नई दिल्ली: दिल्ली के जंतर-मंतर पर किसानों के संसद का दूसरा दिन सुचारू रूप से चल रहा है. किसानों ने शुक्रवार के पहले सत्र में एक व्यक्ति को सरकार का प्रतिनिधि बनाया और किसानों के बीच से ही एक व्यक्ति को कृषि मंत्री के रूप में सत्र में बैठाया गया. कार्यवाही शुरू होने के बाद किसानों ने तीनों नए कृषि कानूनों पर अपनी राय रखनी शुरू की और अपने सवाल भी पूछे लेकिन सरकार के प्रतिनिधि किसानों के सवाल का जबाब नहीं दे सके. किसान नेताओं का कहना है कि देश की संसद से बेहतर तरीके से वह किसान संसद का संचालन कर रहे हैं.
'ईटीवी भारत' से बातचीत करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा के सबसे युवा चेहरे और राष्ट्रीय किसान महासंघ के प्रवक्ता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि जिस तरह के गंभीर सवाल आज आम किसान भी इस संसद में पूछ रहे हैं इससे यह साबित हो जाता है कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा आंदोलन अब किसानों के रग-रग में बस गया है. जिस तरह से किसान आंदोलन की आलोचना की जाती थी कि किसानों को गुमराह किया जा रहा है और उन्हें कानूनों की समझ है, सारी बातें आज झूठ साबित हो चुकी हैं.
सरकार रच रही साजिश
मंडी व्यवस्था पर चर्चा करते हुए किसानों ने कहा कि कृषि कानूनों के माध्यम से सरकार समानांतर मंडियां स्थापित करना चाहती है. समानांतर मंडियों से सरकार हमारी पारंपरिक मंडी व्यवस्था को खत्म करने की साजिश है. सरकार बेशक यह कहे कि मंडियां खत्म नहीं होगीं, लेकिन सच यही है कि नए कानूनों में जो प्रावधान हैं, उनके लागू होने के बाद मंडियां स्वतः बंद हो जाएंगी.
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मोदी सरकार में संस्कृति और विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी द्वारा जंतर मंतर पर बैठे किसानों को मवाली कहे जाने पर भी किसान मोर्चा में खासी नाराजगी है और किसान नेताओं ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है. किसान देश के मालिक हैं और नेता उनके नौकर हैं, लेकिन जिस तरह का बयान किसानों पर दिया गया है इससे यह समझ लेना चाहिए कि देश की सत्ता अब अनपढ़ और भ्रष्ट लोगों के हाथ में है. आने वाले समय में देश की जनता इनको सबक सिखाएगी.