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अखबार बेचने से लेकर मीडिया की सुर्खियों तक, कुछ ऐसी है डिप्टी सीएम केशव मौर्य की कहानी

यूपी की योगी सरकार-2 में केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) को चुनाव हारने के बावजूद पार्टी ने दोबारा डिप्टी सीएम (Deputy CM again) बनाया है. राज्य में ओबीसी का बड़ा चेहरा बने मौर्य, हिंदुत्व के भी फायर ब्रांड नेता हैं. उन्हें इस मुकाम तक पहुंचने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा है. खैर, बहुत कम ही लोग जानते हैं कि नेता बनने से पहले वे अखबार और चाय बेचते थे.

Keshav Prasad Maurya
केशव प्रसाद मौर्य
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Published : Mar 25, 2022, 6:47 PM IST

लखनऊ: यूपी की योगी सरकार-2 (Yogi government of UP) में केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) को चुनाव हारने के बावजूद पार्टी ने दोबारा डिप्टी सीएम (Deputy CM again) बनाया है. राज्य में ओबीसी का बड़ा चेहरा बने मौर्य हिंदुत्व के भी फायर ब्रांड (Fire brand leader of Hindutva) नेता हैं. उन्हें इस मुकाम तक पहुंचने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा.

दरअसल, केशव प्रसाद मौर्य के एक साधारण पर‍िवार से होने के कारण है उन्हें परेशानियों से दो-चार होना पड़ा. अपने शुरुआती दौर में उन्हें गुजारे के लिए अखबार और चाय तक बेचनी पड़ी थी. अखबार बांटने से लेकर भाजपा की ओर उप-मुख्‍यमंत्री बनाए जाने तक के इस सफर में केशव प्रसाद मौर्य का सफर काफी दिलचस्प है. वे 18 सालों तक व‍िश्‍व ह‍िंदू पर‍िषद में रहे. केशव मौर्य को अशोक सिंघल का करीबी माना जाता था. वहीं, उनका जन्म एक क‍िसान पर‍िवार में 7 मई, 1969 को कौशांबी जिले के सिराथू में हुआ था.

बजरंग दल से की शुरुआत: मौर्य ने अपने राजनीत‍िक जीवन की शुरुआत बजरंग दल से की और इसके बाद वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए. यहां से वह विश्व हिन्दू परिषद के साथ जुड़े और करीब 18 सालों तक प्रचारक रहे. इस दौरान उन्‍होंने श्रीराम जन्म भूमि और गोरक्षा व हिन्दू ह‍ितों के लिए अनेकों आन्दोलन किए और इसके लिए जेल भी गए. कहा जाता है क‍ि सक्रिय राजनीत‍ि में उन्‍हें अशोक सिंघल के करीबी होने का फायदा भी म‍िला.

यह भी पढ़ें- विधानसभा चुनाव परिणाम पर एक नजर

2002 में पहला चुनाव, मिले मात्र 284 वोट: मौर्य ने 2002 में पहला व‍िधानसभा चुनाव लड़ा था, लेक‍िन वह 2012 में पहली बार व‍िधानसभा पहुंचे. पहला चुनाव बांदा विधानसभा सीट से 2002 में लड़ा था. इस चुनाव में उन्हें मात्र 284 वोट मिले और वह 13वें नंबर पर रहे थे. 2012 के विधानसभा चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य ने अपने गृह क्षेत्र सिराथू विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा. इस बार उनकी मेहनत रंग लाई और वह पहली बार भाजपा के विधायक चुने गए. 2014 के लोकसभा चुनाव में वह फूलपुर सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे.

यह भी पढ़ें-यूपी में फिर योगी राज, दो डिप्टी सीएम बने, नये चेहरों को मिली जगह तो कुछ मंत्रियों की हुई छुट्टी

वहीं, 2016 में केशव प्रसाद मौर्य को उत्तर प्रदेश भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष घोषित किया गया था. केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में बंपर जीत दर्ज की थी. वह मुख्यमंत्री पद की रेस में भी शाम‍िल थे. लेकिन अंतत: पार्टी ने उन्हें उपमुख्‍यमंत्री बना दिया और उन्हें 18 सितंबर, 2017 को विधान परिषद का सदस्य मनोनीत किया गया.

लखनऊ: यूपी की योगी सरकार-2 (Yogi government of UP) में केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) को चुनाव हारने के बावजूद पार्टी ने दोबारा डिप्टी सीएम (Deputy CM again) बनाया है. राज्य में ओबीसी का बड़ा चेहरा बने मौर्य हिंदुत्व के भी फायर ब्रांड (Fire brand leader of Hindutva) नेता हैं. उन्हें इस मुकाम तक पहुंचने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा.

दरअसल, केशव प्रसाद मौर्य के एक साधारण पर‍िवार से होने के कारण है उन्हें परेशानियों से दो-चार होना पड़ा. अपने शुरुआती दौर में उन्हें गुजारे के लिए अखबार और चाय तक बेचनी पड़ी थी. अखबार बांटने से लेकर भाजपा की ओर उप-मुख्‍यमंत्री बनाए जाने तक के इस सफर में केशव प्रसाद मौर्य का सफर काफी दिलचस्प है. वे 18 सालों तक व‍िश्‍व ह‍िंदू पर‍िषद में रहे. केशव मौर्य को अशोक सिंघल का करीबी माना जाता था. वहीं, उनका जन्म एक क‍िसान पर‍िवार में 7 मई, 1969 को कौशांबी जिले के सिराथू में हुआ था.

बजरंग दल से की शुरुआत: मौर्य ने अपने राजनीत‍िक जीवन की शुरुआत बजरंग दल से की और इसके बाद वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आए. यहां से वह विश्व हिन्दू परिषद के साथ जुड़े और करीब 18 सालों तक प्रचारक रहे. इस दौरान उन्‍होंने श्रीराम जन्म भूमि और गोरक्षा व हिन्दू ह‍ितों के लिए अनेकों आन्दोलन किए और इसके लिए जेल भी गए. कहा जाता है क‍ि सक्रिय राजनीत‍ि में उन्‍हें अशोक सिंघल के करीबी होने का फायदा भी म‍िला.

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2002 में पहला चुनाव, मिले मात्र 284 वोट: मौर्य ने 2002 में पहला व‍िधानसभा चुनाव लड़ा था, लेक‍िन वह 2012 में पहली बार व‍िधानसभा पहुंचे. पहला चुनाव बांदा विधानसभा सीट से 2002 में लड़ा था. इस चुनाव में उन्हें मात्र 284 वोट मिले और वह 13वें नंबर पर रहे थे. 2012 के विधानसभा चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य ने अपने गृह क्षेत्र सिराथू विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा. इस बार उनकी मेहनत रंग लाई और वह पहली बार भाजपा के विधायक चुने गए. 2014 के लोकसभा चुनाव में वह फूलपुर सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे.

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वहीं, 2016 में केशव प्रसाद मौर्य को उत्तर प्रदेश भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष घोषित किया गया था. केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में बंपर जीत दर्ज की थी. वह मुख्यमंत्री पद की रेस में भी शाम‍िल थे. लेकिन अंतत: पार्टी ने उन्हें उपमुख्‍यमंत्री बना दिया और उन्हें 18 सितंबर, 2017 को विधान परिषद का सदस्य मनोनीत किया गया.

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