श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस (national conference) चीफ फारूक अब्दुल्ला ने हर घर तिरंगा पर बड़ा बयान दिया है. उनके इस बयान की सोशल मीडिया पर जमकर चर्चा भी हो रही है. बुधवार को उनका एक वीडियो सामने आया, जिसमें एक पत्रकार उनसे केंद्र सरकार के 'हर घर तिरंगा' अभियान के बारे में सवाल पूछता है. पत्रकार के सवाल पर फारूक अब्दुल्ला कश्मीरी भाषा में जवाब देते हैं, 'वो अपने घर में रखना'. बता दें कि जम्मू-कश्मीर के ग्रामीण विभाग ने एक ऑर्डर जारी कर 'हर घर तिरंगा' अभियान को सफल बनाने की अपील की है.
नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख के जवाब का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. दरअसल, फारूक अब्दुल्ला श्रीनगर के बाजार में एक दुकान पर पहुंचे थे. यहां से निकलते वक्त उन्हें पत्रकारों ने घेर लिया. पहले उनसे यूपीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के बारे में सवाल पूछे गए. इसके जवाब में फारूक ने कहा कि यशवंत सिन्हा 9 जुलाई को कश्मीर आ रहे हैं. उनके आने के बाद प्रेस कांफ्रेंस की जाएगी.
महबूबा मुफ्ती भी दे चुकी हैं तिरंगे पर बयान
कश्मीर में आर्टिकल 370 और 35 ए में बदलाव से पहले पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी तिरंगे को लेकर एक बार आपत्तिजनक बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि इतनी मुसीबतों के बाद भी हमारे यहां लोग भारत का झंडा हाथ में पकड़ते हैं, लेकिन अगर कश्मीर से आर्टिकल 35 ए हटाया जाता है तो यहां तिरंगे को कोई कंधा देने वाला नहीं बचेगा.
क्या है केंद्र का 'हर घर तिरंगा' अभियान?
बता दें कि केंद्र सरकार ने आजादी के अमृत महोत्सव के तहत 15 अगस्त के दिन 'हर घर तिरंगा' अभियान शुरू करने का फैसला किया है. इसके तहत लोगों को अपने घरों में तिरंगा फहराने के लिए प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया गया है. दरअसल, आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में केंद्र सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है. केंद्र सरकार के 'हर घर तिरंगा' अभियान के तहत लोगों से घरों और संस्थानों में झंडा वंदन करने की अपील की गई है. लोगों से कहा गया है कि वे पूरे परिवार के साथ राष्ट्रीय पर्व मनाएं.
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राष्ट्रपति की उम्मीदवारी से किया था इनकार
बता दें कि पहले यूपीए की बैठक में फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) को यूपीए का राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने का फैसला किया गया था, लेकिन उन्होंने चुनाव न लड़ने की इच्छा जाहिर की. जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम ने कहा कि इस पर काफी विचार करने के बाद मेरा मानना है कि जम्मू-कश्मीर इस समय कठिन हालात से गुजर रहा है, जिससे निपटने के लिए मेरी मदद की जरूरत है. इसलिए मैं अपना नाम आदर के साथ वापस लेता हूं. मैं ममता दीदी का आभारी हूं कि उन्होंने मेरे नाम का प्रस्ताव रखा है साथ ही उन नेताओं का आभारी हूं, जिन्होंने मुझे समर्थन देने का वादा किया.