तिरुवनंतपुरम : केरल का स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन भारी वित्तीय घाटे से गुजर रहा है. आलम यह है कि परिवहन निगम के लगभग 35,000 कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल रहा है. स्टेट ट्रांसपोर्ट की माली हालत कैसे सुधारी जाए, इसकी स्टडी करने के लिए परिवहन निगम के अधिकारी एम्स्टर्डम गए हैं. वहीं केरल के एक ट्रांसपोर्टर ने अपनी बस को यात्रियों की ईमानदारी के भरोसे छोड़ दिया है. उन्होंने अपनी बस में कंडक्टर नहीं रखा है. लोग अपनी मर्जी से बस में रखी पेटी में किराया डालकर सफर करते हैं. यह बात ट्रांसपोर्ट विभाग को रास नहीं आ रही है. विभाग ने बस मालिक के खिलाफ शिकायत दर्ज की है.
यात्रियों के भरोसे बस चलाने वाले तिरुवनंतपुरम में रहने वाले के. थॉमस हैं. थॉमस ने रविवार को पलक्कड़ जिले में कदनकविल नाम से अपनी नई सीएनजी बस सर्विस शुरू की. इस बस में पैसे वसूलने के लिए कंडक्टर की तैनाती नहीं की गई. उसकी जगह बस में तीन डिब्बे लगा दिए गए, जिसमें पैसेंजर तय किराये की रकम डाल सकते थे. चार दिनों में यह सर्विस काफी लोकप्रिय हो गई और के. थॉमस की बस की चर्चा रीजनल ट्रांसपोर्ट के अफसरों तक पहुंच गई. फिर क्या था. गुरुवार को रीजनल ट्रांसपोर्ट के अधिकारियों ने के. थॉमस के बस का संचालन रोकने का फरमान सुना दिया. सरकारी नियमों के मुताबिक, कंडक्टर के बिना बस को सड़क पर नहीं चलाया जा सकता है.
थॉमस ने बताया कि उन्होंने किराये लेने के लिए कंडक्टर की तैनाती नहीं की क्योंकि कई लोगों के पास किराये के पैसे नहीं होते हैं और वह सफर नहीं कर पाते हैं. अगर किसी के पास पैसा नहीं है तो वह भी बस से सफर कर सकता है. फिर अगली बार वह बकाया पैसा डिब्बे में जमा कर सकता है. थॉमस का कहना है कि उनके इलाके में ज्यादातर लोग ईमानदार हैं और उनकी बस में यात्रा करने से उन्हें अपनी ईमानदारी साबित करने का मौका मिलता है. बिना कंडक्टर की बस का आइडिया हिट हो गया है. मगर नियमों का पालन करना जरूरी है, इसलि शुक्रवार से मेरी बस एक कंडक्टर के साथ सड़क पर वापस आ जाएगी. थॉमस ने कहा कि दुनिया के अधिकतर देशों के सार्वजनिक परिवहन बसों में कोई कंडक्टर नहीं होता है. ड्राइवर के साथ कंडक्टर के कारण स्टाफ दोगुना हो जाता है. केरल में उन्होंने एक पहल की थी, जो फेल हो गया है.
(आईएएऩएस)
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