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Mullaperiyar dam: केरल सरकार की SC से मांग, स्वतंत्र समिति से कराएं समीक्षा

केरल ने कहा है कि नए बांध का निर्माण किया जाना चाहिए क्योंकि मुल्लापेरियार बांध सुरक्षित नहीं (Kerela stand is to construction of new dam) है. जस्टिस ए. एम. खानविलकर, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस सी. टी. रविकुमार की पीठ ने तमिलनाडु के हलफनामे पर मंगलवार को केरल से जवाब मांगा था. इस मामले की आज अदालत में लगभग पूरे दिन लंबी सुनवाई हुई, जिसमें केरल ने अपनी दलीलें दीं.

मुल्लापेरियार बांध
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Published : Mar 23, 2022, 6:12 PM IST

Updated : Mar 23, 2022, 8:24 PM IST

नई दिल्ली : केरल सरकार ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष 126 साल पुराने मुल्लापेरियार बांध की सुरक्षा, भूविज्ञान, निर्माण आदि की नए सिरे से समीक्षा कराने की मांग (Kerela govt sought fresh review of Mullaperiyar dam safety) की है. केरल सरकार ने कहा कि यह समीक्षा एक स्वतंत्र समिति द्वारा कराने तथा केंद्र जल आयोग (CWC) को अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को इसमें शामिल करने पर अदालत को विचार करना चाहिए.

तमिलनाडु और केरल के बीच मुल्लापेरियार बांध पर विवाद (dispute on Mullaperiyar dam between TamilNadu and Kerela) को लेकर केरल सरकार ने न्यायालय में एक हलफनामा दायर (affidavit in SC on Mullaperiyar dam safety dispute) किया है, जिसमें उन्होंने कहा कि बांध की समग्र सुरक्षा समीक्षा प्रक्रिया जनवरी 2018 के बांध सुरक्षा निरीक्षण दिशानिर्देश के अनुरूप की जानी चाहिए. जबकि तमिलनाडु सरकार ने पिछले महीने शीर्ष अदालत से कहा था कि न्यायालय ने जो मजबूती के उपाय के निर्देश दिए थे, उन्हें लागू किए बिना बांध की सुरक्षा की नई समीक्षा 'न्यायोचित' नहीं होगी. बांध ठीक स्थिति में है और केरल मरम्मत और रखरखाव कार्य करने में बाधा उत्पन्न कर रहा है. इस पर केरल ने कहा है कि नए बांध का निर्माण किया जाना चाहिए क्योंकि यह सुरक्षित नहीं (Kerela stand is new dam should be constructed) है.

जस्टिस ए. एम. खानविलकर, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस सी. टी. रविकुमार की पीठ ने तमिलनाडु के हलफनामे पर मंगलवार को केरल से जवाब मांगा था. इस मामले की आज (बुधवार) अदालत में लगभग पूरे दिन लंबी सुनवाई हुई, जिसमें केरल ने अपनी दलीलें दीं. केरल ने अपने हलफनामे के जरिये सुझाव दिये कि विशेषज्ञों के स्वतंत्र पैनल द्वारा मुल्लापेरियार बांध की सुरक्षा की नई समीक्षा की जानी चाहिए. इसमें डिजाइन, भूविज्ञान, जल विज्ञान, हाइड्रो-मैकेनिकल बांध सुरक्षा, निर्माण और पर्यवेक्षण आदि विभाग के दक्ष लोग शामिल हों. साथ ही CWC को इसमें अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को शामिल करने पर विचार करना चाहिए. इसके बाद उन्होंने एक नए बांध के निर्माण का भी सुझाव दिया, जिसका तमिलनाडु सरकार विरोध कर रही है. मुल्लापेरियार बांध 126 साल पुराना है, जिसका लीज केवल 99 साल तक ही था. लंबे समय के उपयोग के लिए नए बांध का निर्माण जरूरी है. उन्होंने कहा कि तब तक मौजूदा बांध का उपयोग किया जा सकता है और एक बार नए बांध का निर्माण हो जाए, तो हम उसका उपयोग शुरू कर देंगे.

