एर्नाकुलम : केरल उच्च न्यायालय ने पॉक्सो मामले में एक आरोपी को सबूतों की कमी के कारण अग्रिम जमानत दे दी. उच्च न्यायालय ने बाल यौन शोषण मामले में प्रथम दृष्टया सबूत नहीं होने के कारण आरोपी के पक्ष में फैसला सुनाया. अदालत ने कहा कि ऐसे कई मामले होते हैं, जहां निर्दोष व्यक्तियों को झूठे आरोप में फंसाया जाता है. ऐसे में तथ्यों की सही जांच के बाद ही फैसला सुनाया जाना चाहिए. ये फैसला न्यायमूर्ति कौसर एडप्पागाथ की एकल पीठ ने सुनाया.
उच्च न्यायालय के एकल पीठ ने कहा कि किसी भी अपराध में निर्दोषों की रक्षा करना उतना ही जरूरी है, जितना दोषियों को सजा देना है. वहीं, उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि पारिवारिक अदालतों में बच्चों की कस्टडी से संबंधी मामलों में पिता के खिलाफ कई बार उत्पीड़न के झूठे आरोप लगाए जाते हैं. न्यायमूर्ति कौसर एडप्पागाथ ने कहा कि अगर ऐसे मामलों में आरोपी जो कि निर्दोष हो सकता है, अग्रिम जमानत पाने से वंचित रह जाता है और ऐसे में उसके साथ अन्याय ही होगा.
न्यायमूर्ति कौसर एडप्पागाथ ने ये फैसला उस याचिका पर सुनवाई जिसमें एक पिता ने अपने खिलाफ वडक्केरा और वडक्कनचेरी थानों में पॉक्सो के तहत दर्ज दो मामलों में अग्रिम जमानत की अर्जी की है. आरोपी पर अपने ही बच्चों पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा है. अदालत ने कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता में बाल यौन शोषण के मामलों में अग्रिम जमानत नहीं दिये जाने का प्रावधान है. लेकिन जरूरी नहीं कि यह हर मामले में लागू किया जाए.
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