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काशी के इस ज्योतिष ने बनाई विश्वनाथ धाम की कुंडली, जानें भविष्य - Inaugration of Shri Kashi Vishwanath Dham

ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने श्रीकाशी विश्वनाथ धाम की अद्भुत कुंडली तैयार की है. 13 दिसंबर को पीएम मोदी के हाथों लोकार्पण के दिन इस धाम को लेकर आकाश मंडल में दो ऐसे योग बन रहे हैं, जो अपने आप में बेहद खास हैं. खासियत जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

विश्वनाथ धाम की कुंडली
विश्वनाथ धाम की कुंडली
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Published : Dec 10, 2021, 7:34 AM IST

वाराणसी : सनातन धर्म में ग्रह नक्षत्र और ज्योतिष शास्त्र का विशेष महत्व माना जाता है. किसी भी शुभ काम से पहले एक व्यक्ति की कुंडली तैयार कर उसका पूरा अवलोकन करते हुए उसके भविष्य के परिदृश्य की जानकारी हासिल की जा सकती है. जब बात विश्व के सबसे बड़े आयोजन श्रीकाशी विश्वनाथ धाम की हो रही हो तो फिर इस धाम के अद्भुत कुंडली के बारे में भी जानना आवश्यक है. यही वजह है कि वाराणसी में काशी के ज्योतिषाचार्य और काशी विद्युत परिषद के पूर्व महामंत्री रह चुके ज्योतिषाचार्य ऋषि द्विवेदी (Jyotishacharya Rishi Dwivedi) ने श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण (Inaugration of Shri Kashi Vishwanath Dham) के मौके पर आठ मार्च 2019 को किए गए इस धाम के शिलान्यास की कुंडली तैयार की है.

शिलान्यास की कुंडली तैयार करने का मकसद सिर्फ इतना था कि इस धाम की नींव जिस दिन रखी गई, उस दिन से लेकर अब तक किस ग्रह योग के साथ यह पूर्णं हुआ और आगे किस तरह यह पूरे विश्व में एक अलग आभा के साथ लोगों के सामने प्रस्तुत होगा. इतना ही नहीं 13 दिसंबर को पीएम मोदी के हाथों लोकार्पण (inaugration of Vishwanath Dham by PM Modi) के दिन इस धाम को लेकर आकाश मंडल में दो ऐसे योग बन रहे हैं जो अपने आप में बेहद खास हैं.

विश्वनाथ धाम की कुंडली

इसलिए बनी शिलान्यास की कुंडली

ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि किसी भी स्थान या व्यक्ति की जन्म कुंडली उसके जन्म के साथ तैयार होती है. वहीं, विश्वनाथ धाम की रूपरेखा आठ मार्च 2019 को तैयार की गई. इसलिए जिस दिन पीएम मोदी ने विश्वनाथ धाम का शिलान्यास किया था, उसी दिन से विश्वनाथ धाम की पूरी कुंडली तैयार की गई है. पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि आठ मार्च 2019 को विश्वनाथ धाम का शिलान्यास हुआ था और उस दिन आकाश मंडल में उत्तराभाद्रपद नक्षत्र मीन राशि और स्थिर लग्न में वृषभ विद्यमान था. अपने आप में वृषभ लग्न में किसी भी आयोजन का होना सबसे महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि इस लग्न को स्थिर लग्न कहा जाता है और वृषभ लग्न में विश्वनाथ धाम का शिलान्यास किया जाना ही इस धाम की अलौकिक था और इसकी दिव्यता को और भी बढ़ा रहा है.

कुंडली में सारे ग्रह इस अद्भुत कार्य के समर्थन में

पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि जिस वक्त मार्च के महीने में इस धाम का शिलान्यास संपन्न हुआ था, उस समय आकाश मंडल में देव गुरु बृहस्पति का वृषभ लग्न को देखना और वृषभ लग्न के स्वामी शुक्र का शनि ग्रह के घर भाग्य स्थान पर बैठना, अपने आप में दुर्बल योग बना रहा था. इस वजह से यह दिन और भी महत्वपूर्ण हो गया. इसके अतिरिक्त दशम भाव में सूर्य का विराजमान होना यह दर्शा रहा है कि यह शिलान्यास कार्यक्रम काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को अपनी सर्वोच्चता पर ले जाने वाला है. यही वजह है कि विश्वनाथ धाम का काम बहुत ही कम समय में पूर्णं हो सका है, क्योंकि ग्रहों की चाल और शिलान्यास के वक्त की वर्तमान कुंडली के सारे ग्रह इस अद्भुत कार्य के समर्थन में ही दिख रहे हैं.

