नजर आ रहे हैं.

फ्री रेवड़ी पर कैसे शुरू हुई चर्चा ?

फ्री रेवड़ी और वेलफेयर में फर्क करना क्या आसान है? दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त उपहार बांटने के खिलाफ गुहार लगाई गई थी. अर्जी में यह भी कहा गया कि उपहार बांटना या वादा करने को रिश्वत घोषित किया जाए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट में दूसरी तरफ यह भी दलील दी जा रही है कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और सरकार की तरफ से चलाई जा रही वेलफेयर स्कीम को मुफ्त उपहार की कैटेगरी में नहीं रख सकते हैं. याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने अर्जी में कहा है कि राजनीतिक पार्टियों के इस तरह के वादे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव को प्रभावित करते हैं. मुफ्त में चीजों को उपलब्ध कराना और इसके जरिए मतदाताओं को लुभाने का प्रयास करना एक तरह की रिश्वत है.

क्या होती है जनकल्याणकारी योजना ?

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के बाद आम आदमी पार्टी की तरफ से कहा गया है कि सरकार जिन लोगों के कल्याण के लिए स्कीम चलाती है उसे मुफ्त उपहार नहीं कह सकते हैं. संविधान में नीति निर्देशक सिद्धांत हैं. इसके तहत राज्य सामाजिक और वेलफेयर प्रोग्राम चलाते हैं, ताकि देश में सामाजिक संतुलन कायम हो और हर तबके को बुनियादी सुविधाएं मिल सके. इनमें गरीब कामगारों को कम कीमत पर फ्री भोजन के लिए कैंटीन की सुविधाएं देना, वेलफेयर स्कीम है. इसी तरह रैन बसेरा की व्यवस्था, कम कीमत या मुफ्त पानी, बेसिक स्वास्थ्य सेवा, 14 साल तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा, जो भोजन की व्यवस्था नहीं कर सकते उसे मुफ्त राशन, मिड-डे-मील, महिलाओं को फ्री ट्रांसपोर्टेशन आदि भी वेलफेयर स्कीम में शामिल है. आम आदमी पार्टी के वकील कपिल सिब्बल ने यह भी कहा है कि मिड-डे-मील, गरीबों को राशन और फ्री बिजली आदि सुविधाएं वेलफेयर के काम में है. इस तरह के कामों का इस प्रकार रोक नहीं लगाई जा सकती है.

फ्री रेवड़ी, वेलफेयर अलग तो मुफ्त उपहारों की क्या है कैटेगरी ?

उपाध्याय कहते हैं कि अगर कोई राजनीतिक दल लैपटॉप, कंप्यूटर या मोबाइल फोन देने का वादा करते हैं यह सब मुफ्त की श्रेणी में आएगा. सीधे नगद देना भी मुफ्त उपहार ही है. इनके अलावा दी जाने वाली सभी चीजें मुफ्त की श्रेणी में आएंगी. मुफ्त में बिजली दिए जाने को वेलफेयर स्कीम नहीं कह सकते हैं. गरीबों को मुफ्त बिजली मिलना एक हद तक सही है, क्योंकि उनकी बुनियादी जरूरत हो सकती है. लेकिन संपन्न लोगों को भी मुफ्त में बिजली उपलब्ध करवाने से सरकार के रेवेन्यू पर बोझ बढ़ता है. यही बात और पानी मुफ्त परिवहन सेवा, मुफ्त वाईफाई सेवा आदि पर भी लागू होता है.

फ्री चावल, टीवी, लैपटॉप नहीं तो दिल्ली सरकार क्या बांट रही है फ्री?

राजनीति में आने के बाद वर्ष 2013 में आम आदमी पार्टी ने जब चुनाव लड़ा तब दिल्ली वालों को बिजली बिल हाफ और पानी बिल माफ का जमकर प्रचार किया. पार्टी पहली बार में ही सरकार बनाने में सफल रही. उसके बाद 2014 में फिर चुनाव लड़ने के दौरान मुफ्त योजनाओं की झड़ी लगा दी. नतीजा 70 में से 67 सीटें पार्टी जीतीं. 2020 में दिल्ली विधानसभा के चुनाव से पहले यहां सरकार ने फ्री चावल, टीवी, लैपटॉप या स्मार्टफोन नहीं बांटा. बल्कि 200 यूनिट तक फ्री बिजली, पानी, वाईफाई, बुजुर्गों को मुफ्त तीर्थयात्रा, सर्जरी, महिलाओं को मुफ्त बस में सफर जैसी कई चीजों को फ्री कर दिया. ये योजनाएं अब भी चल रही हैं और लोग इन सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं. अब दिल्ली की देखा-देखी अन्य राज्यों में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक दल मुफ्त योजनाओं का वादा कर रहे हैं. दिल्ली सरकार की फ्री-योजनाओं से सबक लेकर दूसरी राज्य सरकारें अब इस पर अमल करने लगी हैं.

