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महिमा छठी माई केः छठ के दूसरे दिन से शुरू होता है 36 घंटे का उपवास, जानिए खरना की विधि

छठ के दूसरे दिन घर-परिवार और गली मोहल्लों में भक्तिमय माहौल बन जाता है. छठ गीतों से गलियां गूंजने लगती हैं. कार्तिक शुक्ल पक्ष पंचमी को परवैतिन दिनभर निर्जला उपवास करती हैं और शाम में गाय के दूध, अरवा चावल और गुड़ से बनी खीर और रोटी का प्रसाद तैयार कर सूर्य देव और छठी माई की पूजा की जाती है. इस पूजा को खरना कहते हैं. इस साल खरना गुरुवार 19 अक्टूबर को होगा.

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Published : Nov 19, 2020, 8:53 AM IST

रांची/पटनाः खरना के दिन परवैतिन दिनभर उरवास करती हैं. शाम को परवैतिन पहले से तैयार मिट्टी के चूल्हे की पूजा कर अग्नि देव का आह्वान करती हैं. आम की लकड़ी में कपूर रखकर अग्नि जलाती हैं. हिंदू धर्म में सप्तधान पूजन की सामग्री दी जाती है. गेहूं सूर्य के लिए बना है. चूंकि यह पर्व सूर्य की अराधना है इसलिए गेंहू के आटे की रोटी बनाई जाती है. इसी तरह मिष्ठान से पूजा की परंपरा है. चीनी को अशुद्ध माना जाता है इसलिए छठ में गुड़ का ही उपयोग होता है. कांसा, पीतल या मिट्टी के बर्तन में गाय का दूध उबालते हैं और इसमें अरवा चावल डाल कर पकाते हैं. आखिर में गुड़ डालकर खीर तैयार की जाती है.

इस दौरान घर की महिलाएं छठी मइया के गीत गाती रहती हैं, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है. इधर, प्रसाद तैयार हो जाने के बाद सूर्य देव और छठी माई की पूजा की जाती है. इस प्रसाद को परवैतिन पहले स्वयं खाती हैं और फिर घर-परिवार के लोग इसे ग्रहण करते हैं. पहली बार छठ करने जा रही परवैतिन इन बातों का ध्यान जरूर रखें.

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ये भी पढ़ें- महिमा छठी माई केः नहाय खाय से शुरू होता है महापर्व छठ, देखिए पहले दिन का विधान

मान्यता है कि खरना का प्रसाद दिव्य गुणों वाला होता है इसलिए इसे दोस्तों, पड़ोसियों और दूसरे लोगों को भी बांटा जाता है. लोग बड़े श्रद्धा भाव से परवैतिन का आर्शीवाद लेकर लोग प्रसाद खाते हैं. खरना पूजा के बाद परवैतिन पलंग या खटिया के बजाए जमीन पर सोती हैं. साफ-सुथरी जमीन पर पुआल, चटाई या कंबल बिछाकर परवैतिन रात को आराम करती हैं और अगले विशेष दिन के लिए मन ही मन भगवान से प्रार्थना करती हैं कि ये पूजा सफल हो जाए.

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अगला दिन क्यों विशेष होता है और इस दिन क्या करते हैं. हम आपको ये सारी जानकारी महिमा छठी माई के अगले कड़ी में बताएंगे. जय छठी मइया.

रांची/पटनाः खरना के दिन परवैतिन दिनभर उरवास करती हैं. शाम को परवैतिन पहले से तैयार मिट्टी के चूल्हे की पूजा कर अग्नि देव का आह्वान करती हैं. आम की लकड़ी में कपूर रखकर अग्नि जलाती हैं. हिंदू धर्म में सप्तधान पूजन की सामग्री दी जाती है. गेहूं सूर्य के लिए बना है. चूंकि यह पर्व सूर्य की अराधना है इसलिए गेंहू के आटे की रोटी बनाई जाती है. इसी तरह मिष्ठान से पूजा की परंपरा है. चीनी को अशुद्ध माना जाता है इसलिए छठ में गुड़ का ही उपयोग होता है. कांसा, पीतल या मिट्टी के बर्तन में गाय का दूध उबालते हैं और इसमें अरवा चावल डाल कर पकाते हैं. आखिर में गुड़ डालकर खीर तैयार की जाती है.

इस दौरान घर की महिलाएं छठी मइया के गीत गाती रहती हैं, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है. इधर, प्रसाद तैयार हो जाने के बाद सूर्य देव और छठी माई की पूजा की जाती है. इस प्रसाद को परवैतिन पहले स्वयं खाती हैं और फिर घर-परिवार के लोग इसे ग्रहण करते हैं. पहली बार छठ करने जा रही परवैतिन इन बातों का ध्यान जरूर रखें.

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मान्यता है कि खरना का प्रसाद दिव्य गुणों वाला होता है इसलिए इसे दोस्तों, पड़ोसियों और दूसरे लोगों को भी बांटा जाता है. लोग बड़े श्रद्धा भाव से परवैतिन का आर्शीवाद लेकर लोग प्रसाद खाते हैं. खरना पूजा के बाद परवैतिन पलंग या खटिया के बजाए जमीन पर सोती हैं. साफ-सुथरी जमीन पर पुआल, चटाई या कंबल बिछाकर परवैतिन रात को आराम करती हैं और अगले विशेष दिन के लिए मन ही मन भगवान से प्रार्थना करती हैं कि ये पूजा सफल हो जाए.

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अगला दिन क्यों विशेष होता है और इस दिन क्या करते हैं. हम आपको ये सारी जानकारी महिमा छठी माई के अगले कड़ी में बताएंगे. जय छठी मइया.

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