सूरत: गुजरात का सबसे प्रसिद्ध नाश्ता गाठिया है, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि यहां के एक माता के मंदिर में गाठिया का भोग लगाया जाता है. खोखली माता का मंदिर, सूरत के पारले प्वाइंट और कपोदरा इलाके में स्थित है. इस पुराने मंदिर के बारे में मान्यता है कि जिन लोगों को खांसी की समस्या होती है और वे यहां मंदिर में दर्शन करने आते हैं तो उनकी समस्या दूर हो जाती है. बीमारी ठीक होने के बाद लोग माता को प्रसाद के रूप में गाठिया चढ़ाते हैं. देश भर से लोग यहां मन्नत पूरा करने आते हैं और मन्नत पूरा होने के बाद यहां माता को प्रसाद अर्पण करते है.
सूरत में माता के कई मंदिर हैं, जिनका अपना एक अलग ही महत्व है. ऐसा ही एक मंदिर खोखली माता का है, जो 100 साल से भी ज्यादा पुराना है. लोग यहां खांसी की बीमारी ठीक होने की मन्नत मांगते हैं और ठीक होने के बाद गाठिया का प्रसाद चढ़ाते हैं. यहां आए एक श्रद्धालु परिमल गज्जर ने कहा कि यह मंदिर बहुत पुराना मंदिर है. लोककथाओं के अनुसार इस मंदिर के पास एक कुआं था. जिन लोगों को कोई बीमारी या खांसी होती थी, उन्हें इस कुएं का पानी दिया जाता था.
उन्होंने आगे कहां कि पानी पीने से लोगों की खांसी ठीक हो जाती थी. पहले यहां एक छोटा एक कमरे जैसा मंदिर था. अब यहां कुआं नहीं है, लेकिन फिर भी लोग माता के दर्शन करने के लिये यहां आते है. माताजी सबकी मनोकामना पूर्ण करती हैं. विघ्न पूरा होने पर लोग यहां भोग के तौर पर गाठिया चढ़ाया जाता है और लोगों में उस भोग को बांटा भी जाता है. खोखली माता पर देश भर के गुजरातियों की आस्था है. वे अपने विघ्नों को लेकर यहां आते हैं और आस्था के साथ अपनी अर्जी लगाते हैं.
पढ़ें: MP: हे भगवान..! अब बजरंग बली को नोटिस, रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण किया है, जल्द खाली कर दो
कोरोना काल में भी लोग बड़ी संख्या में यहां अपनी अर्जी लगाने आते थे. लोगों का कहना है कि ऐसे कठिन समय में भी लोग माता से आशीर्वाद लेने आते थे. भक्त भावना पटेल ने कहा कि यह मंदिर वर्षों से यहां स्थापित है. छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक खांसी की समस्या होने पर लोग यहां आते हैं. समस्या दूर होने पर गाठिया का प्रसाद अर्पण करते हैं. मेरा अनुभव है कि जब भी हमें खांसी की समस्या होती है, तो मैं और मेरे बच्चे माताजी के मंदिर में गाठिया का प्रसाद चढ़ाते हैं.