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कश्मीर में आतंकवादियों के मारे जाने की संख्या में आई ​गिरावट, 48 प्रतिशत की कमी - Ceasefire

इस साल कश्मीर में आतंकावादियों के मारे जाने की संख्या में गिरावट हुई है. इसमे थोड़ी बहुत नहीं, बल्कि 48 फीसदी की कमी आई है. ये जानकारी सुरक्षा एजेंसियों की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से मिली है. पेश है वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

terrorists attacks, Line Of control
सेना के जवान
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Published : Jul 9, 2021, 6:51 PM IST

नई दिल्ली: कश्मीर में पिछले सालों की तुलना में आतंकवादियों के मारे जाने की संख्या में गिरावट आई है. इसके पीछे एक मुख्य कारण इस साल 24 फरवरी से पाकिस्तान के साथ जारी संघर्ष विराम (Ceasefire) को माना जा रहा है.

भारत में घुसपैठियों की सहायता करने में पाकिस्तानी सेना की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और पाक सेना के जवान घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों को कवर फायर देती है. ऐसी फायरिंग के जवाब में जब भारी गोलाबारी होने लगती है, तो दोनों ही तरफ के आम नागरिकों को बहुत नुकसान होता है. इसी वजह से दोनों देशों की तरफ से संघर्ष विराम ​इस बार भी किया गया.

संघर्ष विराम लागू होने के बाद सीमा पर नहीं हुई फायरिंग

सुरक्षा एजेंसियों की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों की मानें तो संघर्ष विराम लागू होने के बाद से ही एलओसी पर दोनों ही तरफ से कभी भी फायरिंग नहीं हुई है. 24 फरवरी 2021 में के समझौता होने तक घुड़सवार सेना से लड़ने वाले वाहन (सीएफवी) की संख्या 592 थी. पिछले साल 1 जुलाई को सीएफवी की संख्या 2,301 थी. दूसरी ओर 2017 में सीएफवी की संख्या 971, 2018 में 1,629, 2019 में 3,168, जो 2020 में बढ़कर 5,133 हो गई.

पढ़ें: जनरल नरवणे ने इटली में भारतीय सेना स्मारक का किया उद्घाटन

आतंकवादी संगठनों की भर्ती में 28 प्रतिशत की कमी

एक और महत्वपूर्ण पहलू आतंकवादी संगठनों में होने वाली भर्ती में संभावित ढिलाई है. 1 जून तक कम से कम 58 युवा विभिन्न उग्रवादी 'तंजीम' या संगठनों में शामिल हो गए थे, जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 28 प्रतिशत कम है. इससे पहले के पांच वर्षों में यानी 2020 में 166, 2019 में 119, 2018 में 191, 2017 में 128 और 2016 में 88 युवा आतंकवादी संगठनों में भर्ती हुए. हालांकि, इस आधिकारिक आंकड़े में उन लापता युवाओं की संख्या शामिल नहीं है, जो संभावित रूप से आतंकवादी संगठनों में शामिल हो सकते हैं. इसलिए माना जा रहा है कि वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है.

साल 2020 में 215 आतंकवादी मारे गए

सुरक्षा प्रतिष्ठानों की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से पता चलता है कि सात जुलाई तक कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए आतंकवादियों की संख्या 66 थी, जो पिछले साल की इसी अवधि में 127 की तुलना में लगभग 48 प्रतिशत की गिरावट है. वहीं साल 2020 में 215 आतंकवादी मारे गए. पिछले पांच वर्षों में कश्मीर में सुरक्षा बलों के एनकाउंटर में मारे गए आतंकवादियों की कुल संख्या 937 हो गई है. वर्ष 2019, 2018, 2017 और 2016 में क्रमश: 153, 215, 213 और 141 थी. दक्षिण एशिया आतंकवाद पोर्टल (एसएटीपी) के अनुसार, 1989 में आतंकवाद की शुरुआत के बाद से कश्मीर में मारे गए आतंकवादियों की कुल संख्या कम से कम 25,315 है.

नई दिल्ली: कश्मीर में पिछले सालों की तुलना में आतंकवादियों के मारे जाने की संख्या में गिरावट आई है. इसके पीछे एक मुख्य कारण इस साल 24 फरवरी से पाकिस्तान के साथ जारी संघर्ष विराम (Ceasefire) को माना जा रहा है.

भारत में घुसपैठियों की सहायता करने में पाकिस्तानी सेना की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और पाक सेना के जवान घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों को कवर फायर देती है. ऐसी फायरिंग के जवाब में जब भारी गोलाबारी होने लगती है, तो दोनों ही तरफ के आम नागरिकों को बहुत नुकसान होता है. इसी वजह से दोनों देशों की तरफ से संघर्ष विराम ​इस बार भी किया गया.

संघर्ष विराम लागू होने के बाद सीमा पर नहीं हुई फायरिंग

सुरक्षा एजेंसियों की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों की मानें तो संघर्ष विराम लागू होने के बाद से ही एलओसी पर दोनों ही तरफ से कभी भी फायरिंग नहीं हुई है. 24 फरवरी 2021 में के समझौता होने तक घुड़सवार सेना से लड़ने वाले वाहन (सीएफवी) की संख्या 592 थी. पिछले साल 1 जुलाई को सीएफवी की संख्या 2,301 थी. दूसरी ओर 2017 में सीएफवी की संख्या 971, 2018 में 1,629, 2019 में 3,168, जो 2020 में बढ़कर 5,133 हो गई.

पढ़ें: जनरल नरवणे ने इटली में भारतीय सेना स्मारक का किया उद्घाटन

आतंकवादी संगठनों की भर्ती में 28 प्रतिशत की कमी

एक और महत्वपूर्ण पहलू आतंकवादी संगठनों में होने वाली भर्ती में संभावित ढिलाई है. 1 जून तक कम से कम 58 युवा विभिन्न उग्रवादी 'तंजीम' या संगठनों में शामिल हो गए थे, जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 28 प्रतिशत कम है. इससे पहले के पांच वर्षों में यानी 2020 में 166, 2019 में 119, 2018 में 191, 2017 में 128 और 2016 में 88 युवा आतंकवादी संगठनों में भर्ती हुए. हालांकि, इस आधिकारिक आंकड़े में उन लापता युवाओं की संख्या शामिल नहीं है, जो संभावित रूप से आतंकवादी संगठनों में शामिल हो सकते हैं. इसलिए माना जा रहा है कि वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है.

साल 2020 में 215 आतंकवादी मारे गए

सुरक्षा प्रतिष्ठानों की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से पता चलता है कि सात जुलाई तक कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए आतंकवादियों की संख्या 66 थी, जो पिछले साल की इसी अवधि में 127 की तुलना में लगभग 48 प्रतिशत की गिरावट है. वहीं साल 2020 में 215 आतंकवादी मारे गए. पिछले पांच वर्षों में कश्मीर में सुरक्षा बलों के एनकाउंटर में मारे गए आतंकवादियों की कुल संख्या 937 हो गई है. वर्ष 2019, 2018, 2017 और 2016 में क्रमश: 153, 215, 213 और 141 थी. दक्षिण एशिया आतंकवाद पोर्टल (एसएटीपी) के अनुसार, 1989 में आतंकवाद की शुरुआत के बाद से कश्मीर में मारे गए आतंकवादियों की कुल संख्या कम से कम 25,315 है.

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