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विधेयकों पर निष्क्रियता का आरोप, केरल सरकार ने राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया - तमिलनाडु के राज्यपाल

तमिलनाडु, पंजाब के बाद अब केरल की राज्य सरकार ने अपने राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. केरल सरकार ने राज्यपाल पर विधानसभा से पारित विधेयकों पर हस्ताक्षर करने को लेकर अनावश्यक देरी करने का आरोप लगाया है. पढ़ें पूरी खबर... Kerala govt moves SC, Kerala govt against Governor Arif Mohammed Khan, Arif Mohammed Khan, inaction on Bills

Kerala govt moves SC
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान. (फाइल फोटो/एएनआई)
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By ANI

Published : Nov 2, 2023, 12:26 PM IST

तिरुवनंतपुरम : केरल सरकार ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की है. सरकार की ओर से आरोप लगाया गया है कि राज्य विधानमंडल की ओर से पारित और राज्यपाल को प्रस्तुत किए गए आठ विधेयकों पर वह आगे की कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. राज्य सरकार ने राज्यपाल के ऊपर कथित तौर पर निष्क्रियता दिखाने का आरोप लगाया है. बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्य विधानसभा से पारित विधेयक को राज्यपाल की सहमति के लिए भेजा जाता है.

केरल सरकार की ओर से उठाये गये इस कदम के बाद केरल भी उन राज्यों की कतार में शामिल हो गया है जिन्होंने अपने राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली. तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि और पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के बाद, आरिफ मोहम्मद खान बिलों को मंजूरी देने में देरी का आरोप झेलने वाले राज्यपालों की सूची में शामिल हो गये हैं.

केरल सरकार की याचिका के अनुसार, तीन विधेयक दो साल से अधिक समय से राज्यपाल के समक्ष लंबित हैं. याचिका में कहा गया है कि राज्यपाल का आचरण राज्य के लोगों के कल्याण को बाधित करने के साथ-साथ कानून के शासन और लोकतांत्रिक सुशासन सहित हमारे संविधान के मूल सिद्धांतों और बुनियादी नींव को नष्ट करने वाला है. याचिका में कहा गया है कि सरकार विधेयकों के माध्यम से आम नागरिकों की सुविधा के लिए उपायों को लागू करना चाहती है.

राज्य सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, लंबित विधेयकों में विश्वविद्यालय कानून संशोधन विधेयक (पहला संशोधन) 2021 विधेयक संख्या 50, विश्वविद्यालय कानून संशोधन विधेयक (पहला संशोधन) 2021 विधेयक संख्या 54, विश्वविद्यालय कानून संशोधन विधेयक (दूसरा संशोधन) 2021, केरल सहकारी सोसायटी संशोधन विधेयक 2022, विश्वविद्यालय कानून संशोधन विधेयक 2022, केरल लोकायुक्त संशोधन विधेयक 2022, विश्वविद्यालय कानून संशोधन विधेयक 2022, सार्वजनिक स्वास्थ्य विधेयक 2021 शामिल है.

इससे पहले, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने बताया कि संविधान के अनुसार, विधानसभा की ओर से पारित किए जाने के बाद राज्यपाल उन्हें भेजे गए विधेयकों में अनावश्यक रूप से देरी नहीं कर सकते. इसके बाद, राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने चिंता जताई कि सीएम विजयन नियमित रूप से सरकारी गतिविधियों पर अपडेट नहीं देते हैं, जो उनका कहना है कि यह मुख्यमंत्री का संवैधानिक कर्तव्य है.

इसी तरह के एक कदम में, तमिलनाडु सरकार ने पहले राज्यपाल आरएन रवि पर विधान सभा को अपने कर्तव्यों को पूरा करने में बाधा डालने का आरोप लगाते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है. राज्य सरकार ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि राज्यपाल ने न केवल कई विधेयक लंबित रखे हैं बल्कि भ्रष्टाचार के कई मामलों में जांच और अभियोजन की मंजूरी भी नहीं दी है.

