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बेटी हो तो ऐसी ...पिता को बचाने के लिए नाबालिग बेटी करेगी अंगदान, HC ने दी इजाजत

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Published : Dec 22, 2022, 5:27 PM IST

Updated : Dec 23, 2022, 7:33 PM IST

'वे बहुत नसीब वाले होते हैं जिनके घर बेटियां होती हैं'. ये कोई फिल्मी 'डायलॉग' नहीं, बल्कि हकीकत है. अभी कुछ दिन पहले ही लालू यादव की बेटी ने पिता के लिए अंगदान किया था. अब केरल से भी ऐसी ही खबर आई है. पर यहां उस लड़की को अंगदान करने के लिए हाईकोर्ट के चक्कर लगाने पड़ गए. इसकी वजह उसकी उम्र थी. क्योंकि वह नाबालिग थी. कोर्ट ने भी अपने फैसले में कहा कि धन्य हैं वे माता-पिता जिनके पास ऐसी बच्चियां हैं. पढ़ें पूरी खबर.

kerala high court
केरल हाईकोर्ट
पिता को बचाने के लिए नाबालिग बेटी करेगी अंगदान

कोच्चि : केरल हाईकोर्ट ने एक नाबालिग लड़की को अंगदान की इजाजत प्रदान कर दी है. उसके पिता बीमार हैं. उसने अपने पिता के लिए अपने लीवर एक हिस्सा दान करने के लिए अनुमति मांगी थी. त्रिशूर जिले की रहने वाली देवानंद नाम की इस लड़की ने कोर्ट के फैसले पर खुशी जताई है.

हाईकोर्ट ने मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण नियम, 2014 के तहत निर्धारित दाता (डोनर) होने की उम्र में छूट की मांग करने वाली 17 वर्षीय लड़की की याचिका पर फैसला सुनाया. न्यायमूर्ति वीजी अरुण ने अपने आदेश में कहा, ''यह जानकर खुशी हो रही है कि देवानंद द्वारा की गई अथक लड़ाई आखिरकार सफल हो गई. मैं अपने पिता की जान बचाने के लिए याचिकाकर्ता की लड़ाई की सराहना करता हूं. धन्य हैं वे माता-पिता जिनके पास देवानंद जैसे बच्चे हैं." अपने पिता के प्रति लड़की की करुणा को सलाम.

देवानंद के पिता प्रतीश पीजी गैर-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज डीकंपेंसेटेड क्रॉनिक लिवर डिजीज विद हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा से पीड़ित हैं. देवानंद के लिए, अपने पिता के जीवन को बचाने का एकमात्र साधन प्रत्यारोपण सर्जरी के माध्यम से क्षतिग्रस्त यकृत (लीवर) को बदलना है. मरीज के करीबियों में से सिर्फ उसकी बेटी का लिवर मैचिंग पाया गया.

वह अपने पिता के जीवन को बचाने के लिए अंग दान करने को तैयार थी, लेकिन डॉक्टर ने नियमों का हवाला देकर उसका अंग लेने से मना कर दिया. डॉक्टर ने कहा कि क्योंकि वह मात्र 17 साल की है, लिहाजा कोई भी नाबालिग अंगदान नहीं कर सकता है. मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के प्रावधान नाबालिग द्वारा अंग दान की अनुमति नहीं देते हैं. अपनी याचिका में, उसने अस्पताल प्राधिकरण को मानव अंगों और ऊतकों के प्रत्यारोपण नियम, 2014 के नियम 18 और मानव अंगों और ऊतकों के प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के अन्य प्रावधानों के तहत अपने चिकित्सा दायित्वों को पूरा करने के लिए निर्देश देने की मांग की थी.

अदालत ने आदेश में कहा, "अधिनियम और नियमों की अन्य आवश्यकताओं के अधीन, याचिकाकर्ता को अपने पिता की प्रत्यारोपण सर्जरी करने के लिए अपने जिगर का एक हिस्सा दान करने की अनुमति देने के लिए रिट याचिका का निस्तारण किया जाता है."

अदालत ने केरल राज्य अंग ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (के-एसओटीटीओ) द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट पर विचार करते हुए निर्णय दिया, जिसे इसके द्वारा देवानंद के मामले का अध्ययन करने का निर्देश दिया गया था. प्रारंभ में, अदालत ने 23 नवंबर, 2022 को एक अंतरिम आदेश पारित किया था जिसमें के-एसओटीटीओ को याचिकाकर्ता को सुनने और नियम 5(3)(जी) में निर्धारित निर्णय पर पहुंचने का निर्देश दिया था. निर्देश के अनुसार, के एसओटीटीओ ने मरीज की मेडिकल रिपोर्ट की जांच करने और इलाज करने वाले डॉक्टर से चर्चा के बाद मामले का विस्तृत मूल्यांकन करने के लिए तीन विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त की. विस्तृत मूल्यांकन के बाद, विशेषज्ञ समिति, जो शुरू में अनिच्छुक थी, ने उच्च न्यायालय के अंतिम आदेश के अधीन देवानंद की याचिका की अनुमति देते हुए एक रिपोर्ट प्रस्तुत की. समिति ने इस तथ्य पर भरोसा किया कि प्रत्यारोपण के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था. फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने भी उनके दृढ़ संकल्प की सराहना की. मंत्री ने एक बयान में कहा, "अंग दान प्रक्रिया में देवानंद इतिहास का हिस्सा बन रहे हैं."

