ETV Bharat / bharat

Khushi Ki Deewar Shop: इस दुकान में मिलती है सिर्फ खुशियां... वो भी मुफ्त के भाव, जानिए खुशियों की दीवार का क्या है राज

अगर कोई व्यक्ति सच्चे दिल से किसी की मदद करना चाहता है तो वह कोई न कोई तरीका निकाल ही लेता है. ऐसा ही कुछ नजारा मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में देखने मिल रहा है. यहां एक संस्था द्वारा शुरू की गई दुकान में सामान नहीं बल्कि खुशियां मिलती है. भोपाल से संवाददाता ब्रजेंद्र पटेरिया की इस रिपोर्ट में पढ़िए क्या है खुशियों की दीवार...

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 7, 2023, 8:09 PM IST

इस दुकान में मिलती है सिर्फ खुशियां

भोपाल। दुकान में सामान मिलता है, लेकिन उसकी भी कीमत तय होती है, लेकिन भोपाल में एक दुकान ऐसी भी है, जहां खुशियां मिलती है. वह भी बिना कीमत की. आधा दर्जन लोगों ने मिलकर लोगों की खुशियां सहेजने और उन तक पहुंचाने के लिए एक दुकान की शुरूआत की और नाम रखा खुशी की दीवार...इस दुकान में एक तरफ लोग जरूरत का सामान दूसरों की मदद के लिए खुशी-खुशी दे जाते हैं, जो जरूरमंदों के लिए काम आता है. इस खुशी की दुकान में कपड़ों से लेकर बच्चों के खिलौने और वॉशिंग मशीन तक मौजूद है. जिसकी जैसी जरूरत होती है, वो यहां से मुफ्त में अपनी खुशियां समेट ले जाता है.

Khushi Ki Deewar
ये है खुशी की दीवार

एक संस्था का गठन कर शुरू की दुकान: समिति के सचिव मनीष माथुर कहते हैं कि अपने कुछ दोस्तों के साथ चर्चा में अचानक यह बात निकली की कई बार घर के पुराने कपड़े निकलते हैं, जो पहनने लायक होते हैं, लेकिन उन्हें किसी को देने से पहले संकोच होता है कि कोई इसे लेगा या नहीं. इससे ही यह आइडिया आया कि क्यों न इस तरह का एक स्थान बना दिया जाए. जहां उनके लिए अनुपयोगी हो चुकी, लेकिन अच्छी स्थिति में हों, उन्हें दान दिया जा सके और जरूरतमंद वहां से बिना किसी से पूछे उन्हें ले जा सके. इसके बाद हमने एक संस्था का गठन किया और अपने ही खाली शो रूम के एक हिस्से में इसे शुरू कर दिया. शुरूआत में तो दान देने वालों और खुशियां लेने वालों की कमी रही, लेकिन अब यहां लेने वालों का तांता लगा रहता है.

Khushi Ki Deewar
यहां जरूरतमंदो को मिलता है सामान

तीन माह में 600 से ज्यादा ने किया दान: इस खुशी के दीवार की जैसे-जैसे लोगों को जानकारी मिलती गई, यहां दान करने वालों की संख्या बढ़ती गई. मनीष माथुर कहते हैं कि इसे हमने 15 अगस्त को शुरू किया था. इसे करीब 3 माह होने को हैं और दान देने वालों की अच्छी संख्या आने लगी है. यहां तीन माह में करीब 600 से ज्यादा लोगों ने सामान दान दिया है. यहां से सामान लेने वालों की संख्या इससे भी ज्यादा हो गई है. दीपावली के पहले यहां दान देने वालों की संख्या बढ़ी है.

यहां पढ़ें...

Khushi Ki Deewar
खुशी की दीवार दुकान

वॉट्सअप गु्रप के जरिए प्रचार: इस मुहिम की व्हॉट्सअप ग्रुप के जरिए लोगों को सूचना दी जा रही है. इसके लिए संस्था के सदस्यों ने करीब डेढ़ सौ ग्रुप बनाए हैं. जिसको इसकी जानकारी दी जाती है. दान देने के इच्छुक लोग सीधे यहां सामान दे जाते हैं. कई बार लोग आपस में सामान कलेक्ट करके रखते हैं और वहां से सामान गाड़ी से बुला लेते हैं. डॉ. मनीश माथुर कहते हैं कि उनकी कोशिस है कि इस मुहिम से शहर में कई और लोगों को जोड़ा जाए और इस तरह की खुशी की दीवार दूसरे इलाकों में खड़ी की जा सके.