बता दें कि तमिलनाडु राज्य ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि केरल राज्य 'बाधावादी रवैया' दिखा रहा है और इसे शीर्ष अदालत के फैसले के अनुसार मुल्लापेरियार बांध मुद्दे के रखरखाव और मरम्मत के लिए किए जाने वाले उपायों को पूरा नहीं करने दे रहा है. बता दें कि मुल्लापेरियार बांध (Mullaperiyar dam) मुद्दे को लेकर केरल और तमिलनाडु राज्य के बीच विवाद को लेकर एक मामले में राज्य की प्रतिक्रिया आई है. केरल राज्य चाहता है कि इसे अपने पुराने बांध को देखते हुए ध्वस्त कर दिया जाए और अब यह सुरक्षित नहीं है.

वहीं, तमिलनाडु का कहना है कि सुरक्षा कोई चिंता का विषय नहीं है, क्योंकि इसकी जांच अधिकार प्राप्त समिति द्वारा की गई थी, सीडब्ल्यूसी दिल्ली, सीएसएमआरएस, नई दिल्ली और सीडब्ल्यूपीआरएस, पुणे आदि द्वारा परीक्षण और अध्ययन किए गए थे और बांध सभी तरह से सुरक्षित पाया गया था. इस सिलसिले में करीब 40 टेस्ट भी किए गए थे.

पढ़ें : तमिलनाडु ने सुप्रीम कोर्ट को बताया- मुल्लापेरियार बांध के रखरखाव काम में केरल का रुख बाधावादी

दायर रिपोर्ट में, तमिलनाडु ने कहा है कि पर्यवेक्षी समिति नियमित रूप से बांध का निरीक्षण कर रही है और रिकॉर्ड किया है कि स्थिति बांध की संतोषजनक है. हालांकि, सुरक्षा की एक नई समीक्षा की जानी है, जो तमिलनाडु के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा आदेशित और केरल द्वारा बाधित किए जाने वाले सुदृढ़ीकरण उपायों को करने से पहले आयोजित नहीं की जानी चाहिए. रिपोर्ट में कहा गया है कि तमिलनाडु ने बताया कि कोर्ट द्वारा निर्देशित शेष सुदृढ़ीकरण कार्यों को करने के लिए बार-बार प्रयासों के बावजूद केरल से विफल रहा है.

नई दिल्ली : केरल सरकार ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष 126 साल पुराने मुल्लापेरियार बांध की सुरक्षा, भूविज्ञान, निर्माण आदि की नए सिरे से समीक्षा कराने की मांग (Kerela govt sought fresh review of Mullaperiyar dam safety) की है. केरल सरकार ने कहा कि यह समीक्षा एक स्वतंत्र समिति द्वारा कराने तथा केंद्र जल आयोग (CWC) को अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को इसमें शामिल करने पर अदालत को विचार करना चाहिए.

तमिलनाडु और केरल के बीच मुल्लापेरियार बांध पर विवाद (dispute on Mullaperiyar dam between TamilNadu and Kerela) को लेकर केरल सरकार ने न्यायालय में एक हलफनामा दायर (affidavit in SC on Mullaperiyar dam safety dispute) किया है, जिसमें उन्होंने कहा कि बांध की समग्र सुरक्षा समीक्षा प्रक्रिया जनवरी 2018 के बांध सुरक्षा निरीक्षण दिशानिर्देश के अनुरूप की जानी चाहिए. जबकि तमिलनाडु सरकार ने पिछले महीने शीर्ष अदालत से कहा था कि न्यायालय ने जो मजबूती के उपाय के निर्देश दिए थे, उन्हें लागू किए बिना बांध की सुरक्षा की नई समीक्षा 'न्यायोचित' नहीं होगी. बांध ठीक स्थिति में है और केरल मरम्मत और रखरखाव कार्य करने में बाधा उत्पन्न कर रहा है. इस पर केरल ने कहा है कि नए बांध का निर्माण किया जाना चाहिए क्योंकि यह सुरक्षित नहीं (Kerela stand is new dam should be constructed) है.

