एरानाकुलम : केरल हाई कोर्ट ने आयशा को रविवार को पूछताछ के लिए लक्षद्वीप पुलिस के सामने मौजूद रहने का निर्देश दिया. आयशा ने तर्क दिया कि उसे पूछताछ के लिए हिरासत में लेने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि राजद्रोह का मामला नहीं है. आयशा ने अपने तर्क में कहा कि नफरत भड़काने की कोई कोशिश नहीं की गई. केवल सरकार की आलोचना की गई.
कहा कि कम ही लोग जानते थे कि जैविक हथियार शब्द इतनी बड़ी बात है. अगले ही दिन माफी मांग ली गई. याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि देशद्रोह का अपराध तभी हो सकता है जब लोगों को दंगा करने के लिए बुलाया जाए.
आयशा सुल्ताना ने अदालत को यह बताया कि वह पुलिस के सामने पेश होने के लिए तैयार है. वहीं केंद्र सरकार ने आयशा सुल्ताना को मिली अंतरिम अग्रिम जमानत का कड़ा विरोध किया. आयशा ने केंद्र सरकार की तुलना चीन से की. कोर्ट में केंद्र सरकार के वकील ने दलील दी कि उसकी मंशा जगजाहिर थी. उसके शब्द लक्षद्वीप के बच्चों के बीच भी असंतोषजनक विचार पैदा करने में सक्षम थे. आयशा ने एक गंभीर अपराध किया है.
केंद्र सरकार का संदर्भ गंभीर है. यदि सार्वजनिक शांति भंग होती है या लोग सरकार के खिलाफ हो जाते हैं तो देशद्रोह का अपराध खड़ा होगा. उसने जानबूझकर कहा कि जैविक हथियार का इस्तेमाल लोगों के खिलाफ किया गया, जैसा कि चीन ने किया था. उसने फिर मामले से बचने की कोशिश की. माफी मांगना सिर्फ एक और कार्य है.
आयशा द्वारा एक अन्य फेसबुक पोस्ट में बताया गया है कि केंद्र द्वीपवासियों को उखाड़ फेंकने की कोशिश कर रहा था, जो कि 100 प्रतिशत मुस्लिम हैं. लक्षद्वीप सरकार ने भी आयशा की अग्रिम जमानत अर्जी का विरोध किया. आयशा ने जो किया वह आलोचना नहीं थी बल्कि सिर्फ अभद्र भाषा थी. आयशा ने चैनल चर्चा के दौरान कहा कि केंद्र ने द्वीप पर जैविक हथियारों का इस्तेमाल किया.
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द्वीप सरकार ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को जांच में सहयोग करना चाहिए और यदि आवश्यक हो तो गिरफ्तार किया जाना चाहिए. उच्च न्यायालय ने मामले में शामिल होने की अनुमति के लिए प्रतीश विश्वनाथन द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया. इस बीच उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाने के लिए आयशा सुल्ताना की अग्रिम जमानत याचिका को स्थगित कर दिया.