इस दुकान में मिलती है सिर्फ खुशियां

भोपाल। दुकान में सामान मिलता है, लेकिन उसकी भी कीमत तय होती है, लेकिन भोपाल में एक दुकान ऐसी भी है, जहां खुशियां मिलती है. वह भी बिना कीमत की. आधा दर्जन लोगों ने मिलकर लोगों की खुशियां सहेजने और उन तक पहुंचाने के लिए एक दुकान की शुरूआत की और नाम रखा खुशी की दीवार...इस दुकान में एक तरफ लोग जरूरत का सामान दूसरों की मदद के लिए खुशी-खुशी दे जाते हैं, जो जरूरमंदों के लिए काम आता है. इस खुशी की दुकान में कपड़ों से लेकर बच्चों के खिलौने और वॉशिंग मशीन तक मौजूद है. जिसकी जैसी जरूरत होती है, वो यहां से मुफ्त में अपनी खुशियां समेट ले जाता है.

Khushi Ki Deewar
ये है खुशी की दीवार

एक संस्था का गठन कर शुरू की दुकान: समिति के सचिव मनीष माथुर कहते हैं कि अपने कुछ दोस्तों के साथ चर्चा में अचानक यह बात निकली की कई बार घर के पुराने कपड़े निकलते हैं, जो पहनने लायक होते हैं, लेकिन उन्हें किसी को देने से पहले संकोच होता है कि कोई इसे लेगा या नहीं. इससे ही यह आइडिया आया कि क्यों न इस तरह का एक स्थान बना दिया जाए. जहां उनके लिए अनुपयोगी हो चुकी, लेकिन अच्छी स्थिति में हों, उन्हें दान दिया जा सके और जरूरतमंद वहां से बिना किसी से पूछे उन्हें ले जा सके. इसके बाद हमने एक संस्था का गठन किया और अपने ही खाली शो रूम के एक हिस्से में इसे शुरू कर दिया. शुरूआत में तो दान देने वालों और खुशियां लेने वालों की कमी रही, लेकिन अब यहां लेने वालों का तांता लगा रहता है.

Khushi Ki Deewar
यहां जरूरतमंदो को मिलता है सामान

तीन माह में 600 से ज्यादा ने किया दान: इस खुशी के दीवार की जैसे-जैसे लोगों को जानकारी मिलती गई, यहां दान करने वालों की संख्या बढ़ती गई. मनीष माथुर कहते हैं कि इसे हमने 15 अगस्त को शुरू किया था. इसे करीब 3 माह होने को हैं और दान देने वालों की अच्छी संख्या आने लगी है. यहां तीन माह में करीब 600 से ज्यादा लोगों ने सामान दान दिया है. यहां से सामान लेने वालों की संख्या इससे भी ज्यादा हो गई है. दीपावली के पहले यहां दान देने वालों की संख्या बढ़ी है.

यहां पढ़ें...

Khushi Ki Deewar
खुशी की दीवार दुकान

वॉट्सअप गु्रप के जरिए प्रचार: इस मुहिम की व्हॉट्सअप ग्रुप के जरिए लोगों को सूचना दी जा रही है. इसके लिए संस्था के सदस्यों ने करीब डेढ़ सौ ग्रुप बनाए हैं. जिसको इसकी जानकारी दी जाती है. दान देने के इच्छुक लोग सीधे यहां सामान दे जाते हैं. कई बार लोग आपस में सामान कलेक्ट करके रखते हैं और वहां से सामान गाड़ी से बुला लेते हैं. डॉ. मनीश माथुर कहते हैं कि उनकी कोशिस है कि इस मुहिम से शहर में कई और लोगों को जोड़ा जाए और इस तरह की खुशी की दीवार दूसरे इलाकों में खड़ी की जा सके.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.