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किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी का लिंब सेंटर लोगों को दे रहा नया जीवन, जानिए कैसे लगाए जाते हैं कृत्रिम अंग

किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के लिंब सेंटर दुर्घटना में अंग गंवाने वालों के लिए वरदान साबित हो रहा है. लिंब सेंटर में कृत्रिम अंग लगाकर लोगों को नया जीवन दिया जाता है. केजीएमयू के लिंब सेंटर में कृत्रिम अंग लगवाने का खर्च भी काफी कम है.

किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के लिंब सेंटर में लगाए जाते हैं कृत्रिम अंग.
किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के लिंब सेंटर में लगाए जाते हैं कृत्रिम अंग.
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 30, 2023, 7:27 PM IST

किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी का लिंब सेंटर लोगों को दे रहा नया जीवन. देखें खबर

लखनऊ : चित्रकूट की रहने वाली 28 वर्षीय युवती की पांच माह पहले शादी हुई थी. शादी के तीसरे ही दिन दुर्घटना में पैर कट गए. अपनी नई जिंदगी शुरू करने का सपना देख रही युवती की पैर कटने से मानो उसकी पूरी जिंदगी ही उजड़ गई. उसे चित्रकूट के डॉक्टरों ने किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के लिंब सेंटर (Limb Center of KGMU) जाने को कहा. जहां डिपार्टमेंट ऑफ फिजिकल मेडिसिन रिहैबिलिटेशन ने युवती का आर्टिफिशियल पैर लगाया. अब युवती फिर से अपने पैरों पर खड़ी हो गई है. ऐसे ही सैकड़ों लोगों को नया जीवन दे चुके केजीएमयू के लिंब सेंटर में रोजाना दर्जनों लोग कृत्रिम अंग लगवाने आते हैं और सस्ते दामों में वे अपना नया जीवन शुरू करते हैं.

किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के लिंब सेंटर में लगाए जाते हैं कृत्रिम अंग.
किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के लिंब सेंटर में लगाए जाते हैं कृत्रिम अंग.



केजीएमयू के लिंब सेंटर में तैनात डॉ. मयंक महेंद्रा ने बताया कि लिंब सेंटर में रोजाना कई तरह के केस आते हैं. किसी का हाई शुगर के चलते पैर या हाथ सड़ गया होता है तो किसी का पैर किसी इन्फेक्शन के चलते काटना पड़ता है. ज्यादत्तर सड़क दुर्घटना में घायल मरीज आते हैं जिनके अंग भंग होते हैं. कई तो ऐसे मरीज होते हैं जो अपने दोनों हाथ और पैर गवां चुके होते हैं. ऐसे लोगों की उम्मीद को हम टूटने नहीं देते हैं. यहां पर बेहतर इलाज मुहैया कराते हुए उन्हें कृत्रिम अंग लगा कर फिर से नई जिंदगी के लिए तैयार किया जाता है.

किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के लिंब सेंटर में लगाए जाते हैं कृत्रिम अंग.
किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के लिंब सेंटर में लगाए जाते हैं कृत्रिम अंग.
किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के लिंब सेंटर में लगाए जाते हैं कृत्रिम अंग.
किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के लिंब सेंटर में लगाए जाते हैं कृत्रिम अंग.



कृत्रिम अंग लगवाने की प्रक्रिया

डॉ. मयंक के अनुसार सेंटर में पूरे प्रदेश से मरीज रेफर होकर आते हैं. सेंटर की खासियत यह है कि चंद पैसों में हम नया अंग बना कर लगाते हैं. जबकि बाहर मिलने वाले कृत्रिम अंग की कीमत लाखों में होती है. हम जो भी कृत्रिम अंग बनाते हैं वो लेटेस्ट तकनीकी का इस्तेमाल कर बनाए जाते हैं. सबसे पहले जिसको कृत्रिम अंग लगाना होता है उसका पैर या हाथ सही आकार में काट कर सही माप लेते हैं. जब सही आकार और माप हमारे पास होती है तब भौतिक चिकित्सा एवं पुनर्वास विभाग (डीपीएमआर डिपार्टमेंट) में सही पैर का मेजरमेंट किया जाता है. इसके बाद हमारी टीम मरीज के पहले पैर या हाथ जैसे ही कृत्रिम अंग तैयार करते हैं. इसके बाद मरीज को अंग पहनने की ट्रेनिंग दी जाती है.