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इसके अलावा, पंजाब सरकार ने विधेयकों की मंजूरी रोकने के लिए राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. हालांकि, इसके बाद, राज्यपाल पुरोहित ने मंगलवार को पंजाब माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2023 और भारतीय स्टाम्प (पंजाब संशोधन) विधेयक, 2023 सहित दो विधेयकों पर अपनी सहमति दे दी.

तिरुवनंतपुरम : केरल सरकार ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की है. सरकार की ओर से आरोप लगाया गया है कि राज्य विधानमंडल की ओर से पारित और राज्यपाल को प्रस्तुत किए गए आठ विधेयकों पर वह आगे की कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. राज्य सरकार ने राज्यपाल के ऊपर कथित तौर पर निष्क्रियता दिखाने का आरोप लगाया है. बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्य विधानसभा से पारित विधेयक को राज्यपाल की सहमति के लिए भेजा जाता है.

केरल सरकार की ओर से उठाये गये इस कदम के बाद केरल भी उन राज्यों की कतार में शामिल हो गया है जिन्होंने अपने राज्यपाल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली. तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि और पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के बाद, आरिफ मोहम्मद खान बिलों को मंजूरी देने में देरी का आरोप झेलने वाले राज्यपालों की सूची में शामिल हो गये हैं.

केरल सरकार की याचिका के अनुसार, तीन विधेयक दो साल से अधिक समय से राज्यपाल के समक्ष लंबित हैं. याचिका में कहा गया है कि राज्यपाल का आचरण राज्य के लोगों के कल्याण को बाधित करने के साथ-साथ कानून के शासन और लोकतांत्रिक सुशासन सहित हमारे संविधान के मूल सिद्धांतों और बुनियादी नींव को नष्ट करने वाला है. याचिका में कहा गया है कि सरकार विधेयकों के माध्यम से आम नागरिकों की सुविधा के लिए उपायों को लागू करना चाहती है.

राज्य सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, लंबित विधेयकों में विश्वविद्यालय कानून संशोधन विधेयक (पहला संशोधन) 2021 विधेयक संख्या 50, विश्वविद्यालय कानून संशोधन विधेयक (पहला संशोधन) 2021 विधेयक संख्या 54, विश्वविद्यालय कानून संशोधन विधेयक (दूसरा संशोधन) 2021, केरल सहकारी सोसायटी संशोधन विधेयक 2022, विश्वविद्यालय कानून संशोधन विधेयक 2022, केरल लोकायुक्त संशोधन विधेयक 2022, विश्वविद्यालय कानून संशोधन विधेयक 2022, सार्वजनिक स्वास्थ्य विधेयक 2021 शामिल है.

इससे पहले, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने बताया कि संविधान के अनुसार, विधानसभा की ओर से पारित किए जाने के बाद राज्यपाल उन्हें भेजे गए विधेयकों में अनावश्यक रूप से देरी नहीं कर सकते. इसके बाद, राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने चिंता जताई कि सीएम विजयन नियमित रूप से सरकारी गतिविधियों पर अपडेट नहीं देते हैं, जो उनका कहना है कि यह मुख्यमंत्री का संवैधानिक कर्तव्य है.

इसी तरह के एक कदम में, तमिलनाडु सरकार ने पहले राज्यपाल आरएन रवि पर विधान सभा को अपने कर्तव्यों को पूरा करने में बाधा डालने का आरोप लगाते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है. राज्य सरकार ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि राज्यपाल ने न केवल कई विधेयक लंबित रखे हैं बल्कि भ्रष्टाचार के कई मामलों में जांच और अभियोजन की मंजूरी भी नहीं दी है.

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इसके अलावा, पंजाब सरकार ने विधेयकों की मंजूरी रोकने के लिए राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. हालांकि, इसके बाद, राज्यपाल पुरोहित ने मंगलवार को पंजाब माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2023 और भारतीय स्टाम्प (पंजाब संशोधन) विधेयक, 2023 सहित दो विधेयकों पर अपनी सहमति दे दी.

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