नई दिल्ली : कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने रविवार को 'वन नेशन, वन पोल' की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने के केंद्र के कदम को गलत बताया. उन्होंने इसे भाजपा का एक और जुमला (खोखला वादा) करार दिया. रविवार को एएनआई से बात करते हुए, कांग्रेस नेता ने कहा कि यह हमारे संसदीय लोकतंत्र को नष्ट करने का एक स्पष्ट प्रयास है. यह अदानी मुद्दे से जनता का ध्यान हटाने की एक चाल भी है. उन्होंने कहा कि इरादा बहुत स्पष्ट है. यह एक और जुमला के अलावा और कुछ नहीं है.
पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली आठ सदस्यीय समिति की संरचना पर, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि राज्यसभा में विपक्ष के वर्तमान नेता (कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे) को इसमें शामिल नहीं किया गया है. लेकिन समिति में एक पूर्व नेता प्रतिपक्ष को पैनल में नामित किया गया है. केंद्र ने देश में एक साथ चुनाव कराने की जांच करने और सिफारिशें करने के लिए शनिवार को आठ सदस्यीय समिति का गठन किया.
समिति के सदस्यों में पूर्व राष्ट्रपति कोविंद के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शामिल हैं. लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता, गुलाम नबी आजाद; पूर्व वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी इस समिति में शामिल किये गये हैं. केंद्र द्वारा अधिसूचित पैनल में खड़गे की जगह पूर्व कांग्रेसी आजाद को शामिल करने के फैसले पर कांग्रेस नेता नाराज हैं.
वेणुगोपाल ने कहा कि हमारा एकमात्र सवाल है - क्या मौजूदा नेता प्रतिपक्ष (राज्यसभा) समिति का सदस्य बनने के लिए पर्याप्त योग्य नहीं हैं? हम जानना चाहेंगे कि खड़गे जी को समिति में क्यों शामिल नहीं किया गया है. वेणुगोपाल ने यह सवाल भी किया कि क्या खरगे को समिति से इसलिए बाहर रखा गया क्योंकि वह भाजपा एवं आरएसएस के लिए सुविधाजनक नही हैं?
केंद्र द्वारा पूर्व राष्ट्रपति कोविंद को एक साथ विधानसभा और लोकसभा चुनाव कराने के लिए सिफारिशें देने का काम सौंपने पर उन्होंने कहा कि यह भाजपा की ध्यान भटकाने वाली रणनीति है. जब भी भारत ब्लॉक की कोई बैठक होती है, वे कुछ न कुछ लेकर आते हैं. उन्होंने कहा कि हम भाजपा की घबराहट को समझ सकते हैं.
केंद्र द्वारा उच्चाधिकार प्राप्त पैनल की अधिसूचना 18 से 22 सितंबर तक संसद के विशेष सत्र की घोषणा के कुछ ही दिनों बाद आई, उसी दिन इंडिया ब्लॉक का दो दिवसीय मुंबई सम्मेलन चल रहा था. हालांकि, सरकार विशेष सत्र के दौरान उठाए जाने वाले मुद्दों पर चुप्पी साधे रही.
(एएनआई)