यह भी पढ़ें : G 20 Summit 2023 in New Delhi : दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन, बाइडेन से लेकर सुनक की होगी मौजूदगी, जानें पूरा ब्योरा

किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी का लिंब सेंटर लोगों को दे रहा नया जीवन. देखें खबर

लखनऊ : चित्रकूट की रहने वाली 28 वर्षीय युवती की पांच माह पहले शादी हुई थी. शादी के तीसरे ही दिन दुर्घटना में पैर कट गए. अपनी नई जिंदगी शुरू करने का सपना देख रही युवती की पैर कटने से मानो उसकी पूरी जिंदगी ही उजड़ गई. उसे चित्रकूट के डॉक्टरों ने किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के लिंब सेंटर (Limb Center of KGMU) जाने को कहा. जहां डिपार्टमेंट ऑफ फिजिकल मेडिसिन रिहैबिलिटेशन ने युवती का आर्टिफिशियल पैर लगाया. अब युवती फिर से अपने पैरों पर खड़ी हो गई है. ऐसे ही सैकड़ों लोगों को नया जीवन दे चुके केजीएमयू के लिंब सेंटर में रोजाना दर्जनों लोग कृत्रिम अंग लगवाने आते हैं और सस्ते दामों में वे अपना नया जीवन शुरू करते हैं.

किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के लिंब सेंटर में लगाए जाते हैं कृत्रिम अंग.
किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के लिंब सेंटर में लगाए जाते हैं कृत्रिम अंग.



केजीएमयू के लिंब सेंटर में तैनात डॉ. मयंक महेंद्रा ने बताया कि लिंब सेंटर में रोजाना कई तरह के केस आते हैं. किसी का हाई शुगर के चलते पैर या हाथ सड़ गया होता है तो किसी का पैर किसी इन्फेक्शन के चलते काटना पड़ता है. ज्यादत्तर सड़क दुर्घटना में घायल मरीज आते हैं जिनके अंग भंग होते हैं. कई तो ऐसे मरीज होते हैं जो अपने दोनों हाथ और पैर गवां चुके होते हैं. ऐसे लोगों की उम्मीद को हम टूटने नहीं देते हैं. यहां पर बेहतर इलाज मुहैया कराते हुए उन्हें कृत्रिम अंग लगा कर फिर से नई जिंदगी के लिए तैयार किया जाता है.

किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के लिंब सेंटर में लगाए जाते हैं कृत्रिम अंग.
किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के लिंब सेंटर में लगाए जाते हैं कृत्रिम अंग.
किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के लिंब सेंटर में लगाए जाते हैं कृत्रिम अंग.
किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के लिंब सेंटर में लगाए जाते हैं कृत्रिम अंग.



कृत्रिम अंग लगवाने की प्रक्रिया

डॉ. मयंक के अनुसार सेंटर में पूरे प्रदेश से मरीज रेफर होकर आते हैं. सेंटर की खासियत यह है कि चंद पैसों में हम नया अंग बना कर लगाते हैं. जबकि बाहर मिलने वाले कृत्रिम अंग की कीमत लाखों में होती है. हम जो भी कृत्रिम अंग बनाते हैं वो लेटेस्ट तकनीकी का इस्तेमाल कर बनाए जाते हैं. सबसे पहले जिसको कृत्रिम अंग लगाना होता है उसका पैर या हाथ सही आकार में काट कर सही माप लेते हैं. जब सही आकार और माप हमारे पास होती है तब भौतिक चिकित्सा एवं पुनर्वास विभाग (डीपीएमआर डिपार्टमेंट) में सही पैर का मेजरमेंट किया जाता है. इसके बाद हमारी टीम मरीज के पहले पैर या हाथ जैसे ही कृत्रिम अंग तैयार करते हैं. इसके बाद मरीज को अंग पहनने की ट्रेनिंग दी जाती है.

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