नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बीते कुछ दिनों से प्रधानमंत्री को लेकर काफी तल्ख तेवर अपनाए हुए हैं. दिल्ली आबकारी घोटाले में अपने सबसे खास सहयोगी मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद से केंद्र सरकार पर वह हमलावर थे, लेकिन बीते कुछ दिनों से वह सीधे प्रधानमंत्री पर निशाना साध रहे हैं. ऐसे में सियासी गलियारे में इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि क्या इस साल देश के अलग-अलग राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और अगले साल लोकसभा चुनाव को लेकर केजरीवाल इससे अपना राजनीतिक कद तो नहीं बढ़ाना चाहते हैं?
पिछले दिनों में दिल्ली विधानसभा के बजट सत्र में भी केजरीवाल ने प्रधानमंत्री की शिक्षा पर हमला किया. सदन में अपने भाषण में कई बार उन्होंने अनपढ़ प्रधानमंत्री का जिक्र किया. उसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस और सोशल मीडिया पर भी वह प्रधानमंत्री के खिलाफ ऐसी टिप्पणी करते रहे हैं. ऐसे में शुक्रवार को जब गुजरात हाईकोर्ट द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक योग्यता से संबंधित डिग्री सार्वजनिक करने की मांग पर अरविंद केजरीवाल पर जुर्माना लगाया गया तो केजरीवाल और हमलावर हो गए. शनिवार को भी अपने निवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन्होंने प्रधानमंत्री को खूब खरी-खोटी सुनाई और उस पुराने बातों का भी जिक्र किया जिसे कभी प्रधानमंत्री ने कहा था कि नाले की गैस से चाय बन सकती है. इसका जिक्र कर केजरीवाल ने कहा कि कोई पढ़ा-लिखा शख्स ऐसी बात कर ही नहीं सकता है.
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री पर हमला बोला हो. लेकिन जिस पैटर्न पर आज वह प्रधानमंत्री के खिलाफ बोल रहे हैं, उसी पैटर्न पर पहले भी बोलते रहे हैं. पिछले साल देश के अलग-अलग राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल कई चुनावी सभाओं में गए. उन्होंने कुल 38 जनसभाओं को संबोधित किया. लेकिन इन सभाओं में वे प्रधानमंत्री पर तो आरोप लगाए, उनके खिलाफ बोला लेकिन अपने भाषण में मोदी शब्द का इस्तेमाल नहीं किया था. केजरीवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम सीधे तौर पर लेने से बचते हुए दिखाई दिए थे.
कई जगहों पर मोदी शब्द से परहेजः अरविंद केजरीवाल ने वर्ष 2020 और 2021 में विवादित कृषि कानून के खिलाफ जंतर-मंतर पर दिल्ली विधानसभा के अलावा सिंधु बॉर्डर पर भाषण दिया था. लेकिन वहां पर प्रधानमंत्री मोदी शब्द का इस्तेमाल नहीं किया. अरविंद केजरीवाल की पार्टी कृषि कानूनों का संसद से सड़क तक विरोध कर रही थी. वर्ष 2021 में जब कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से दिल्ली के लोग जूझ रहे थे, तब भी अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री और नरेंद्र मोदी शब्द का इस्तेमाल करने से परहेज किया. उन्होंने पर्याप्त ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं करने के लिए केंद्र सरकार को तो जिम्मेदार ठहराया. इसी पैटर्न पर वर्ष 2022 में भी अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय बीजेपी की आलोचना में किए गए अपने किसी भी ट्वीट में मोदी शब्द का इस्तेमाल नहीं किया था. यहां तक की प्रधानमंत्री को जन्मदिन पर बधाई देने के लिए भी अरविंद केजरीवाल ने उन्हें आदरणीय प्रधानमंत्री को जन्मदिन की बधाई आपकी लंबी सेहतमंद उम्र के लिए प्रार्थना करता हूं, इस तरह के ट्वीट कर उन्हें शुभकामनाएं दीं.
लोगों के मन में उठ रहे कई सवालः शनिवार को अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अक्सर प्रधानमंत्री के कुछ ऐसे बयान आते रहते हैं, जो देश को विचलित कर देते हैं. यह कहना कि बारिश में रडार से बच जाना, ग्लोबल वार्मिंग नाम की कोई चीज नहीं होती और कनाडा में ए प्लस बी इन टू ब्रैकेट स्क्वायर जैसे उनके बयानों ने देश को विचलित किया है. ऐसे में गुजरात हाईकोर्ट का ऑर्डर आया है कि प्रधानमंत्री की डिग्री की जानकारी नहीं ले सकते. जबकि आजाद भारत में जानकारी लेना हर नागरिक का अधिकार है. अब देश की जनता के मन में यह सवाल है कि प्रधानमंत्री अहंकारी हैं और वह अपनी डिग्री नहीं दे रहे हैं या फिर उनकी डिग्री फर्जी है.
2019 के बाद से केजरीवाल मोदी नहीं लिखते हैंः वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक सीपी सिंह कहते हैं कि पुराने अरविंद केजरीवाल चुनाव अभियानों में मोदी को जमकर निशाने पर लेते थे. उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान केजरीवाल ने अपने ट्वीट में मोदी का नाम 27 बार लिखा, लेकिन इनमें से 26 बार 23 मई के पहले यानी 2019 के आम चुनाव के नतीजे आने के पहले लिखा था. उसके बाद नतीजे आने के बाद सिर्फ एक बार 23 मई को बीजेपी की जीत की बधाई देने के लिए अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्वीट में मोदी का नाम लिया था. 23 मई 2019 के बाद अरविंद केजरीवाल ने अपने ट्वीट में मोदी का नाम लिखना बंद कर दिया. उसके बाद से वे प्रधानमंत्री को लेकर हमलावर हो गए हैं और अपने भाषण हो या ट्वीट उसमें प्रधानमंत्री का जिक्र करते हैं. उन्होंने कहा कि लगता है केजरीवाल का यह कदम सूझबूझ भरा है हालांकि कई लोग इससे सहमत नहीं होंगे.
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