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एससी-एसटी कोटा बढ़ाएगी कर्नाटक सरकार, आयोग की रिपोर्ट पर लिया फैसला

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Published : Oct 7, 2022, 6:41 PM IST

कर्नाटक सरकार अनुसूचित जाति और जनजाति (एससी/ एसटी) कोटा बढ़ाएगी. इसके लिए संविधान की अनुसूची 9 का सहारा लिया जाएगा. कर्नाटक में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने हैं. पढ़ें पूरी खबर.

Chief Minister Basavaraj Bommai
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई

बेंगलुरु: विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले कर्नाटक में भाजपा सरकार अनुसूचित जाति और जनजाति (एससी / एसटी) कोटा बढ़ाने का फैसला किया है. शुक्रवार को तय किया गया कि संवैधानिक संशोधन के जरिए के राज्य में अनुसूचित जाति और जनजाति (एससी / एसटी) कोटा बढ़ाया जाएगा (Karnataka to hike SC and ST quota through Constitutional amendment).

सरकार ने यह फैसला न्यायमूर्ति एच एन नागमोहन दास आयोग की रिपोर्ट के आधार पर लिया है, जिसने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 17 प्रतिशत और अनुसूचित जनजातियों के लिए 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत करने की सिफारिश की है. मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (Chief Minister Basavaraj Bommai ) ने एक सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता करने के बाद इस आशय की घोषणा की. बैठक में कांग्रेस और जद (एस) के नेताओं ने भी भाग लिया.

उन्होंने कहा, 'यह देखते हुए कि समुदायों की 'लंबे समय से चली आ रही और उचित मांग' थी कि आरक्षण जनसंख्या पर आधारित होना चाहिए. नागमोहन दास आयोग (Nagamohan Das Commission) की सिफारिशों पर आज सर्वदलीय बैठक में चर्चा की गई और इसे मंजूरी दे दी गई. हमारी पार्टी (भाजपा) के भीतर इस पर चर्चा हुई, जहां अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के कल्याण के लिए अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखने का निर्णय लिया गया.'

उन्होंने कहा कि शनिवार को ही कैबिनेट की बैठक बुलाई जाएगी, जहां इस संबंध में औपचारिक फैसला लिया जाएगा. बोम्मई सरकार पर आयोग की रिपोर्ट को लागू करने के लिए एससी/एसटी सांसदों का जबरदस्त दबाव था. साथ ही, वाल्मीकि गुरुपीठ के द्रष्टा प्रसन्नानंद स्वामी एसटी कोटा बढ़ाने की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर हैं.

विपक्षी दल खासकर कांग्रेस सरकार पर क्रियान्वयन में देरी को लेकर हमला करती रही है. आयोग ने जुलाई 2020 में सरकार को अपनी सिफारिशें दी थीं. हालांकि, आरक्षण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों के बाद सरकार ने कानून और संविधान के अनुसार सिफारिशों को लागू करने के लिए न्यायमूर्ति सुभाष बी आदि (Justice Subhash B Adi) की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था, जिसने बाद में अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी थी.

बोम्मई ने कहा कि दोनों रिपोर्टों का अध्ययन करने के बाद सरकार कानून और संविधान से संबंधित किसी भी मामले पर किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले सभी को विश्वास में लेना चाहती थी, इसलिए आज सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है.

वर्तमान में कर्नाटक ओबीसी के लिए 32 प्रतिशत, एससी के लिए 15 प्रतिशत और एसटी के लिए 3 प्रतिशत, कुल 50 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करता है. कर्नाटक में कोटा बढ़ाने के लिए एकमात्र तरीका अनुसूची 9 का ही रास्ता है. यदि आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक हुआ तो अदालतें इस पर संज्ञान लेंगी.

तमिलनाडु ने भी लिया है अनुसूची 9 का सहारा : कानून मंत्री जे सी मधुस्वामी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला है कि राज्यों में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए, लेकिन कुछ राज्यों ने सीमा को पार कर लिया है. विशेष परिस्थितियों में ऐसा करने का प्रावधान है. हम इसे अनुसूची 9 के तहत पेश करेंगे, क्योंकि इसमें न्यायिक छूट है. तमिलनाडु ने आरक्षण को बढ़ाकर 69 प्रतिशत करने के लिए अनुसूची 9 के तहत ऐसा किया. उन्होंने कहा कि हम संविधान में संशोधन के लिए केंद्र सरकार से सिफारिश करेंगे.

एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति कोटा बढ़ाने और 50 प्रतिशत से अधिक करने से कुछ हद तक सामान्य वर्ग की जगह खत्म हो जाएगी. उन्होंने कहा कि कर्नाटक में आरक्षण पहले से ही सीमा रेखा पर है और 50 प्रतिशत के भीतर कोटा बदलना मुश्किल होगा. 'अगर हमें ऐसा करना है, तो हमें ओबीसी कोटा छह प्रतिशत अंक कम करना होगा, जिसे कोई भी बर्दाश्त नहीं करेगा. इसलिए, 50 प्रतिशत से अधिक होने के लिए, इसे अनुसूची 9 के माध्यम से किया जाना चाहिए.'

