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Kerala Govt moves SC : जंगली हाथी अरीकोम्बन मामले में केरल सरकार ने किया सुप्रीम कोर्ट का रुख - जंगली हाथी अरीकोम्बन

केरल में जंगली हाथी अरीकोम्बन (MISSION ARIKOMBAN) का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. हाईकोर्ट ने उसे परम्बिकुलम टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था, लेकिन वहां के लोगों को इस पर आपत्ति है. अब राज्य सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.

Kerala Govt moves SC
केरल सरकार ने किया सुप्रीम कोर्ट का रुख
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Published : Apr 15, 2023, 5:28 PM IST

नई दिल्ली : केरल सरकार ने मिशन अरीकोम्बन पर केरल उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शनिवार को उच्चतम न्यायालय का रुख किया. हाईकोर्ट ने कहा था कि जंगली हाथी से लोगों की जान-माल को खतरा हो सकता है. राज्य सरकार ने जंगली टस्कर अरीकोम्बन को राज्य के दूसरे जंगल में स्थानांतरित करने के उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.

राज्य ने आरोप लगाया है कि एचसी ने लोगों की सुरक्षा पर विचार नहीं किया और अधिकारियों को मुख्य वन्य जीवन वार्डन के आदेश के अनुसार हाथी को शांत करने से रोक दिया.

राज्य ने कहा कि वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 11(1) के अनुसार मुख्य वन्य प्राणी वार्डन को मानव जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाले वन्य जीवों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है. मानव जीवन और इस अधिकार के आधार पर वार्डन ने हाथी को शांत करने और उसे प्रशिक्षण केंद्र में स्थानांतरित करने की अनुमति दी थी.

याचिका में कहा गया है कि 'हालांकि हाईकोर्ट ने इस मामले में दखल देकर गलती की और कार्रवाई रोक दी.' राज्य ने अदालत को बताया है कि अरिकोम्बन ने 2017 में 7 लोगों की हत्या की है और 52 घरों और दुकानों को नुकसान पहुंचाया है. पिछले तीन महीनों में इसने 22 घरों, 3 राशन की दुकानों और 6 अन्य दुकानों को नुकसान पहुंचाया है.

राज्य ने तर्क दिया कि उसे लोगों के जीवन और संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है. इसी वजह से मुख्य वन्य जीवन वार्डन ने हाथी को किसी अन्य स्थान/जंगल में स्थानांतरित करना उचित नहीं समझा.

वन और वन्यजीव मंत्री एके ससींद्रन ने पहले कहा था कि उच्च न्यायालय के आदेश को राज्य द्वारा लागू करना आसान नहीं है और इसलिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया जाएगा.

मंत्री ने कहा कि 'हाईकोर्ट ने सरकार से कहा था कि वह विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के अनुसार काम करे. बाद में, परम्बिकुलम के निवासियों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया, जिसमें अदालत ने सरकार को अगले 5 दिनों में दूसरी उपयुक्त जगह खोजने का आदेश दिया. ऐसी जगह ढूंढ़ना आसान नहीं है क्योंकि राज्य में जंगल मानव बस्तियों या कृषि भूमि से घिरे हैं.'

उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को लागू करने की कोशिश की, तो उसे विरोध का सामना करना पड़ेगा और इसलिए वह शीर्ष अदालत के अनुसार कार्रवाई करेगी.

उच्च न्यायालय ने अरीकोम्बन को डार्ट करने, रेडियो कॉलर लगाने और परम्बिकुलम टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था. लेकिन वहां के स्थानीय लोगों को इस पर आपत्ति है क्योंकि उन्हें लगता है कि यह इंसानों की बस्ती में आ जाएगा और जान-माल को खतरे में डाल देगा.

पढ़ें- तीन साल में हाथियों के हमले में हुई 1581 लोगों की मौत, राज्यसभा में सरकार ने दी जानकारी

नई दिल्ली : केरल सरकार ने मिशन अरीकोम्बन पर केरल उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शनिवार को उच्चतम न्यायालय का रुख किया. हाईकोर्ट ने कहा था कि जंगली हाथी से लोगों की जान-माल को खतरा हो सकता है. राज्य सरकार ने जंगली टस्कर अरीकोम्बन को राज्य के दूसरे जंगल में स्थानांतरित करने के उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.

राज्य ने आरोप लगाया है कि एचसी ने लोगों की सुरक्षा पर विचार नहीं किया और अधिकारियों को मुख्य वन्य जीवन वार्डन के आदेश के अनुसार हाथी को शांत करने से रोक दिया.

राज्य ने कहा कि वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 11(1) के अनुसार मुख्य वन्य प्राणी वार्डन को मानव जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाले वन्य जीवों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है. मानव जीवन और इस अधिकार के आधार पर वार्डन ने हाथी को शांत करने और उसे प्रशिक्षण केंद्र में स्थानांतरित करने की अनुमति दी थी.

याचिका में कहा गया है कि 'हालांकि हाईकोर्ट ने इस मामले में दखल देकर गलती की और कार्रवाई रोक दी.' राज्य ने अदालत को बताया है कि अरिकोम्बन ने 2017 में 7 लोगों की हत्या की है और 52 घरों और दुकानों को नुकसान पहुंचाया है. पिछले तीन महीनों में इसने 22 घरों, 3 राशन की दुकानों और 6 अन्य दुकानों को नुकसान पहुंचाया है.

राज्य ने तर्क दिया कि उसे लोगों के जीवन और संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है. इसी वजह से मुख्य वन्य जीवन वार्डन ने हाथी को किसी अन्य स्थान/जंगल में स्थानांतरित करना उचित नहीं समझा.

वन और वन्यजीव मंत्री एके ससींद्रन ने पहले कहा था कि उच्च न्यायालय के आदेश को राज्य द्वारा लागू करना आसान नहीं है और इसलिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया जाएगा.

मंत्री ने कहा कि 'हाईकोर्ट ने सरकार से कहा था कि वह विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के अनुसार काम करे. बाद में, परम्बिकुलम के निवासियों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया, जिसमें अदालत ने सरकार को अगले 5 दिनों में दूसरी उपयुक्त जगह खोजने का आदेश दिया. ऐसी जगह ढूंढ़ना आसान नहीं है क्योंकि राज्य में जंगल मानव बस्तियों या कृषि भूमि से घिरे हैं.'

उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को लागू करने की कोशिश की, तो उसे विरोध का सामना करना पड़ेगा और इसलिए वह शीर्ष अदालत के अनुसार कार्रवाई करेगी.

उच्च न्यायालय ने अरीकोम्बन को डार्ट करने, रेडियो कॉलर लगाने और परम्बिकुलम टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था. लेकिन वहां के स्थानीय लोगों को इस पर आपत्ति है क्योंकि उन्हें लगता है कि यह इंसानों की बस्ती में आ जाएगा और जान-माल को खतरे में डाल देगा.

पढ़ें- तीन साल में हाथियों के हमले में हुई 1581 लोगों की मौत, राज्यसभा में सरकार ने दी जानकारी

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