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वाराणसी में होगा काशी तेलुगु संगमम का आयोजन, पीएम मोदी करेंगे तेलुगु भाषी जनता को संबोधित

धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में 29 अप्रैल को 12 दिन तक चलने वाले काशी तेलुगू संगमम का आयोजन किया जा रहा है. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि भाजपा वोट बैंक साधने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन कर रही है. वहीं, भाजपा नेताओं का कहना है कि काशी और दक्षिण भारत के रिश्तों को मजबूत करने के लिए यह सब किया जा रहा है.

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Published : Apr 28, 2023, 7:08 PM IST

तेलुगू भाषियों को संबोधित करेंगे पीएम मोदी

वाराणसीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस को दक्षिण भारत के साथ जोड़कर उत्तर और दक्षिण के रिश्तों को मजबूत करने का भाजपा का मास्टर प्लान धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है. पहले काशी तमिल संगमम के आयोजन से तमिल भाषी लोगों को काशी के जरिए अट्रैक्ट करने की कोशिश की गई है. वहीं, अब 12 दिन तक चलने वाले काशी तेलुगू संगमम की तैयारी भी शुरू हो गई है. जिसका आयोजन 29 अप्रैल की शाम 6:00 बजे वाराणसी के मानसरोवर घाट पर होगा.

इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी मौजूदगी वर्चुअल तरीके से होगी. तरह-तरह के आयोजनों के साथ इस संगमम को करने का मकसद सिर्फ और सिर्फ चुनावी साल में राजनीतिक फायदा लेना माना जा सकता है. वहीं, भाजपा नेता इससे इंकार कर रहे हैं. उनका कहना है कि राजनीति नहीं, बल्कि धर्म, आस्था और विश्वास को मजबूत करने के लिए का आयोजन काशी से दक्षिण के रिश्ते को और भी ज्यादा मजबूत करने का एक प्रयास है.

इस पूरे आयोजन को लेकर भाजपा के राज्यसभा सदस्य जीवीएल नरसिम्हा राव ने बताया कि 29 अप्रैल को गंगा पुष्कर मेले में आए तीर्थयात्रियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे. शाम 6:00 बजे से रात 9:00 बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा, जिसे काशी तेलुगू संगमम नाम दिया गया है. उन्होंने बताया कि एक भारत श्रेष्ठ भारत की कल्पना के साथ इस आयोजन को करने का मकसद सभी को एकजुट करना है, जिस तरह से काशी से दक्षिण भारत का रिश्ता बेहद पुराना है. इस संबंध को और भी मजबूत करने की दिशा में पहल शुरू की जा रही है.

12 साल में एक बार होने वाले इस आयोजन में हर साल तेलुगु भाषी लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें वह सुविधाएं और वह चीजें नहीं मिल पाती थी, जिसके वह हकदार थे. साफ-सुथरी गंगा नदी के साथ ही वृहद आयोजनों की रूपरेखा तैयार करने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इंटरेस्ट दिखाया था और इसी के फलस्वरूप सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के साथ ही धार्मिक अनुष्ठानों को भी किया जाएगा.

इसमें चारों वेदों का पारायण सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए दोनों राज्यों को जोड़ने का प्रयास और एक भारत श्रेष्ठ भारत की कल्पना को मजबूत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आशीर्वचन देने का काम भी विद्वानों के द्वारा किया जाएगा. इस आयोजन में चारों वेदों के विद्वान और आचार्य लघु पारायण करेंगे. इसके अतिरिक्त पीएम का संबोधन बड़ी सी स्क्रीन पर होगा.

पढ़ेंः काशी पुष्कर कुंभ मेले में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लोग अन्नदान के जरिए तपती धूप में भर रहे हजारों का पेट

तेलुगू भाषियों को संबोधित करेंगे पीएम मोदी

वाराणसीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस को दक्षिण भारत के साथ जोड़कर उत्तर और दक्षिण के रिश्तों को मजबूत करने का भाजपा का मास्टर प्लान धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है. पहले काशी तमिल संगमम के आयोजन से तमिल भाषी लोगों को काशी के जरिए अट्रैक्ट करने की कोशिश की गई है. वहीं, अब 12 दिन तक चलने वाले काशी तेलुगू संगमम की तैयारी भी शुरू हो गई है. जिसका आयोजन 29 अप्रैल की शाम 6:00 बजे वाराणसी के मानसरोवर घाट पर होगा.

इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी मौजूदगी वर्चुअल तरीके से होगी. तरह-तरह के आयोजनों के साथ इस संगमम को करने का मकसद सिर्फ और सिर्फ चुनावी साल में राजनीतिक फायदा लेना माना जा सकता है. वहीं, भाजपा नेता इससे इंकार कर रहे हैं. उनका कहना है कि राजनीति नहीं, बल्कि धर्म, आस्था और विश्वास को मजबूत करने के लिए का आयोजन काशी से दक्षिण के रिश्ते को और भी ज्यादा मजबूत करने का एक प्रयास है.

इस पूरे आयोजन को लेकर भाजपा के राज्यसभा सदस्य जीवीएल नरसिम्हा राव ने बताया कि 29 अप्रैल को गंगा पुष्कर मेले में आए तीर्थयात्रियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे. शाम 6:00 बजे से रात 9:00 बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा, जिसे काशी तेलुगू संगमम नाम दिया गया है. उन्होंने बताया कि एक भारत श्रेष्ठ भारत की कल्पना के साथ इस आयोजन को करने का मकसद सभी को एकजुट करना है, जिस तरह से काशी से दक्षिण भारत का रिश्ता बेहद पुराना है. इस संबंध को और भी मजबूत करने की दिशा में पहल शुरू की जा रही है.

12 साल में एक बार होने वाले इस आयोजन में हर साल तेलुगु भाषी लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें वह सुविधाएं और वह चीजें नहीं मिल पाती थी, जिसके वह हकदार थे. साफ-सुथरी गंगा नदी के साथ ही वृहद आयोजनों की रूपरेखा तैयार करने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इंटरेस्ट दिखाया था और इसी के फलस्वरूप सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के साथ ही धार्मिक अनुष्ठानों को भी किया जाएगा.

इसमें चारों वेदों का पारायण सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए दोनों राज्यों को जोड़ने का प्रयास और एक भारत श्रेष्ठ भारत की कल्पना को मजबूत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आशीर्वचन देने का काम भी विद्वानों के द्वारा किया जाएगा. इस आयोजन में चारों वेदों के विद्वान और आचार्य लघु पारायण करेंगे. इसके अतिरिक्त पीएम का संबोधन बड़ी सी स्क्रीन पर होगा.

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