दिल्ली सरकार के खजाने पर इसका कितना पड़ेगा असर?

फ्री बिजली- दिल्ली सरकार की जारी अपने रिपोर्ट कार्ड के मुताबिक 2020-21 में उन्होंने बिजली बिल की सब्सिडी पर 1900 करोड़ रुपये खर्च किया. दिल्ली में कितने परिवार हैं, जिनका बिजली बिल शून्य आता है. इसके आंकड़े हर महीने बदलते रहते हैं, लेकिन मार्च महीने के आंकड़े के मुताबिक लगभग 46 लाख लोगों का बिल शून्य आया था.

फ्री पानी- 2020-21 के दिल्ली सरकार के आंकड़ों के मुताबिक इस योजना पर 800 करोड़ रुपये खर्च किए. उनके मुताबिक 20 हजार लीटर तक के पानी के इस्तेमाल पर जीरो बिल के बाद भी दिल्ली जल बोर्ड का राजस्व में इजाफा हुआ है. करीब 14 लाख लोगों को इस मुफ्त योजना का फायदा पहुंचा है.

महिलाओं की फ्री बस यात्रा- महिलाओं की मुफ्त में बस यात्रा कराने की घोषणा दिल्ली सरकार ने चुनाव से कुछ महीने पहले ही की थी. राज्य सरकार का दावा है कि इस पर 108 करोड़ रुपये का ख़र्च आया. हालांकि इस योजना का लाभ अब तक कितनी महिलाओं को मिला है इसका कोई आंकड़ा नहीं है, लेकिन डीटीसी के अनुसार महिलाओं द्वारा डीटीसी के इस्तेमाल में 40 फीसदी इजाफा हुआ है.

मोहल्ला क्लीनिक- दिल्ली सरकार के आज 400 मोहल्ला क्लीनिक चल रहे हैं. इस वर्ष के बजट में सरकार ने 400 से अधिक करोड़ रुपये का बजट मोहल्ला क्लीनिक के लिए रखा है.

मुख्यमंत्री तीर्थयात्रा योजना- इस योजना में दिल्ली में रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त तीर्थ यात्रा का आनंद ले रहे हैं. फिलहाल इसमें 12 जगहों की यात्रा करवाई जाती है.

फ्री सर्जरी स्कीम- दिल्ली सरकार फ्री सर्जरी स्कीम चलाती है. इसके तहत 1100 तरह के ऑपरेशन फ्री करवाए जा सकते हैं. अगर सर्जरी के लिए सरकारी हॉस्पिटल प्राइवेट में रेफर करता है तो प्राइवेट हॉस्पिटल भी उस सर्जरी को फ्री में करेगा.

फ्री वाईफाई- पूर्ण बहुमत से सरकार में आने के बाद आखिरी वर्ष 2019 में दिल्ली के लोगों को फ्री वाईफाई की सुविधा मिलने लगी है. सरकार ने 11 हजार जगहों पर फ्री वाईफाई लगाई है.

फ्री सीवर कनेक्शन- दिल्ली की विभिन्न कॉलोनियों में अब मुफ्त सीवर कनेक्शन योजना का लाभ मिलता है. अब लोगों को सीवर कनेक्शन लेने के लिए विकास शुल्क और रोड कटिंग चार्ज नहीं देना होता है. इस पर कनेक्शन, रोड कटिंग व विकास शुल्क पर करीब 15 हजार रुपये का खर्च आता था.

सेप्टिक टैंक की फ्री सफाई- दिल्ली सरकार कच्ची कॉलोनियों और गांवों में सेप्टिक टैंक की मुफ्त सफाई करवा रही है. इससे करीब 45 लाख परिवारों को राहत की बात कही गई है.