पढ़ें- कर्नाटक में बीजेपी के लिए गले की हड्डी बना लिंगायत आरक्षण का मुद्दा

सर्वदलीय बैठक में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया एक अन्य पूर्व सीएम और जद (एस) नेता एचडी कुमारस्वामी भी शामिल हुए. इस फैसले को कुछ लोग राजनीतिक चश्मे से भी देख रहे हैं क्योंकि करीब छह महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं.

(PTI)

बेंगलुरु: विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले कर्नाटक में भाजपा सरकार अनुसूचित जाति और जनजाति (एससी / एसटी) कोटा बढ़ाने का फैसला किया है. शुक्रवार को तय किया गया कि संवैधानिक संशोधन के जरिए के राज्य में अनुसूचित जाति और जनजाति (एससी / एसटी) कोटा बढ़ाया जाएगा (Karnataka to hike SC and ST quota through Constitutional amendment).

सरकार ने यह फैसला न्यायमूर्ति एच एन नागमोहन दास आयोग की रिपोर्ट के आधार पर लिया है, जिसने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 17 प्रतिशत और अनुसूचित जनजातियों के लिए 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत करने की सिफारिश की है. मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (Chief Minister Basavaraj Bommai ) ने एक सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता करने के बाद इस आशय की घोषणा की. बैठक में कांग्रेस और जद (एस) के नेताओं ने भी भाग लिया.

उन्होंने कहा, 'यह देखते हुए कि समुदायों की 'लंबे समय से चली आ रही और उचित मांग' थी कि आरक्षण जनसंख्या पर आधारित होना चाहिए. नागमोहन दास आयोग (Nagamohan Das Commission) की सिफारिशों पर आज सर्वदलीय बैठक में चर्चा की गई और इसे मंजूरी दे दी गई. हमारी पार्टी (भाजपा) के भीतर इस पर चर्चा हुई, जहां अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के कल्याण के लिए अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखने का निर्णय लिया गया.'

उन्होंने कहा कि शनिवार को ही कैबिनेट की बैठक बुलाई जाएगी, जहां इस संबंध में औपचारिक फैसला लिया जाएगा. बोम्मई सरकार पर आयोग की रिपोर्ट को लागू करने के लिए एससी/एसटी सांसदों का जबरदस्त दबाव था. साथ ही, वाल्मीकि गुरुपीठ के द्रष्टा प्रसन्नानंद स्वामी एसटी कोटा बढ़ाने की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर हैं.

विपक्षी दल खासकर कांग्रेस सरकार पर क्रियान्वयन में देरी को लेकर हमला करती रही है. आयोग ने जुलाई 2020 में सरकार को अपनी सिफारिशें दी थीं. हालांकि, आरक्षण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों के बाद सरकार ने कानून और संविधान के अनुसार सिफारिशों को लागू करने के लिए न्यायमूर्ति सुभाष बी आदि (Justice Subhash B Adi) की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था, जिसने बाद में अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी थी.

बोम्मई ने कहा कि दोनों रिपोर्टों का अध्ययन करने के बाद सरकार कानून और संविधान से संबंधित किसी भी मामले पर किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले सभी को विश्वास में लेना चाहती थी, इसलिए आज सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है.

वर्तमान में कर्नाटक ओबीसी के लिए 32 प्रतिशत, एससी के लिए 15 प्रतिशत और एसटी के लिए 3 प्रतिशत, कुल 50 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करता है. कर्नाटक में कोटा बढ़ाने के लिए एकमात्र तरीका अनुसूची 9 का ही रास्ता है. यदि आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक हुआ तो अदालतें इस पर संज्ञान लेंगी.

तमिलनाडु ने भी लिया है अनुसूची 9 का सहारा : कानून मंत्री जे सी मधुस्वामी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला है कि राज्यों में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए, लेकिन कुछ राज्यों ने सीमा को पार कर लिया है. विशेष परिस्थितियों में ऐसा करने का प्रावधान है. हम इसे अनुसूची 9 के तहत पेश करेंगे, क्योंकि इसमें न्यायिक छूट है. तमिलनाडु ने आरक्षण को बढ़ाकर 69 प्रतिशत करने के लिए अनुसूची 9 के तहत ऐसा किया. उन्होंने कहा कि हम संविधान में संशोधन के लिए केंद्र सरकार से सिफारिश करेंगे.

एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति कोटा बढ़ाने और 50 प्रतिशत से अधिक करने से कुछ हद तक सामान्य वर्ग की जगह खत्म हो जाएगी. उन्होंने कहा कि कर्नाटक में आरक्षण पहले से ही सीमा रेखा पर है और 50 प्रतिशत के भीतर कोटा बदलना मुश्किल होगा. 'अगर हमें ऐसा करना है, तो हमें ओबीसी कोटा छह प्रतिशत अंक कम करना होगा, जिसे कोई भी बर्दाश्त नहीं करेगा. इसलिए, 50 प्रतिशत से अधिक होने के लिए, इसे अनुसूची 9 के माध्यम से किया जाना चाहिए.'

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सर्वदलीय बैठक में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया एक अन्य पूर्व सीएम और जद (एस) नेता एचडी कुमारस्वामी भी शामिल हुए. इस फैसले को कुछ लोग राजनीतिक चश्मे से भी देख रहे हैं क्योंकि करीब छह महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं.

(PTI)

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