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केरल में शराब दुकानों की संख्या बढ़ाने के खिलाफ सुधीरन की याचिका सुनने को HC तैयार

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Published : Nov 23, 2021, 6:29 PM IST

केरल में शराब की दुकानों (liquor outlets) की संख्या बढ़ाने के खिलाफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वी. एम. सुधीरन (V M Sudheeran) की याचिका पर सुनवाई के लिए हाई कोर्ट तैयार हो गया है.

केरल हाई कोर्ट
केरल हाई कोर्ट

कोच्चि : केरल हाई कोर्ट राज्य में आबकारी आयुक्तालय और बेवरेजेज कॉरपोरेशन (BEVCO) के सुझाव के अनुसार शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाने के खिलाफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वी. एम. सुधीरन (V M Sudheeran) की याचिका पर सुनवाई के लिए मंगलवार को राजी हो गया.

न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री से कहा कि वह सुधीरन की पुनरीक्षण याचिका पंजीकृत करे और इसे 25 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करे. आबकारी आयुक्तालय की ओर से वरिष्ठ सरकारी अधिवक्ता एस कन्नन ने संक्षिप्त सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि राज्य में शराब की दुकानों का संचालन करने वाले बेवको और कंज्यूमरफेड को ग्राहकों के लिए पार्किंग क्षेत्र और 'वॉक-इन' विकल्प जैसी अधिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए 'सख्त' निर्देश दिए गए हैं.

आबकारी आयुक्तालय द्वारा दाखिल एक बयान में कहा गया है कि 175 और आउटलेट स्थापित करने के बेवको के अनुरोध पर भी सरकार विचार कर रही है. अदालत ने बयान पर गौर करने के बाद कहा कि पार्किंग क्षेत्रों के अलावा, सार्वजनिक मूत्रालय भी उपलब्ध कराए जाने चाहिए, क्योंकि इन दुकानों से शराब खरीदने के लिए कतार में खड़े लोग अक्सर सड़क के किनारे पेशाब करते पाए जाते हैं, जिससे महिलाओं और बच्चों का वहां से गुजरना मुश्किल हो जाता है.

न्यायमूर्ति रामचंद्रन ने कहा, 'मैं आपके (सरकार) द्वारा उठाए गए कदमों से चिंतित नहीं हूं, मुझे केवल परिणाम चाहिए. मैं इस बात से अधिक चिंतित हूं कि जो लोग शराब नहीं पीते हैं, या महिलाओं और बच्चों को परेशानी नहीं होनी चाहिए.'

सुधीरन ने अधिवक्ता कलीस्वरम राज के माध्यम से दायर याचिका में दावा किया है कि शराब की दुकानों की संख्या बढ़ने से जनता की परेशानी बढ़ेगी.

175 दुकानें बढ़ाने का दिया था सुझाव
राज्य में शराब की 175 और दुकानें बढ़ाने का सुझाव गत नौ नवंबर को उस अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान दिया गया था, जिसमें 2017 के फैसले पर अमल नहीं करने की शिकायत की गई थी. उक्त फैसले में राज्य सरकार और बेवको को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था कि बेवको आउटलेट के कारण त्रिशूर के एक क्षेत्र के व्यवसायों और निवासियों को कोई बाधा और परेशानी नहीं हो.

पढ़ें- बच्चे के अपहरण मामले में बच्चे की हिरासत में कोई अवैधता नहीं: केरल हाई कोर्ट

सुधीरन ने अपनी याचिका में दावा किया है कि 2017 के उच्च न्यायालय के फैसले और अवमानना याचिका में उसके बाद के आदेश का उद्देश्य शराब की दुकानों के बाहर कतारों को कम करना था, न कि उनकी संख्या बढ़ाना. आबकारी आयुक्तालय और सरकार द्वारा संचालित बेवको ने नौ नवंबर को अदालत को बताया था कि अधिक दुकानों को मंजूरी देने से मौजूदा 306 लाइसेंस प्राप्त शराब की दुकानों पर दबाव कम हो सकता है.

उन्होंने कहा था कि केरल में जहां 1.12 लाख लोगों के लिए केवल एक शराब की दुकान थी, वहीं पड़ोसी राज्यों- तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में यह अनुपात बहुत कम था, क्योंकि वहां हजारों दुकानें थीं जो शराब बेचती थीं.

