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केंद्र सरकार की वैक्सीन नीति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती - केरल से राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास

केरल के राज्यसभा सांसद ने केंद्र सरकार की नई वैक्सीन नीति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, इस नीति के तहत कोविड-19 टीके का 25% निजी अस्पतालों के लिए आरक्षित किया गया है.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Jun 22, 2021, 4:43 PM IST

नई दिल्ली : केरल के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ( Kerala Rajya Sabha MP John Brittas) और टीआईएसएस के प्रोफेसर आर रामकुमार (TISS professor R Ramakumar) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme court ) में एक आवेदन दायर किया है. आवेदन में केंद्र सरकार की नई वैक्सीन नीति को चुनौती दिया गया है, जिसमें घरेलू स्तर पर उत्पादित कोविड-19 टीकों में से 25% निजी अस्पतालों के लिए आरक्षित है.

आवेदकों का तर्क है कि निजी अस्पताल टीकों का उपयोग नहीं कर रहे हैं और कुल आवंटन का केवल 17.05% उनके द्वारा प्रशासित किया गया है. आवेदकों ने कहा, स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चार जून तक निजी अस्पतालों को 1.29 करोड़ खुराकें दी गईं, जिनमें से केवल 22 लाख का ही उपयोग किया गया.

प्रत्येक व्यक्ति को टीका लगाने की आवश्यकता है

सरकारी अस्पतालों की तुलना में निजी अस्पतालों में उच्च कीमतें और टीके को लेकर हिचकिचाहट निजी स्वास्थ्य संस्थानों में कम टीकाकरण का कारण बनी रहेगी. उनका कहना है कि वर्तमान में महामारी को नियंत्रित करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को टीका लगाने की आवश्यकता है. नई नीति केवल अमीर और शहरी आबादी के लिए टीके आरक्षित करेगी.

आवेदकों का आरोप है कि निजी वैक्सीन कोटा का 50% सिर्फ 9 बड़े अस्पतालों द्वारा खरीदा गया था.

लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन

उन्होंने कहा कि, संविधान के अनुच्छेद 38 में राज्य को लोगों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए एक न्यायसंगत सामाजिक व्यवस्था को सुरक्षित करने, न केवल व्यक्तियों के बीच, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के समूहों के बीच सुविधाओं और अवसरों में असमानताओं को कम करने की आवश्यकता है.

याचिकाकर्ता का तर्क है कि जब तक सरकार टीकों की 100% से अधिक खरीद नहीं करती है और इसे उचित नियमों के तहत आवंटित नहीं करती है, तब तक नई नीति अपूर्ण, असमान, अक्षम और अपारदर्शी रहेगी. यह लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा.

याचिकाकर्ताओं ने आवश्यक दवाओं और सेवाओं की आपूर्ति और वितरण पर स्वत: संज्ञान मामले में हस्तक्षेप की मांग की है.

पढ़ेंः प्रधानमंत्री की बैठक में शामिल होगा गुपकार : फारूक

नई दिल्ली : केरल के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ( Kerala Rajya Sabha MP John Brittas) और टीआईएसएस के प्रोफेसर आर रामकुमार (TISS professor R Ramakumar) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme court ) में एक आवेदन दायर किया है. आवेदन में केंद्र सरकार की नई वैक्सीन नीति को चुनौती दिया गया है, जिसमें घरेलू स्तर पर उत्पादित कोविड-19 टीकों में से 25% निजी अस्पतालों के लिए आरक्षित है.

आवेदकों का तर्क है कि निजी अस्पताल टीकों का उपयोग नहीं कर रहे हैं और कुल आवंटन का केवल 17.05% उनके द्वारा प्रशासित किया गया है. आवेदकों ने कहा, स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चार जून तक निजी अस्पतालों को 1.29 करोड़ खुराकें दी गईं, जिनमें से केवल 22 लाख का ही उपयोग किया गया.

प्रत्येक व्यक्ति को टीका लगाने की आवश्यकता है

सरकारी अस्पतालों की तुलना में निजी अस्पतालों में उच्च कीमतें और टीके को लेकर हिचकिचाहट निजी स्वास्थ्य संस्थानों में कम टीकाकरण का कारण बनी रहेगी. उनका कहना है कि वर्तमान में महामारी को नियंत्रित करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को टीका लगाने की आवश्यकता है. नई नीति केवल अमीर और शहरी आबादी के लिए टीके आरक्षित करेगी.

आवेदकों का आरोप है कि निजी वैक्सीन कोटा का 50% सिर्फ 9 बड़े अस्पतालों द्वारा खरीदा गया था.

लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन

उन्होंने कहा कि, संविधान के अनुच्छेद 38 में राज्य को लोगों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए एक न्यायसंगत सामाजिक व्यवस्था को सुरक्षित करने, न केवल व्यक्तियों के बीच, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के समूहों के बीच सुविधाओं और अवसरों में असमानताओं को कम करने की आवश्यकता है.

याचिकाकर्ता का तर्क है कि जब तक सरकार टीकों की 100% से अधिक खरीद नहीं करती है और इसे उचित नियमों के तहत आवंटित नहीं करती है, तब तक नई नीति अपूर्ण, असमान, अक्षम और अपारदर्शी रहेगी. यह लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा.

याचिकाकर्ताओं ने आवश्यक दवाओं और सेवाओं की आपूर्ति और वितरण पर स्वत: संज्ञान मामले में हस्तक्षेप की मांग की है.

पढ़ेंः प्रधानमंत्री की बैठक में शामिल होगा गुपकार : फारूक

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