रायचूर : कर्नाटक के रायचूर जिले (Raichur district) के अंर्तगत देवदुर्ग के चिंचोडी गांव में जीजा द्वारा साली पर जबरन शादी करने के लिए दबाव डालने का मामला सामने आया है. मामले में साली ने जीजा के खिलाफ जलाहल्ली थाने में शिकायत दर्ज कराई है.
इस बारे में साली ने आरोप लगाया है कि जीजा ने उसे धमकी दी थी कि यदि उसने उससे शादी नहीं की तो वह उसे देवदासी बना देगा. महिला ने कहा कि जीजा शांतप्पा उससे शादी करने के लिए मजबूर करने के साथ ही मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित कर रहा है.
पीड़िता ने बताया कि शांतप्पा की पहले ही उसकी बड़ी बहन से शादी हो चुकी है और उनके दो बच्चे हैं. परेशान होकर महिला ने यादगिरि जिले के सुरापुर में रिश्तेदारों के घर में शरण ली थी. लोगों ने इस बात की जानकारी महिला एवं कल्याण विभाग के अधिकारियों को दी, जिसपर कार्रवाई करते हुए विभाग ने पीड़िता को अपने कब्जे में ले लिया. फिलहाल महिला को रायचूर के नारी निकेतन में रखा गया है. इस मामले में डीवाईएसपी एसएस हुल्लूर के नेतृत्व में एक टीम जांच कर रही है.
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क्या थी देवदासी प्रथा
जैसा की नाम से ही प्रतीत होता हे देवताओं की पत्नी (हिंदू धर्म में पत्नी स्वयं को पति की दासी मानती है) भारत में प्रचलित एक प्रथा थी जिसमें लड़कियों की शादी मंदिर में देवताओं/ईश्वर से की जाती थी ओर फिर यह लड़कियां/महिलाएं मंदिर में ही रहती थीं और परमेश्वर की सेवा करती थी.
वे मंदिर की साफ़-सफ़ाई , देख-रेख का काम करती थी ओर अन्य दर्शनार्थी की सहायता करती थीं. साथ ही यह देवदासियां मंदिर के आस-पास के छोटे बच्चों (लड़के-लड़कियों) को नृत्य-संगीत आदि की शिक्षा देने के अलावा धर्म , शास्त्र आदि की बातें सिखाती थी. परंतु कालांतर में कुछ भ्रष्ट बुद्धि के लोगों के द्वारा देवदासी को बुरी नजरों से देखा जाने लगा ओर उनके साथ योन उत्पीड़न किया जाने लगा.
कब से हुई देवदासी प्रथा की शुरुआत
देवदासी प्रथा की शुरुआत छठी और सातवीं शताब्दी के आसपास हुई थी. इस प्रथा का प्रचलन मुख्य रूप से कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र में बढ़ा.
कब से रोक लगाई गई
देवदासी प्रथा रोकने के लिए 1947 में विधेयक लाकर कानून बनाया गया. इसके साथ ही देवदासी बनाने पर रोक लगा दी गई.