पढ़ें : आज की प्रेरणा

ग्रहों की चाल से चमकेगा विश्वनाथ धाम

पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि शिलान्यास की कुंडली में द्वादश भाव में बैठा मंगल षष्ठ भाव शुक्र के घर को देख रहा है, जो निश्चित तौर पर आने वाले समय में इस कॉरिडोर और विश्वनाथ धाम को और भी भव्यता तो प्रदान करेगा ही, साथ ही भविष्य में किसी भी तरह के आक्रमणकारी का प्रभाव इस मंदिर पर नहीं पड़ेगा. क्योंकि पहले भी विश्वनाथ मंदिर पर मुगलकालीन शासकों ने कई बार हमले किए जिसकी वजह से यह कई बार टूटा और बना लेकिन, अब जब विश्वनाथ धाम ग्रह मंडल में नक्षत्रों के साथ स्थापित हुआ है तो यह भव्यता के शिखर को छू लेगा. पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि दशम का सूर्य जन्म जन्मांतर तक इस भव्य धाम को ओजस व प्रभुत्व के साथ धरती पर सूर्य की तरह चमक प्रदान करता रहेगा और भविष्य में इस पर किसी भी तरह का कोई जोर किसी का नहीं चलेगा.

लोकार्पण के दिन मिल रहे दो अद्भुत योग

पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि एक तरफ जहां इस भव्य विश्वनाथ कॉरिडोर का शिलान्यास अद्भुत ग्रह नक्षत्र और आकाश मंडल में बने योग के साथ हुआ था. वहीं, इसका लोकार्पण जब 13 दिसंबर को होने जा रहा है, उस दिन भी आकाश मंडल में ग्रह नक्षत्र के अद्भुत योग बनने जा रहे हैं. एक तरफ जहां रवि योग वहीं दूसरी तरफ याई जय योग मौजूद रहेंगे. रवि योग अपने आप में भगवान सूर्य की मौजूदगी के साथ हर कार्य को पूर्ण करने वाला होता है और याई जय योग हर कार्य में विजय दिलाने के लिए अति महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन इन दोनों योग का आकाश मंडल में मिलना अपने आप में इस कॉरिडोर की महिमा को मंडित करने वाला होगा.

वाराणसी : सनातन धर्म में ग्रह नक्षत्र और ज्योतिष शास्त्र का विशेष महत्व माना जाता है. किसी भी शुभ काम से पहले एक व्यक्ति की कुंडली तैयार कर उसका पूरा अवलोकन करते हुए उसके भविष्य के परिदृश्य की जानकारी हासिल की जा सकती है. जब बात विश्व के सबसे बड़े आयोजन श्रीकाशी विश्वनाथ धाम की हो रही हो तो फिर इस धाम के अद्भुत कुंडली के बारे में भी जानना आवश्यक है. यही वजह है कि वाराणसी में काशी के ज्योतिषाचार्य और काशी विद्युत परिषद के पूर्व महामंत्री रह चुके ज्योतिषाचार्य ऋषि द्विवेदी (Jyotishacharya Rishi Dwivedi) ने श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण (Inaugration of Shri Kashi Vishwanath Dham) के मौके पर आठ मार्च 2019 को किए गए इस धाम के शिलान्यास की कुंडली तैयार की है.

शिलान्यास की कुंडली तैयार करने का मकसद सिर्फ इतना था कि इस धाम की नींव जिस दिन रखी गई, उस दिन से लेकर अब तक किस ग्रह योग के साथ यह पूर्णं हुआ और आगे किस तरह यह पूरे विश्व में एक अलग आभा के साथ लोगों के सामने प्रस्तुत होगा. इतना ही नहीं 13 दिसंबर को पीएम मोदी के हाथों लोकार्पण (inaugration of Vishwanath Dham by PM Modi) के दिन इस धाम को लेकर आकाश मंडल में दो ऐसे योग बन रहे हैं जो अपने आप में बेहद खास हैं.