ये भी पढ़ें : RJD अध्यक्ष लालू यादव का किडनी ट्रांसप्लांट सफल, बेटी रोहिणी ने किया डोनेट

पिता को बचाने के लिए नाबालिग बेटी करेगी अंगदान

कोच्चि : केरल हाईकोर्ट ने एक नाबालिग लड़की को अंगदान की इजाजत प्रदान कर दी है. उसके पिता बीमार हैं. उसने अपने पिता के लिए अपने लीवर एक हिस्सा दान करने के लिए अनुमति मांगी थी. त्रिशूर जिले की रहने वाली देवानंद नाम की इस लड़की ने कोर्ट के फैसले पर खुशी जताई है.

हाईकोर्ट ने मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण नियम, 2014 के तहत निर्धारित दाता (डोनर) होने की उम्र में छूट की मांग करने वाली 17 वर्षीय लड़की की याचिका पर फैसला सुनाया. न्यायमूर्ति वीजी अरुण ने अपने आदेश में कहा, ''यह जानकर खुशी हो रही है कि देवानंद द्वारा की गई अथक लड़ाई आखिरकार सफल हो गई. मैं अपने पिता की जान बचाने के लिए याचिकाकर्ता की लड़ाई की सराहना करता हूं. धन्य हैं वे माता-पिता जिनके पास देवानंद जैसे बच्चे हैं." अपने पिता के प्रति लड़की की करुणा को सलाम.

देवानंद के पिता प्रतीश पीजी गैर-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज डीकंपेंसेटेड क्रॉनिक लिवर डिजीज विद हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा से पीड़ित हैं. देवानंद के लिए, अपने पिता के जीवन को बचाने का एकमात्र साधन प्रत्यारोपण सर्जरी के माध्यम से क्षतिग्रस्त यकृत (लीवर) को बदलना है. मरीज के करीबियों में से सिर्फ उसकी बेटी का लिवर मैचिंग पाया गया.

वह अपने पिता के जीवन को बचाने के लिए अंग दान करने को तैयार थी, लेकिन डॉक्टर ने नियमों का हवाला देकर उसका अंग लेने से मना कर दिया. डॉक्टर ने कहा कि क्योंकि वह मात्र 17 साल की है, लिहाजा कोई भी नाबालिग अंगदान नहीं कर सकता है. मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के प्रावधान नाबालिग द्वारा अंग दान की अनुमति नहीं देते हैं. अपनी याचिका में, उसने अस्पताल प्राधिकरण को मानव अंगों और ऊतकों के प्रत्यारोपण नियम, 2014 के नियम 18 और मानव अंगों और ऊतकों के प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के अन्य प्रावधानों के तहत अपने चिकित्सा दायित्वों को पूरा करने के लिए निर्देश देने की मांग की थी.

अदालत ने आदेश में कहा, "अधिनियम और नियमों की अन्य आवश्यकताओं के अधीन, याचिकाकर्ता को अपने पिता की प्रत्यारोपण सर्जरी करने के लिए अपने जिगर का एक हिस्सा दान करने की अनुमति देने के लिए रिट याचिका का निस्तारण किया जाता है."

अदालत ने केरल राज्य अंग ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (के-एसओटीटीओ) द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट पर विचार करते हुए निर्णय दिया, जिसे इसके द्वारा देवानंद के मामले का अध्ययन करने का निर्देश दिया गया था. प्रारंभ में, अदालत ने 23 नवंबर, 2022 को एक अंतरिम आदेश पारित किया था जिसमें के-एसओटीटीओ को याचिकाकर्ता को सुनने और नियम 5(3)(जी) में निर्धारित निर्णय पर पहुंचने का निर्देश दिया था. निर्देश के अनुसार, के एसओटीटीओ ने मरीज की मेडिकल रिपोर्ट की जांच करने और इलाज करने वाले डॉक्टर से चर्चा के बाद मामले का विस्तृत मूल्यांकन करने के लिए तीन विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त की. विस्तृत मूल्यांकन के बाद, विशेषज्ञ समिति, जो शुरू में अनिच्छुक थी, ने उच्च न्यायालय के अंतिम आदेश के अधीन देवानंद की याचिका की अनुमति देते हुए एक रिपोर्ट प्रस्तुत की. समिति ने इस तथ्य पर भरोसा किया कि प्रत्यारोपण के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था. फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने भी उनके दृढ़ संकल्प की सराहना की. मंत्री ने एक बयान में कहा, "अंग दान प्रक्रिया में देवानंद इतिहास का हिस्सा बन रहे हैं."

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Last Updated : Dec 23, 2022, 7:33 PM IST
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