फ्री कोचिंग स्कीम का फायदा ओबीसी को भी- जय भीम मुख्यमंत्री प्रतिभा विकास योजना का लाभ अब सभी जाति/वर्ग के गरीब बच्चे उठा सकते हैं. पहले यह योजना सिर्फ एससी कैटिगरी के बच्चों के लिए थी. अब इसमें ओबीसी को भी जोड़ दिया गया है. अब इस योजना का लाभ एससी छात्रों के अलावा ओबीसी छात्रों और आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य श्रेणी के छात्रों को मिलेगा.

इतनी सारी फ्री योजनाएं? क्या सरकार का खजाना खाली नहीं हो रहा

राज्य सरकारों की आर्थिक स्थिति पर जारी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक जब से दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार आई है, तब से शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्चा बढ़ गया है. दिल्ली का राजस्व संतुलन चिंता का विषय बना हुआ है. राजस्व संतुलन का मतलब ये कि खर्चे और आय में संतुलन ठीक है या नहीं. आरबीआई के जारी आंकड़ों के मुताबिक आज से 10 साल पहले दिल्ली राज्य के जीडीपी का 4.2 फीसद सरप्लस में था. 10 साल बाद 2019-20 में ये घट कर 0.6 फीसदी रह गया है. इसका साफ मतलब ये निकाला जा सकता है कि जितना पैसा दिल्ली सरकार के खजाने में जमा हो रहा था, सभी खर्चे पूरे करने के बाद वो धीरे-धीरे खाली होता जा रहा है. अगर ये योजनाएं बिना किसी आय के नए संसाधन जुटाए जारी रहेंगी तो आने वाले दिनों में चिंता का सबब बन सकती हैं.

दिल्ली सरकार के आय के स्रोत

दिल्ली सरकार की आमदनी के दो सबसे अहम स्रोत हैं - पहला जीएसटी और दूसरा एक्साइज़ से होने वाली आमदनी. तभी आमदनी बढ़ाने के लिए गत वर्ष दिल्ली सरकार नई एक्साइज पॉलिसी लेकर आई थी और शराब बिक्री की जिम्मेदारी निजी कंपनियों को दे दी थी. हालांकि अब यह पॉलिसी सरकार ने वापस ले ली है. इसके आलावा हर राज्य सरकार को कुछ केंद्रीय अनुदान भी मिलता है और कुछ कमाई जमा पैसे के लाभांश से भी होती है.

दिल्ली सरकार की फ्री योजनाओं से क्या विकास कार्य हो रहे हैं प्रभावित?

दिल्ली सरकार के पूर्व मुख्य सचिव ओमेश सेहगल का कहना है कि सरकार का काम सड़क, स्कूल, फ्लाईओवर बनाना है. कल्याणकारी योजनाओं में खर्च करना है. अगर सरकार फ्री में बिजली-पानी देना जारी रखेगी, तो उन्हें कल्याणकारी योजनाओं में कटौती करनी पड़ेगी. पिछले पांच सालों में नए फ्लाइओवर, नए स्कूल और अस्पताल कितने बने हैं, ये आंकड़े इस सरकार ने कभी नहीं दिए हैं. आप सरकार मानती है कि नए फ्लाइओवर, नए स्कूल और नए अस्पताल दिए बिना फ्री में बिजली, पानी और बस सेवा का ख़र्च दिल्ली की सरकार जारी तो रख सकती है, लेकिन ऐसा दिल्ली के लिहाज़ से ख़तरनाक होगा.

नई दिल्ली: दिल्ली समेत देशभर में इन दिनों फ्री रेवड़ी को लेकर काफी चर्चाएं हो रही है. चर्चा शुरू इस तरह हुई कि पिछले दिनों देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम में बिना किसी राज्य और सरकार का नाम लिए कहा कि सत्ता हासिल करने के लिए कुछ लोग और पार्टियां इतनी महत्वकांक्षी हो गई हैं कि वह मुफ्त में पेट्रोल और डीजल देने का भी ऐलान कर सकती हैं. यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है. इशारों-इशारों में ही उन्होंने यहां तक कह दिया कि फ्री रेवड़ी कल्चर और वेलफेयर में काफी फर्क होता है. हमें ऐसी घोषणा करने वाले राजनीतिक दल के नेताओं से सावधान रहने की जरूरत है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बात पर अन्य राजनीतिक दल व नेताओं ने तो काफी देर से अपनी प्रतिक्रियाएं दीं. लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री व आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के संयोजक अरविंद केजरीवाल (Delhi CM Arvind Kejriwal) ने तुरंत वीडियो संदेश जारी कर फ्री रेवड़ी (फ्री-बी) तथा दिल्ली सरकार द्वारा प्रदत्त मुफ्त सेवाओं को लेकर अपनी मंशा बता दी. उसके बाद से लेकर आज तक मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री व पार्टी के तमाम नेता किसी न किसी प्लेटफार्म पर रोजाना आम आदमी पार्टी सरकार से मिली मुफ्त योजनाओं को लेकर सफाई देते नजर आ रहे हैं.

