बेंगलुरु: कर्नाटक की भाजपा सरकार के वरिष्ठ नेता और मंत्री के एस ईश्वरप्पा (KS Eshwarappa) ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है. वहीं ईश्वरप्पा का दावा है कि उनके ऊपर इस्तीफा देने का कोई दबाव नहीं था बल्कि उन्होंने अपनी इच्छा से इस्तीफा दिया है. दूसरी तरफ कांग्रेस का कहना है कि ईश्वरप्पा का इस्तीफा उनके संघर्ष का परिणाम है. हालांकि ईश्वरप्पा के खिलाफ कांग्रेस की लड़ाई जारी है और यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि उसके क्या परिणाम होंगे. फिलहाल ईश्वरप्पा की गिरफ्तारी के साथ ही कांग्रेस नेता मामले की न्यायिक जांच की भी मांग कर रहे हैं. इसी कड़ी में नौ अलग-अलग स्थानों पर धरना दिया जा रहा है.
बता दें कि दो दिन पहले सीएम आवास का घेराव करने पहुंचे कांग्रेसी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके तुरंत बाद उन्होंने सौध में रात में रैली का आयोजन किया था. कांग्रेस का कहना है कि वह अब लड़ाई के दूसरे चरण की शुरुआत करेगी. पार्टी का मानना है कि यदि ईश्वरप्पा पर ठेकेदार संतोष पाटिल की आत्महत्या के मामले में संलिप्तता साबित होती है तो ईश्वरप्पा को सजा मिलनी चाहिए. इससे पहले कांग्रेस प्रदेश के एक अन्य मंत्री व भाजपा विधायक रमेश जरकीहोली का सीडी कांड की वजह से मांग कर इस्तीफा दिलाने में सफल रही थी.
कांग्रेस ने घोषणा की है कि आगे भी विभिन्न मामलों में दोषी पाए गए 40 फीसदी मंत्रियों के खिलाफ उनकी लड़ाई चलती रहेगी. कांग्रेस नेताओं का मकसद इस तरह के संघर्षों के जरिए लोगों के बीच में अपनी छवि को बढ़ाना है. यह भी माना जा रहा है कि कांग्रेस बीजेपी के कुछ भ्रष्टाचार से लोगों का ध्यान खींचकर अगले विधानसभा चुनाव में बहुमत के साथ सत्ता में वापस आने की तैयारी कर रही है.
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यही वजह है कि कांग्रेस के द्वारा राज्य में भाजपा के भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को उजागर करने के साथ ही उसका कड़ा विरोध किया जा रहा है. हाल ही में राज्य के दौरे पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस संबंध में मार्गदर्शन प्रदान किया था. उन्होंने सुझाव दिया था कि लोगों के कांग्रेस के द्वारा केंद्र और राज्य में किए गए विकास कार्यक्रमों को न केवल बताना होगा बल्कि लोगों को भाजपा सरकार में हो रहे भ्रष्टाचार के साथ जनता के पैसों की बर्बादी के बारे में भी बताना होगा.