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सिस्टर लूसी को कॉन्वेंट में किसी तरह की पुलिस सुरक्षा प्रदान नहीं की जा सकती: HC - Kerala

केरल हाई कोर्ट (Kerala High Court) ने एफसीसी के कान्वेंट से बेदखली के मामले में सिस्टर लूसी कलप्पुरा को किसी प्रकार का पुलिस संरक्षण प्रदान नहीं किया जा सकता है. सिस्टर ने कोर्ट से कहा कि उन्हें कॉन्वेंट में रहने की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि उनके पास जाने के लिए और कोई जगह नहीं है.

सिस्टर लूसी
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Published : Jul 14, 2021, 3:36 PM IST

Updated : Jul 14, 2021, 6:02 PM IST

एर्नाकुलम : केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने बुधवार को कहा कि फ्रांसिस्कन क्लैरिस्ट कांग्रेगेशन (एफसीसी) के कान्वेंट से बेदखली के मामले में सिस्टर लूसी कलप्पुरा को किसी प्रकार का पुलिस संरक्षण प्रदान नहीं किया जा सकता है. सिस्टर लूसी को एफसीसी से निष्कासित कर दिया गया है और इस समय कान्वेंट में रह रही हैं.

अदालत ने कहा कि पुलिस कॉन्वेंट के बजाय किसी अन्य निवास स्थान पर उनके जीवन और संपत्ति की सुरक्षा कर सकती है. न्यायमूर्ति राजा विजयराघवन ने कहा कि यदि वह कॉन्वेंट में रहने का इरादा रखती हैं तो पिछले साल पुलिस सुरक्षा प्रदान करने का उच्च न्यायालय का आदेश अब और आदेश जारी नहीं रह सकता. उन्होंने कहा कि अगर वह अनुशासनहीनता के आरोप लगाने वाले कॉन्वेंट में रहना जारी रखती हैं, तो वहां के कर्मचारियों या अधिकारियों के साथ उनका टकराव जारी रहेगा.

व्यक्तिगत रूप से अपना पक्ष रखने वाली नन ने अदालत को बताया कि उन्होंने अपने निष्कासन के आदेश को एक दीवानी अदालत में चुनौती दी है और जब तक इसपर फैसला नहीं हो जाता तब तक वह कॉन्वेंट में रहना चाहती हैं.

ये भी पढ़ें- दो बच्चे के नियम से घबराकर अयोग्य पार्षद ने तीसरे बच्चे को बताया गैर, सुप्रीम कोर्ट का मानने से इंकार

सिस्टर लूसी ने कहा कि अदालत उन्हें दी गई पुलिस सुरक्षा वापस ले सकती है, लेकिन उन्हें कॉन्वेंट में रहने की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि उनके पास जाने के लिए और कोई जगह नहीं है.

बता दें कि बता दें कि जनवरी 2019 में कलाप्पुरा ने बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में सिस्टर लूसी ने हिस्सा लिया था. मुलक्कल पर 2014 से 2016 के बीच एक साथी नन का बलात्कार करने का आरोप है.

अक्टूबर 2019 में केरल में एफसीसी ने उन्हें इस आधार पर बर्खास्त किया था कि ‘वह अपनी जीवनशैली में नन के रूप में अपनी प्रतिज्ञा का उल्लंघन’ कर रही थीं. उस समय एफसीसी की रिपोर्ट में कहा गया था कि उन्हें वाहन चलाने, कविताएं लिखने और उन्हें प्रकाशित कराने और रोमन कैथोलिक बिशप मुलक्कल पर लगातार बलात्कार और उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली नन का समर्थन करने सहित कई कारणों के लिए बर्खास्त किया गया.

एर्नाकुलम : केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने बुधवार को कहा कि फ्रांसिस्कन क्लैरिस्ट कांग्रेगेशन (एफसीसी) के कान्वेंट से बेदखली के मामले में सिस्टर लूसी कलप्पुरा को किसी प्रकार का पुलिस संरक्षण प्रदान नहीं किया जा सकता है. सिस्टर लूसी को एफसीसी से निष्कासित कर दिया गया है और इस समय कान्वेंट में रह रही हैं.

अदालत ने कहा कि पुलिस कॉन्वेंट के बजाय किसी अन्य निवास स्थान पर उनके जीवन और संपत्ति की सुरक्षा कर सकती है. न्यायमूर्ति राजा विजयराघवन ने कहा कि यदि वह कॉन्वेंट में रहने का इरादा रखती हैं तो पिछले साल पुलिस सुरक्षा प्रदान करने का उच्च न्यायालय का आदेश अब और आदेश जारी नहीं रह सकता. उन्होंने कहा कि अगर वह अनुशासनहीनता के आरोप लगाने वाले कॉन्वेंट में रहना जारी रखती हैं, तो वहां के कर्मचारियों या अधिकारियों के साथ उनका टकराव जारी रहेगा.

व्यक्तिगत रूप से अपना पक्ष रखने वाली नन ने अदालत को बताया कि उन्होंने अपने निष्कासन के आदेश को एक दीवानी अदालत में चुनौती दी है और जब तक इसपर फैसला नहीं हो जाता तब तक वह कॉन्वेंट में रहना चाहती हैं.

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सिस्टर लूसी ने कहा कि अदालत उन्हें दी गई पुलिस सुरक्षा वापस ले सकती है, लेकिन उन्हें कॉन्वेंट में रहने की अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि उनके पास जाने के लिए और कोई जगह नहीं है.

बता दें कि बता दें कि जनवरी 2019 में कलाप्पुरा ने बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में सिस्टर लूसी ने हिस्सा लिया था. मुलक्कल पर 2014 से 2016 के बीच एक साथी नन का बलात्कार करने का आरोप है.

अक्टूबर 2019 में केरल में एफसीसी ने उन्हें इस आधार पर बर्खास्त किया था कि ‘वह अपनी जीवनशैली में नन के रूप में अपनी प्रतिज्ञा का उल्लंघन’ कर रही थीं. उस समय एफसीसी की रिपोर्ट में कहा गया था कि उन्हें वाहन चलाने, कविताएं लिखने और उन्हें प्रकाशित कराने और रोमन कैथोलिक बिशप मुलक्कल पर लगातार बलात्कार और उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली नन का समर्थन करने सहित कई कारणों के लिए बर्खास्त किया गया.

Last Updated : Jul 14, 2021, 6:02 PM IST
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