फ्री रेवड़ी पर कैसे शुरू हुई चर्चा ?

फ्री रेवड़ी और वेलफेयर में फर्क करना क्या आसान है? दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त उपहार बांटने के खिलाफ गुहार लगाई गई थी. अर्जी में यह भी कहा गया कि उपहार बांटना या वादा करने को रिश्वत घोषित किया जाए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट में दूसरी तरफ यह भी दलील दी जा रही है कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और सरकार की तरफ से चलाई जा रही वेलफेयर स्कीम को मुफ्त उपहार की कैटेगरी में नहीं रख सकते हैं. याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने अर्जी में कहा है कि राजनीतिक पार्टियों के इस तरह के वादे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव को प्रभावित करते हैं. मुफ्त में चीजों को उपलब्ध कराना और इसके जरिए मतदाताओं को लुभाने का प्रयास करना एक तरह की रिश्वत है.

क्या होती है जनकल्याणकारी योजना ?

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के बाद आम आदमी पार्टी की तरफ से कहा गया है कि सरकार जिन लोगों के कल्याण के लिए स्कीम चलाती है उसे मुफ्त उपहार नहीं कह सकते हैं. संविधान में नीति निर्देशक सिद्धांत हैं. इसके तहत राज्य सामाजिक और वेलफेयर प्रोग्राम चलाते हैं, ताकि देश में सामाजिक संतुलन कायम हो और हर तबके को बुनियादी सुविधाएं मिल सके. इनमें गरीब कामगारों को कम कीमत पर फ्री भोजन के लिए कैंटीन की सुविधाएं देना, वेलफेयर स्कीम है. इसी तरह रैन बसेरा की व्यवस्था, कम कीमत या मुफ्त पानी, बेसिक स्वास्थ्य सेवा, 14 साल तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा, जो भोजन की व्यवस्था नहीं कर सकते उसे मुफ्त राशन, मिड-डे-मील, महिलाओं को फ्री ट्रांसपोर्टेशन आदि भी वेलफेयर स्कीम में शामिल है. आम आदमी पार्टी के वकील कपिल सिब्बल ने यह भी कहा है कि मिड-डे-मील, गरीबों को राशन और फ्री बिजली आदि सुविधाएं वेलफेयर के काम में है. इस तरह के कामों का इस प्रकार रोक नहीं लगाई जा सकती है.

फ्री रेवड़ी, वेलफेयर अलग तो मुफ्त उपहारों की क्या है कैटेगरी ?

उपाध्याय कहते हैं कि अगर कोई राजनीतिक दल लैपटॉप, कंप्यूटर या मोबाइल फोन देने का वादा करते हैं यह सब मुफ्त की श्रेणी में आएगा. सीधे नगद देना भी मुफ्त उपहार ही है. इनके अलावा दी जाने वाली सभी चीजें मुफ्त की श्रेणी में आएंगी. मुफ्त में बिजली दिए जाने को वेलफेयर स्कीम नहीं कह सकते हैं. गरीबों को मुफ्त बिजली मिलना एक हद तक सही है, क्योंकि उनकी बुनियादी जरूरत हो सकती है. लेकिन संपन्न लोगों को भी मुफ्त में बिजली उपलब्ध करवाने से सरकार के रेवेन्यू पर बोझ बढ़ता है. यही बात और पानी मुफ्त परिवहन सेवा, मुफ्त वाईफाई सेवा आदि पर भी लागू होता है.

फ्री चावल, टीवी, लैपटॉप नहीं तो दिल्ली सरकार क्या बांट रही है फ्री?