पढ़ें- 'केरल सरकार कम भीड़भाड़ वाले इलाकों में शराब की दुकानों को खोलने पर विचार करे'

(पीटीआई-भाषा)

कोच्चि : केरल हाई कोर्ट राज्य में आबकारी आयुक्तालय और बेवरेजेज कॉरपोरेशन (BEVCO) के सुझाव के अनुसार शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाने के खिलाफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वी. एम. सुधीरन (V M Sudheeran) की याचिका पर सुनवाई के लिए मंगलवार को राजी हो गया.

न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री से कहा कि वह सुधीरन की पुनरीक्षण याचिका पंजीकृत करे और इसे 25 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करे. आबकारी आयुक्तालय की ओर से वरिष्ठ सरकारी अधिवक्ता एस कन्नन ने संक्षिप्त सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि राज्य में शराब की दुकानों का संचालन करने वाले बेवको और कंज्यूमरफेड को ग्राहकों के लिए पार्किंग क्षेत्र और 'वॉक-इन' विकल्प जैसी अधिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए 'सख्त' निर्देश दिए गए हैं.

आबकारी आयुक्तालय द्वारा दाखिल एक बयान में कहा गया है कि 175 और आउटलेट स्थापित करने के बेवको के अनुरोध पर भी सरकार विचार कर रही है. अदालत ने बयान पर गौर करने के बाद कहा कि पार्किंग क्षेत्रों के अलावा, सार्वजनिक मूत्रालय भी उपलब्ध कराए जाने चाहिए, क्योंकि इन दुकानों से शराब खरीदने के लिए कतार में खड़े लोग अक्सर सड़क के किनारे पेशाब करते पाए जाते हैं, जिससे महिलाओं और बच्चों का वहां से गुजरना मुश्किल हो जाता है.

न्यायमूर्ति रामचंद्रन ने कहा, 'मैं आपके (सरकार) द्वारा उठाए गए कदमों से चिंतित नहीं हूं, मुझे केवल परिणाम चाहिए. मैं इस बात से अधिक चिंतित हूं कि जो लोग शराब नहीं पीते हैं, या महिलाओं और बच्चों को परेशानी नहीं होनी चाहिए.'

सुधीरन ने अधिवक्ता कलीस्वरम राज के माध्यम से दायर याचिका में दावा किया है कि शराब की दुकानों की संख्या बढ़ने से जनता की परेशानी बढ़ेगी.

175 दुकानें बढ़ाने का दिया था सुझाव
राज्य में शराब की 175 और दुकानें बढ़ाने का सुझाव गत नौ नवंबर को उस अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान दिया गया था, जिसमें 2017 के फैसले पर अमल नहीं करने की शिकायत की गई थी. उक्त फैसले में राज्य सरकार और बेवको को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था कि बेवको आउटलेट के कारण त्रिशूर के एक क्षेत्र के व्यवसायों और निवासियों को कोई बाधा और परेशानी नहीं हो.

पढ़ें- बच्चे के अपहरण मामले में बच्चे की हिरासत में कोई अवैधता नहीं: केरल हाई कोर्ट

सुधीरन ने अपनी याचिका में दावा किया है कि 2017 के उच्च न्यायालय के फैसले और अवमानना याचिका में उसके बाद के आदेश का उद्देश्य शराब की दुकानों के बाहर कतारों को कम करना था, न कि उनकी संख्या बढ़ाना. आबकारी आयुक्तालय और सरकार द्वारा संचालित बेवको ने नौ नवंबर को अदालत को बताया था कि अधिक दुकानों को मंजूरी देने से मौजूदा 306 लाइसेंस प्राप्त शराब की दुकानों पर दबाव कम हो सकता है.

उन्होंने कहा था कि केरल में जहां 1.12 लाख लोगों के लिए केवल एक शराब की दुकान थी, वहीं पड़ोसी राज्यों- तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में यह अनुपात बहुत कम था, क्योंकि वहां हजारों दुकानें थीं जो शराब बेचती थीं.

पढ़ें- 'केरल सरकार कम भीड़भाड़ वाले इलाकों में शराब की दुकानों को खोलने पर विचार करे'

(पीटीआई-भाषा)

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