कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय ने दुष्कर्म पीड़िता किशोरी के 24 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दे दी है. कोर्ट ने प्रक्रिया के संचालन के लिए एक चिकित्सा दल गठित करने का निर्देश दिया है. न्यायमूर्ति वी जी अरुण ने 15 वर्षीय किशोरी की याचिका पर विचार करते हुए हालांकि कहा, 'यदि बच्चा जन्म के समय जीवित है' तो अस्पताल यह सुनिश्चित करेगा कि बच्चे को सर्वोत्तम चिकित्सा उपचार की पेशकश की जाए.
अदालत ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता बच्चे की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं है, तो राज्य और उसकी एजेंसियां पूरी जिम्मेदारी लेंगी और बच्चे को चिकित्सा सहायता और सुविधाएं प्रदान करेंगी. अदालत ने सरकारी अस्पताल में पीड़ित किशोरी के गर्भपात कराने की अनुमति दी.
अदालत ने 14 जुलाई को जारी एक आदेश में कहा, 'मामले पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद, मैं पूरी तरह से कानून पर अड़िग रहने के बजाय नाबालिग लड़की के पक्ष में झुकना उचित समझता हूं.' गर्भ का चिकित्सकीय समापन कानून, 1971, चौबीस सप्ताह की सीमा प्रदान करता है, इसके बाद गर्भपात की अनुमति नहीं है.
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