राजनीति में आने के बाद वर्ष 2013 में आम आदमी पार्टी ने जब चुनाव लड़ा तब दिल्ली वालों को बिजली बिल हाफ और पानी बिल माफ का जमकर प्रचार किया. पार्टी पहली बार में ही सरकार बनाने में सफल रही. उसके बाद 2014 में फिर चुनाव लड़ने के दौरान मुफ्त योजनाओं की झड़ी लगा दी. नतीजा 70 में से 67 सीटें पार्टी जीतीं. 2020 में दिल्ली विधानसभा के चुनाव से पहले यहां सरकार ने फ्री चावल, टीवी, लैपटॉप या स्मार्टफोन नहीं बांटा. बल्कि 200 यूनिट तक फ्री बिजली, पानी, वाईफाई, बुजुर्गों को मुफ्त तीर्थयात्रा, सर्जरी, महिलाओं को मुफ्त बस में सफर जैसी कई चीजों को फ्री कर दिया. ये योजनाएं अब भी चल रही हैं और लोग इन सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं. अब दिल्ली की देखा-देखी अन्य राज्यों में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक दल मुफ्त योजनाओं का वादा कर रहे हैं. दिल्ली सरकार की फ्री-योजनाओं से सबक लेकर दूसरी राज्य सरकारें अब इस पर अमल करने लगी हैं.

दिल्ली सरकार के खजाने पर इसका कितना पड़ेगा असर?

फ्री बिजली- दिल्ली सरकार की जारी अपने रिपोर्ट कार्ड के मुताबिक 2020-21 में उन्होंने बिजली बिल की सब्सिडी पर 1900 करोड़ रुपये खर्च किया. दिल्ली में कितने परिवार हैं, जिनका बिजली बिल शून्य आता है. इसके आंकड़े हर महीने बदलते रहते हैं, लेकिन मार्च महीने के आंकड़े के मुताबिक लगभग 46 लाख लोगों का बिल शून्य आया था.

फ्री पानी- 2020-21 के दिल्ली सरकार के आंकड़ों के मुताबिक इस योजना पर 800 करोड़ रुपये खर्च किए. उनके मुताबिक 20 हजार लीटर तक के पानी के इस्तेमाल पर जीरो बिल के बाद भी दिल्ली जल बोर्ड का राजस्व में इजाफा हुआ है. करीब 14 लाख लोगों को इस मुफ्त योजना का फायदा पहुंचा है.

महिलाओं की फ्री बस यात्रा- महिलाओं की मुफ्त में बस यात्रा कराने की घोषणा दिल्ली सरकार ने चुनाव से कुछ महीने पहले ही की थी. राज्य सरकार का दावा है कि इस पर 108 करोड़ रुपये का ख़र्च आया. हालांकि इस योजना का लाभ अब तक कितनी महिलाओं को मिला है इसका कोई आंकड़ा नहीं है, लेकिन डीटीसी के अनुसार महिलाओं द्वारा डीटीसी के इस्तेमाल में 40 फीसदी इजाफा हुआ है.

मोहल्ला क्लीनिक- दिल्ली सरकार के आज 400 मोहल्ला क्लीनिक चल रहे हैं. इस वर्ष के बजट में सरकार ने 400 से अधिक करोड़ रुपये का बजट मोहल्ला क्लीनिक के लिए रखा है.

मुख्यमंत्री तीर्थयात्रा योजना- इस योजना में दिल्ली में रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त तीर्थ यात्रा का आनंद ले रहे हैं. फिलहाल इसमें 12 जगहों की यात्रा करवाई जाती है.

फ्री सर्जरी स्कीम- दिल्ली सरकार फ्री सर्जरी स्कीम चलाती है. इसके तहत 1100 तरह के ऑपरेशन फ्री करवाए जा सकते हैं. अगर सर्जरी के लिए सरकारी हॉस्पिटल प्राइवेट में रेफर करता है तो प्राइवेट हॉस्पिटल भी उस सर्जरी को फ्री में करेगा.

फ्री वाईफाई- पूर्ण बहुमत से सरकार में आने के बाद आखिरी वर्ष 2019 में दिल्ली के लोगों को फ्री वाईफाई की सुविधा मिलने लगी है. सरकार ने 11 हजार जगहों पर फ्री वाईफाई लगाई है.

