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वैक्सीन के दामों को लेकर केरल हाई कोर्ट का भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट को नोटिस - सीरम इंस्टीट्यूट को नोटिस

कोरोना वैक्सीन के अलग-अलग दामों को लेकर केरल उच्च न्यायालय ने भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट को नोटिस जारी किया है. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.

केरल हाई कोर्ट
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Published : Apr 27, 2021, 10:53 PM IST

तिरुवनंतपुरम : केरल उच्च न्यायालय ने कोविड वैक्सीन विकसित करने वाली कंपनी भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट को नोटिस जारी किया है. टीकाकरण नीति को लेकर यह कार्यवाही की गई. हाई कोर्ट ने इस पर केंद्र सरकार से भी जवाब मांगा है.

अदालत ने सभी कोविड टीकों के लिए एक समान मूल्य की मांग के साथ ही 45 वर्ष से कम आयु के सभी नागरिकों का मुफ्त में टीकाकरण करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जवाब मांगा है.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि विभिन्न टीकों के लिए अलग-अलग कीमत वसूलना भेदभाव है और 45 साल से कम उम्र के लोगों को मुफ्त टीके नहीं देना असंवैधानिक है.

याचिका में केंद्र सरकार से राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना के अनुसार वैक्सीनेशन संभालने की मांग की गई है. यह याचिका अखिल भारतीय वकील संघ के राज्य सचिव एडवोकेट सी. पी. प्रमोद ने दायर की थी.

केंद्र सरकार ने उच्च न्यायालय को सूचित किया कि ऐसा ही एक मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित है. याचिका पर अगले महीने फिर से सुनवाई की जाएगी.

बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने केंद्र, राज्यों और निजी अस्पतालों के लिए कोविड-19 रोधी टीके की अलग-अलग कीमत का संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार को ऐसी मूल्य नीति के पीछे 'औचित्य और आधार' बताने को कहा है.

शीर्ष अदालत ने महामारी के दौरान आवश्यक सामानों की आपूर्ति एवं सेवाओं के वितरण से संबंधित मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र से यह भी पूछा कि वह एक मई से 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए टीकाकरण की शुरुआत होने पर टीकों की अचानक बढ़ी मांग को कैसे पूरा करने वाला है.

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले में सुनवाई के लिए शुक्रवार का दिन तय किया. पीठ ने कहा, केंद्र को अपने हलफनामे में टीकों के मूल्य के संबंध में स्वीकृत आधार और औचित्य को स्पष्ट करना होगा.

पीठ में न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट भी शामिल थे. पीठ ने कहा, अलग-अलग कंपनियां अलग-अलग कीमत तय कर रही हैं. केंद्र इस बारे में क्या कर रहा है.

पढ़ें :- दिल्ली : ऑक्सीजन और कोरोना मरीजों की सांसों के बीच खड़ी रही राजनीति की 'दीवार'

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई में वरिष्ठ अधिवक्ता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने पीठ को बताया कि केंद्र, राज्यों और निजी अस्पतालों के लिए टीके की अलग-अलग कीमतें निर्धारित की गई है.

पीठ ने दवाओं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए औषधि नियंत्रण कानून के तहत केंद्र की शक्तियों का हवाला दिया और कहा कि महामारी के दौरान ऐसी शक्तियों का इस्तेमाल करना सही मौका होगा.

पीठ ने सवाल किया, यह महामारी है और राष्ट्रीय संकट की स्थिति है. अगर ऐसी शक्ति लागू करने का यह समय नहीं है तो कौन सा समय ठीक होगा.

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कहा है कि वह राज्यों को कोविशील्ड की एक खुराक 400 रुपये में और निजी अस्पतालों को 600 रुपये में प्रति खुराक मुहैया कराएगी.

एक वकील ने कहा कि हालांकि कंपनी केंद्र को 150 रुपये प्रति खुराक के हिसाब से टीके की बिक्री कर रही है.

