एर्नाकुलम: केरल उच्च न्यायालय ने सबरीमाला मंदिर मेलशांति (मुख्य पुजारी) चयन (ड्रा) को रद्द करने की याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि सबरीमाला 'मेलशांति' (मुख्य पुजारी) के चयन को रद्द करने की मांग में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है. अदालत ने एमिकस क्यूरी की रिपोर्ट पर विचार करते हुए, याचिका खारिज कर दी कि ड्रॉ में कागजात मुड़े हुए थे.
हाई कोर्ट देवस्वओम बेंच ने सबरीमाला चुनाव रद्द करने की मांग करने वाली तिरुवनंतपुरम के मूल निवासी मधुसूदन नंबूथिरी की याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि 'मेलशांति' (मुख्य पुजारी) के चयन को रद्द करने की मांग में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है.
याचिका को एमिकस क्यूरी और अदालत द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक द्वारा दी गई रिपोर्ट पर विचार करते हुए खारिज कर दिया गया था कि ड्रॉ में कुछ कागजात को मोड़ना आकस्मिक था. इससे पहले हाई कोर्ट ने याचिका पर विचार करते हुए मौखिक टिप्पणी की थी कि ड्रॉ के दौरान मंदिर (सोपानम) के अंदर अवांछित लोगों की मौजूदगी थी.
हालांकि, देवास्वोम बोर्ड ने पहले अदालत को सूचित किया कि चयन एक पर्यवेक्षक की उपस्थिति में किया गया था और चुनाव पारदर्शी था. सरकार ने देवास्वोम बोर्ड की स्थिति का भी समर्थन किया. मुख्य आरोप यह था कि ड्रा के लिए तैयार किए गए कागजों में से दो को मोड़ दिया गया था और बाकी को लपेट दिया गया था. अदालत ने ड्रा के सीसीटीवी फुटेज और चैनल फुटेज की जांच की थी.