फ्री सीवर कनेक्शन- दिल्ली की विभिन्न कॉलोनियों में अब मुफ्त सीवर कनेक्शन योजना का लाभ मिलता है. अब लोगों को सीवर कनेक्शन लेने के लिए विकास शुल्क और रोड कटिंग चार्ज नहीं देना होता है. इस पर कनेक्शन, रोड कटिंग व विकास शुल्क पर करीब 15 हजार रुपये का खर्च आता था.

सेप्टिक टैंक की फ्री सफाई- दिल्ली सरकार कच्ची कॉलोनियों और गांवों में सेप्टिक टैंक की मुफ्त सफाई करवा रही है. इससे करीब 45 लाख परिवारों को राहत की बात कही गई है.

फ्री कोचिंग स्कीम का फायदा ओबीसी को भी- जय भीम मुख्यमंत्री प्रतिभा विकास योजना का लाभ अब सभी जाति/वर्ग के गरीब बच्चे उठा सकते हैं. पहले यह योजना सिर्फ एससी कैटिगरी के बच्चों के लिए थी. अब इसमें ओबीसी को भी जोड़ दिया गया है. अब इस योजना का लाभ एससी छात्रों के अलावा ओबीसी छात्रों और आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य श्रेणी के छात्रों को मिलेगा.

इतनी सारी फ्री योजनाएं? क्या सरकार का खजाना खाली नहीं हो रहा

राज्य सरकारों की आर्थिक स्थिति पर जारी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक जब से दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार आई है, तब से शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्चा बढ़ गया है. दिल्ली का राजस्व संतुलन चिंता का विषय बना हुआ है. राजस्व संतुलन का मतलब ये कि खर्चे और आय में संतुलन ठीक है या नहीं. आरबीआई के जारी आंकड़ों के मुताबिक आज से 10 साल पहले दिल्ली राज्य के जीडीपी का 4.2 फीसद सरप्लस में था. 10 साल बाद 2019-20 में ये घट कर 0.6 फीसदी रह गया है. इसका साफ मतलब ये निकाला जा सकता है कि जितना पैसा दिल्ली सरकार के खजाने में जमा हो रहा था, सभी खर्चे पूरे करने के बाद वो धीरे-धीरे खाली होता जा रहा है. अगर ये योजनाएं बिना किसी आय के नए संसाधन जुटाए जारी रहेंगी तो आने वाले दिनों में चिंता का सबब बन सकती हैं.

दिल्ली सरकार के आय के स्रोत

दिल्ली सरकार की आमदनी के दो सबसे अहम स्रोत हैं - पहला जीएसटी और दूसरा एक्साइज़ से होने वाली आमदनी. तभी आमदनी बढ़ाने के लिए गत वर्ष दिल्ली सरकार नई एक्साइज पॉलिसी लेकर आई थी और शराब बिक्री की जिम्मेदारी निजी कंपनियों को दे दी थी. हालांकि अब यह पॉलिसी सरकार ने वापस ले ली है. इसके आलावा हर राज्य सरकार को कुछ केंद्रीय अनुदान भी मिलता है और कुछ कमाई जमा पैसे के लाभांश से भी होती है.

दिल्ली सरकार की फ्री योजनाओं से क्या विकास कार्य हो रहे हैं प्रभावित?

दिल्ली सरकार के पूर्व मुख्य सचिव ओमेश सेहगल का कहना है कि सरकार का काम सड़क, स्कूल, फ्लाईओवर बनाना है. कल्याणकारी योजनाओं में खर्च करना है. अगर सरकार फ्री में बिजली-पानी देना जारी रखेगी, तो उन्हें कल्याणकारी योजनाओं में कटौती करनी पड़ेगी. पिछले पांच सालों में नए फ्लाइओवर, नए स्कूल और अस्पताल कितने बने हैं, ये आंकड़े इस सरकार ने कभी नहीं दिए हैं. आप सरकार मानती है कि नए फ्लाइओवर, नए स्कूल और नए अस्पताल दिए बिना फ्री में बिजली, पानी और बस सेवा का ख़र्च दिल्ली की सरकार जारी तो रख सकती है, लेकिन ऐसा दिल्ली के लिहाज़ से ख़तरनाक होगा.

Last Updated : Aug 17, 2022, 2:02 PM IST
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