पीठ ने केंद्र को ऑक्सीजन के वितरण के साथ राज्यों को टीके मुहैया कराने की प्रक्रिया और निगरानी तंत्र के बारे में भी अवगत कराने को कहा है.

तिरुवनंतपुरम : केरल उच्च न्यायालय ने कोविड वैक्सीन विकसित करने वाली कंपनी भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट को नोटिस जारी किया है. टीकाकरण नीति को लेकर यह कार्यवाही की गई. हाई कोर्ट ने इस पर केंद्र सरकार से भी जवाब मांगा है.

अदालत ने सभी कोविड टीकों के लिए एक समान मूल्य की मांग के साथ ही 45 वर्ष से कम आयु के सभी नागरिकों का मुफ्त में टीकाकरण करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जवाब मांगा है.

याचिका में आरोप लगाया गया है कि विभिन्न टीकों के लिए अलग-अलग कीमत वसूलना भेदभाव है और 45 साल से कम उम्र के लोगों को मुफ्त टीके नहीं देना असंवैधानिक है.

याचिका में केंद्र सरकार से राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना के अनुसार वैक्सीनेशन संभालने की मांग की गई है. यह याचिका अखिल भारतीय वकील संघ के राज्य सचिव एडवोकेट सी. पी. प्रमोद ने दायर की थी.

केंद्र सरकार ने उच्च न्यायालय को सूचित किया कि ऐसा ही एक मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित है. याचिका पर अगले महीने फिर से सुनवाई की जाएगी.

बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने केंद्र, राज्यों और निजी अस्पतालों के लिए कोविड-19 रोधी टीके की अलग-अलग कीमत का संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार को ऐसी मूल्य नीति के पीछे 'औचित्य और आधार' बताने को कहा है.

शीर्ष अदालत ने महामारी के दौरान आवश्यक सामानों की आपूर्ति एवं सेवाओं के वितरण से संबंधित मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र से यह भी पूछा कि वह एक मई से 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए टीकाकरण की शुरुआत होने पर टीकों की अचानक बढ़ी मांग को कैसे पूरा करने वाला है.

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले में सुनवाई के लिए शुक्रवार का दिन तय किया. पीठ ने कहा, केंद्र को अपने हलफनामे में टीकों के मूल्य के संबंध में स्वीकृत आधार और औचित्य को स्पष्ट करना होगा.

पीठ में न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट भी शामिल थे. पीठ ने कहा, अलग-अलग कंपनियां अलग-अलग कीमत तय कर रही हैं. केंद्र इस बारे में क्या कर रहा है.

पढ़ें :- दिल्ली : ऑक्सीजन और कोरोना मरीजों की सांसों के बीच खड़ी रही राजनीति की 'दीवार'

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई में वरिष्ठ अधिवक्ता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने पीठ को बताया कि केंद्र, राज्यों और निजी अस्पतालों के लिए टीके की अलग-अलग कीमतें निर्धारित की गई है.

पीठ ने दवाओं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए औषधि नियंत्रण कानून के तहत केंद्र की शक्तियों का हवाला दिया और कहा कि महामारी के दौरान ऐसी शक्तियों का इस्तेमाल करना सही मौका होगा.

पीठ ने सवाल किया, यह महामारी है और राष्ट्रीय संकट की स्थिति है. अगर ऐसी शक्ति लागू करने का यह समय नहीं है तो कौन सा समय ठीक होगा.

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कहा है कि वह राज्यों को कोविशील्ड की एक खुराक 400 रुपये में और निजी अस्पतालों को 600 रुपये में प्रति खुराक मुहैया कराएगी.

एक वकील ने कहा कि हालांकि कंपनी केंद्र को 150 रुपये प्रति खुराक के हिसाब से टीके की बिक्री कर रही है.

पीठ ने केंद्र को ऑक्सीजन के वितरण के साथ राज्यों को टीके मुहैया कराने की प्रक्रिया और निगरानी तंत्र के बारे में भी अवगत कराने को कहा है.

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