हैदराबाद: तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) का नाम बदलकर 'भारत राष्ट्र समिति' (बीआरएस) कर दिया गया है. बुधवार को दशहरा के अवसर पर हैदराबाद में आयोजित पार्टी की आम सभा में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR) ने यह घोषणा की. इसे केसीआर के राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है. बताया गया है कि पार्टी मुख्यालय में आयोजित बैठक के दौरान इस बाबत एक प्रस्ताव पारित किया गया है. पार्टी अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव ने प्रस्ताव पढ़ा और घोषणा की कि पार्टी की आम सभा की बैठक में सर्वसम्मति से टीआरएस का नाम बदलकर बीआरएस करने का संकल्प लिया गया.
इस घोषणा के बाद पार्टी मुख्यालय के बाहर जुटे कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाया. पार्टी का नाम बदलने की घोषणा से उत्साहित कार्यकर्ताओं ने अपनी पार्टी के नेता केसीआर को 'राष्ट्रीय नेता' करार दिया. कार्यकर्ताओं ने पटाखे फोड़े और मिठाइयां बांटकर जश्न मनाया तथा 'टीआरएस और केसीआर जिंदाबाद' के नारे लगाए. कार्यकर्ताओं ने 'देश के नेता केसीआर' के नारे लगाए और पोस्टर पर भी इसी तरह के नारे लिखे नजर आए. बैठक स्थल के अलावा शहर के तमाम हिस्सों में केसीआर को राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखने के लिए बधाई देने वाले पोस्टर लगाए गए हैं.
भाजपा, कांग्रेस ने राव की आलोचना की, औवेसी ने किया स्वागत
भाजपा और कांग्रेस की राज्य इकाइयों ने तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) का नाम बदलने को लेकर मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की आलोचना करते हुए कहा कि यह राजनीतिक लोभ का परिणाम है, जबकि एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस कदम का स्वागत किया. एआईएमआईएम के प्रमुख ओवैसी ने ट्वीट करके राव को बधाई दी और कहा, मैं नई शुरुआत करने पर पार्टी को शुभकामनाएं देता हूं.
तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के अध्यक्ष रेवंत रेड्डी ने आरोप लगाया कि राव ने तेलंगाना के अस्तित्व की हत्या कर दी और तेलंगाना राष्ट्र समिति का नाम बदलकर भारत राष्ट्र समिति रखने का काम पारिवारिक विवाद सुलझाने और राजनीतिक लालच को पूरा करने के लिए किया गया. रेड्डी ने दावा किया कि केसीआर के नाम से जाने जाने वाले राव तेलंगाना में चुनाव लड़ने के योग्य नहीं हैं.
इस बीच, भाजपा की तेलंगाना इकाई के मुख्य प्रवक्ता के कृष्णा सागर राव ने राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश की मुख्यमंत्री राव की योजना को 'दुस्साहस' करार दिया. उन्होंने कहा कि राव जब अपनी सरकार को चलाने के लिए वित्तीय आधार पर संघर्ष कर रहे हैं तो ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार के प्रयास का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा, ऐसा पहली बार नहीं है, जबकि किसी क्षेत्रीय दल ने राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाएं रखी हों. वर्ष 1947 के बाद से कई क्षेत्रीय दलों ने कोशिश की और वे असफल रहे. उन्होंने कहा कि भाजपा का मानना है कि कोई 'तेलंगाना मॉडल' नहीं है और यह केवल मुख्यमंत्री की 'कल्पना' है. भाजपा नेता ने दावा किया कि राव का यह कदम उनके लिए नुकसानदेह साबित होगा.
क्या इस राजनीतिक चाल का केसीआर को फायदा मिलेगा?
राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखने के प्रयासों के तहत मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के अपनी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) का नाम बदलने के दांव पर राजनीतिक पंडितों की निगाहें टिक गई हैं. कई राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह कदम राव के लिए राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में अपना कद बढ़ाने में सहायक होगा जबकि अन्य का कहना है कि यह दांव उलटा भी पड़ सकता है. कई विश्लेषक इस विचार को राष्ट्रीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर राज्य में पार्टी के आधार को मजबूत करने की कवायद के तौर पर देख रहे हैं, जहां भाजपा 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक रूप से खासी सक्रिय दिख रही है.
हालांकि, एक बड़ा सवाल यह है कि क्या 2001 में एक अलग तेलंगाना राज्य बनाने के एकल-बिंदु एजेंडे के साथ गठित टीआरएस राष्ट्रीय राजनीति में मजबूत उपस्थिति दर्ज करा पाएगी और क्या केसीआर के नेतृत्व को अन्य राज्यों में स्वीकार किया जाएगा, खासकर उत्तर भारत में? एक राजनीतिक पर्यवेक्षक ने कहा कि केसीआर ऐसे राजनेता नहीं हैं जो बिना किसी ठोस वजह के काम करते हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश करने की उनकी योजना केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के खिलाफ उभरे शून्य को भरने की उनकी महत्वाकांक्षा से उपजी है.
इसके अलावा, तेलंगाना के 68 वर्षीय नेता का मानना है कि कई कल्याणकारी योजनाओं के साथ ही महिलाओं, किसानों और हाशिए के समूहों का समर्थन हासिल करके उनकी पार्टी को सफलता मिल सकती है. कुछ प्रमुख योजनाओं में 'रायथु बंधु', 'दलित बंधु', 'केसीआर किट' और 'आसरा' पेंशन शामिल हैं. 'रायथु बंधु' के तहत हर किसान की प्रारंभिक निवेश जरूरतों का ख्याल रख जाता है जबकि 'दलित बंधु' के जरिये प्रत्येक अनुसूचित जाति परिवार को एक उपयुक्त आय-सृजन व्यवसाय स्थापित करने के लिए 10 लाख रुपये की एकमुश्त पूंजी सहायता प्रदान की जाती है. इसी तरह, 'केसीआर किट' के तहत गर्भवती महिलाओं को अपनी और नवजात शिशु की देखभाल के लिए 12,000 रुपये की सहायता राशि दी जाती है जबकि सभी गरीबों को 'आसरा' पेंशन दी जा रही है.
टीआरएस का नाम बदलने और इसे 'राष्ट्रीय' दल के रूप में बदलने के पीछे केसीआर की योजना 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी खेमे की राजनीति में मजबूत स्तंभ के रूप खुद को पेश करना है. तेलंगाना जन समिति के संस्थापक और राजनीतिक विश्लेषक एम. कोडंदरम का मानना है, यह पहली बार है, जब टीआरएस जैसी राज्य-मान्यता प्राप्त पार्टी खुद को बीआरएस के रूप में बदल रही है. यह एक दुस्साहस होने जा रहा है. उन्होंने कहा कि संयुक्त आंध्र प्रदेश में मजबूत उपस्थिति वाली तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) एक पंजीकृत राष्ट्रीय दल है, लेकिन तेदेपा की राष्ट्रीय स्तर पर कोई प्रगति नहीं हुई है. कोडंदरम ने कहा कि इसी तरह का मामला ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के साथ है लेकिन तेदेपा और एआईएमआईएम दोनों ने ही अपनी पार्टियों का नाम नहीं बदला.
एक अन्य विश्लेषक ने कहा कि भाजपा राज्य में अपनी राजनीतिक गतिविधियां तेज कर रही है, जिसके चलते केसीआर लोगों का ध्यान राष्ट्रीय मुद्दों पर आकर्षित करना चाहते हैं. प्रसिद्ध कौटिल्य इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी (केआईपीपी) के एक विश्लेषक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यह एक ‘जुआ’ है कि राव सीधे राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में उतर रहे हैं.
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