जस्टिस ए. एम. खानविलकर, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस सी. टी. रविकुमार की पीठ ने तमिलनाडु के हलफनामे पर मंगलवार को केरल से जवाब मांगा था. इस मामले की आज (बुधवार) अदालत में लगभग पूरे दिन लंबी सुनवाई हुई, जिसमें केरल ने अपनी दलीलें दीं. केरल ने अपने हलफनामे के जरिये सुझाव दिये कि विशेषज्ञों के स्वतंत्र पैनल द्वारा मुल्लापेरियार बांध की सुरक्षा की नई समीक्षा की जानी चाहिए. इसमें डिजाइन, भूविज्ञान, जल विज्ञान, हाइड्रो-मैकेनिकल बांध सुरक्षा, निर्माण और पर्यवेक्षण आदि विभाग के दक्ष लोग शामिल हों. साथ ही CWC को इसमें अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को शामिल करने पर विचार करना चाहिए. इसके बाद उन्होंने एक नए बांध के निर्माण का भी सुझाव दिया, जिसका तमिलनाडु सरकार विरोध कर रही है. मुल्लापेरियार बांध 126 साल पुराना है, जिसका लीज केवल 99 साल तक ही था. लंबे समय के उपयोग के लिए नए बांध का निर्माण जरूरी है. उन्होंने कहा कि तब तक मौजूदा बांध का उपयोग किया जा सकता है और एक बार नए बांध का निर्माण हो जाए, तो हम उसका उपयोग शुरू कर देंगे.

बता दें कि तमिलनाडु राज्य ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि केरल राज्य 'बाधावादी रवैया' दिखा रहा है और इसे शीर्ष अदालत के फैसले के अनुसार मुल्लापेरियार बांध मुद्दे के रखरखाव और मरम्मत के लिए किए जाने वाले उपायों को पूरा नहीं करने दे रहा है. बता दें कि मुल्लापेरियार बांध (Mullaperiyar dam) मुद्दे को लेकर केरल और तमिलनाडु राज्य के बीच विवाद को लेकर एक मामले में राज्य की प्रतिक्रिया आई है. केरल राज्य चाहता है कि इसे अपने पुराने बांध को देखते हुए ध्वस्त कर दिया जाए और अब यह सुरक्षित नहीं है.

वहीं, तमिलनाडु का कहना है कि सुरक्षा कोई चिंता का विषय नहीं है, क्योंकि इसकी जांच अधिकार प्राप्त समिति द्वारा की गई थी, सीडब्ल्यूसी दिल्ली, सीएसएमआरएस, नई दिल्ली और सीडब्ल्यूपीआरएस, पुणे आदि द्वारा परीक्षण और अध्ययन किए गए थे और बांध सभी तरह से सुरक्षित पाया गया था. इस सिलसिले में करीब 40 टेस्ट भी किए गए थे.

पढ़ें : तमिलनाडु ने सुप्रीम कोर्ट को बताया- मुल्लापेरियार बांध के रखरखाव काम में केरल का रुख बाधावादी

दायर रिपोर्ट में, तमिलनाडु ने कहा है कि पर्यवेक्षी समिति नियमित रूप से बांध का निरीक्षण कर रही है और रिकॉर्ड किया है कि स्थिति बांध की संतोषजनक है. हालांकि, सुरक्षा की एक नई समीक्षा की जानी है, जो तमिलनाडु के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा आदेशित और केरल द्वारा बाधित किए जाने वाले सुदृढ़ीकरण उपायों को करने से पहले आयोजित नहीं की जानी चाहिए. रिपोर्ट में कहा गया है कि तमिलनाडु ने बताया कि कोर्ट द्वारा निर्देशित शेष सुदृढ़ीकरण कार्यों को करने के लिए बार-बार प्रयासों के बावजूद केरल से विफल रहा है.

Last Updated : Mar 23, 2022, 8:24 PM IST
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