रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड): भैया दूज पर्व पर केदारनाथ धाम के कपाट शुभ मुहूर्त में विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं. इसके बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली को विधि-विधान से मंदिर परिसर से रवाना हुई और बाबा केदार की शीतकालीन पूजा गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान होगी. वहीं बाबा केदार के कपाट बंद होने के समय हर-हर महादेव के जयकारों से केदारघाटी गूंज उठी. केदारनाथ क्षेत्र बर्फ की चादर ओढ़े हुई है. धाम में आधा फीट तक बर्फ मौजूद है, लेकिन कपाट बंद के समय मौसम साफ रहा.
गौर हो कि चारधाम यात्रा अपने समापन की ओर बढ़ चली है. इसकी शुरुआत मंगलवार को गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के साथ हो चुकी है. भारतीय सेना के बैंड के भक्तिमय स्वर लहरियों के बीच केदारनाथ धाम के कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हुई. भगवान आशुतोष के 11वें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ मंदिर के कपाट आज सुबह 8 बजे छह माह के लिए श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए हैं. भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली को विधि-विधान से मंदिर परिसर से रवाना हुई.
जिसके बाद श्रद्धालु बाबा केदार की शीतकाल में पूजा-अर्चना ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में कर सकेंगे. कपाट बंद होने के बाद बाबा केदार छह माह के लिए समाधि में लीन हो गए हैं. मंदिर में नित्य नियम पूजा-अर्चना तथा दर्शन हुए तत्पश्चात कपाट बंद होने की प्रक्रिया के तहत स्वयंभू शिवलिंग से श्रृंगार अलग कर केदारनाथ रावल भीमाशंकर लिंग की उपस्थिति में पुजारी शिवलिंग ने स्थानीय शुष्क पुष्पों, ब्रह्म कमल, कुमजा,राख से समाधि रूप दिया गया. इस दौरान बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय पूरे समय मौजूद रहे. वहीं असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा की धर्मपत्नी कपाट बंद होने के अवसर पर धाम में मौजूद रही.
साथ ही जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन के अधिकारी, मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह, तीर्थपुरोहित समाज के पदाधिकारी मौजूद रहे.कपाट बंद होने के अवसर पर मंदिर को विशेष रूप से फूलों से सजाया गया था और ढाई हजार से अधिक तीर्थयात्री कपाट बंद होने के गवाह बने. इस दौरान सेना के भक्तिमय धुनों के साथ जय श्री केदार तथा ऊं नमः शिवाय के उद्घोष से केदारघाटी गूंज उठी.ठीक साढ़े छ: बजे मंदिर गर्भगृह में समाधि पूजा समापन की गयी तत्पश्चात मंदिर के अंदर सभामंडप में स्थित छोटे मंदिरों को भी बंद किया गया. इसके बाद ठीक साढ़े आठ बजे केदारनाथ मंदिर के दक्षिण द्वार को बंद कर दिया गया तथा उसके तुरंत बाद पूरब द्वार को भी बंद किया गया. इस अवसर पर भारतीय सेना,आईटीबीपी तथा दानदाताओं ने तीर्थयात्रियों के लिए भंडारे का आयोजित किया.
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19 लाख से ज्यादा तीर्थयात्रियों ने दर्शन किए: वहीं बाबा केदार की भोग मूर्ति अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ आएगी. जहां श्रद्धालु छह माह तक बाबा केदार का दर्शन और पूजन कर आशीर्वाद ले सकते हैं. बीकेटीसी मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह ने बताया कि केदारनाथ धाम में कपाट खुलने की तिथि से मंगलवार 14 नवंबर रात्रि तक 1957850 (उन्नीस लाख सत्तावन हजार आठ सौ पचास ) तीर्थयात्रियों ने दर्शन किए. शीतकाल के दौरान चारों धामों में भारी बर्फबारी होती है. इसलिए चारों धाम छह महीने शीतकाल में बंद रहते हैं. हालांकि, कपाट की बंद करने को लेकर विधि-विधान और मान्यताएं भी हैं. मान्यता है कि बदरी केदार में छह महीने इंसान और छह महीने देवता पूजा करते हैं, इसलिए छह माह कपाट बंद रहते हैं. बताते चलें कि, 18 नवंबर को बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होंगे. बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही इस साल के लिए चारधाम यात्रा का समापन हो जाएगा.