विश्वनाथ धाम की कुंडली

इसलिए बनी शिलान्यास की कुंडली

ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि किसी भी स्थान या व्यक्ति की जन्म कुंडली उसके जन्म के साथ तैयार होती है. वहीं, विश्वनाथ धाम की रूपरेखा आठ मार्च 2019 को तैयार की गई. इसलिए जिस दिन पीएम मोदी ने विश्वनाथ धाम का शिलान्यास किया था, उसी दिन से विश्वनाथ धाम की पूरी कुंडली तैयार की गई है. पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि आठ मार्च 2019 को विश्वनाथ धाम का शिलान्यास हुआ था और उस दिन आकाश मंडल में उत्तराभाद्रपद नक्षत्र मीन राशि और स्थिर लग्न में वृषभ विद्यमान था. अपने आप में वृषभ लग्न में किसी भी आयोजन का होना सबसे महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि इस लग्न को स्थिर लग्न कहा जाता है और वृषभ लग्न में विश्वनाथ धाम का शिलान्यास किया जाना ही इस धाम की अलौकिक था और इसकी दिव्यता को और भी बढ़ा रहा है.

कुंडली में सारे ग्रह इस अद्भुत कार्य के समर्थन में

पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि जिस वक्त मार्च के महीने में इस धाम का शिलान्यास संपन्न हुआ था, उस समय आकाश मंडल में देव गुरु बृहस्पति का वृषभ लग्न को देखना और वृषभ लग्न के स्वामी शुक्र का शनि ग्रह के घर भाग्य स्थान पर बैठना, अपने आप में दुर्बल योग बना रहा था. इस वजह से यह दिन और भी महत्वपूर्ण हो गया. इसके अतिरिक्त दशम भाव में सूर्य का विराजमान होना यह दर्शा रहा है कि यह शिलान्यास कार्यक्रम काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को अपनी सर्वोच्चता पर ले जाने वाला है. यही वजह है कि विश्वनाथ धाम का काम बहुत ही कम समय में पूर्णं हो सका है, क्योंकि ग्रहों की चाल और शिलान्यास के वक्त की वर्तमान कुंडली के सारे ग्रह इस अद्भुत कार्य के समर्थन में ही दिख रहे हैं.

पढ़ें : आज की प्रेरणा

ग्रहों की चाल से चमकेगा विश्वनाथ धाम

पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि शिलान्यास की कुंडली में द्वादश भाव में बैठा मंगल षष्ठ भाव शुक्र के घर को देख रहा है, जो निश्चित तौर पर आने वाले समय में इस कॉरिडोर और विश्वनाथ धाम को और भी भव्यता तो प्रदान करेगा ही, साथ ही भविष्य में किसी भी तरह के आक्रमणकारी का प्रभाव इस मंदिर पर नहीं पड़ेगा. क्योंकि पहले भी विश्वनाथ मंदिर पर मुगलकालीन शासकों ने कई बार हमले किए जिसकी वजह से यह कई बार टूटा और बना लेकिन, अब जब विश्वनाथ धाम ग्रह मंडल में नक्षत्रों के साथ स्थापित हुआ है तो यह भव्यता के शिखर को छू लेगा. पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि दशम का सूर्य जन्म जन्मांतर तक इस भव्य धाम को ओजस व प्रभुत्व के साथ धरती पर सूर्य की तरह चमक प्रदान करता रहेगा और भविष्य में इस पर किसी भी तरह का कोई जोर किसी का नहीं चलेगा.

लोकार्पण के दिन मिल रहे दो अद्भुत योग

पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि एक तरफ जहां इस भव्य विश्वनाथ कॉरिडोर का शिलान्यास अद्भुत ग्रह नक्षत्र और आकाश मंडल में बने योग के साथ हुआ था. वहीं, इसका लोकार्पण जब 13 दिसंबर को होने जा रहा है, उस दिन भी आकाश मंडल में ग्रह नक्षत्र के अद्भुत योग बनने जा रहे हैं. एक तरफ जहां रवि योग वहीं दूसरी तरफ याई जय योग मौजूद रहेंगे. रवि योग अपने आप में भगवान सूर्य की मौजूदगी के साथ हर कार्य को पूर्ण करने वाला होता है और याई जय योग हर कार्य में विजय दिलाने के लिए अति महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन इन दोनों योग का आकाश मंडल में मिलना अपने आप में इस कॉरिडोर की महिमा को मंडित करने वाला होगा.

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